'अगर अवॉर्ड लेने विदेश गईं तो...', ट्रंप के दुश्मन देश से नोबेल विजेता को मिली वॉर्निंग

वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरीना मचाडो 10 दिसंबर को नोबेल पुरस्कार लेने नॉर्वे जाना चाहती थी. लेकिन वेनेजुएला की मादुरो सरकार उन्हें ऐसा करने से रोक रही है. मचाडो मादुरो सरकार के खिलाफ लड़ रही हैं और देश में छिपकर रहती हैं.

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वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया मचाडो पर कई केस चल रहे हैं (File Photo: AFP) वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया मचाडो पर कई केस चल रहे हैं (File Photo: AFP)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 21 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:30 PM IST

इस साल शांति का नोबेल पुरस्कार वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरीना मचाडो ने जीता है. नोबेल पुरस्कार हर साल की तरह इस साल भी 10 दिसंबर को ओस्लो के सिटी हॉल में आयोजित इवेंट में दिए जाएंगे. मारिया दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार पाने को लेकर खुश हैं और उन्होंने कहा था कि वो पुरस्कार लेने नॉर्वे जाएंगी. लेकिन वेनेजुएला के अटॉर्नी जनरल ने चेतावनी दी है कि कई आपराधिक मामले झेल रही मचाडो अगर देश से बाहर जाती हैं तो उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया जाएगा.

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मचाडो वेनेजुएला में लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए संघर्ष कर रही हैं. सरकार ने उनके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज किए हैं, जिनमें आतंकवाद से जुड़े आरोप भी शामिल हैं.

58 साल की मचाडो ने बताया है कि वो वेनेजुएला में छिपकर रह रही हैं. पिछले हफ्ते उन्होंने घोषणा की थी वो 10 दिसंबर को होने वाले समारोह के लिए नॉर्वे की राजधानी ओस्लो जाना चाहती हैं.

वेनेजुएला के अटॉर्नी जनरल ने दी वॉर्निंग

समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, वेनेजुएला के अटॉर्नी जनरल, तारेक विलियम साब ने चेतावनी दी कि मचाडो कई आपराधिक मामलों का सामना कर रही हैं और अगर वो पुरस्कार लेने विदेश जाती हैं, तो उन्हें 'फरार' माना जाएगा

साब ने कहा, 'उन पर कई आपराधिक मामले हैं. ऐसे में अगर वो वेनेजुएला से बाहर जाती हैं तो उन्हें फरार माना जाएगा.' उन्होंने कहा कि उन पर 'साजिश, नफरत फैलाने और आतंकवाद' जैसे आरोप हैं.

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अमेरिका को समर्थन देने को लेकर भी मादुरो के निशाने पर हैं मचाडो

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मचाडो कैरेबियाई सागर के आसपास अमेरिकी सैन्य बलों की तैनाती को समर्थन दे रही हैं और इसे लेकर भी वो जांच के दायरे में हैं.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के सबसे बड़े एयरक्राफ्ट कैरियर, युद्धपोतों और लड़ाकू विमानों को कैरेबियाई सागर क्षेत्र में भेजा है. अमेरिका का कहना है कि यह वेनेजुएला की सरकार के खिलाफ 'एंटी-ड्रग मिशन' है.

हालांकि, राष्ट्रपति निकोलस मादुरो का दावा है कि ट्रंप का यह कदम उनकी 'वामपंथी सरकार' को गिराने की कोशिश है.

अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना कर रहा वेनेजुएला

तेल से समृद्ध यह दक्षिण अमेरिकी देश 2015 से अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना कर रहा है. 2017 में अपने पहले कार्यकाल के दौरान ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से वेनेजुएला पर सैन्य हमला करने का संकेत दिया था. अपने दूसरे कार्यकाल में वो वेनेजुएला पर और अधिक हमलावर हो गए हैं.

ट्रंप प्रशासन ने मादुरो पर ड्रग कार्टेल का आरोप लगाते हुए कथित ड्रग बोट्स पर कार्रवाई भी की है. समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, कैरेबियाई और प्रशांत क्षेत्र में कथित ड्रग बोट्स पर अमेरिकी हमलों में कम से कम 83 लोगों की मौत हुई है. मादुरो की सरकार ने इन नौकाओं पर अमेरिकी हमलों को 'गैर-कानूनी तरीके से की गई हत्याएं' करार दिया है. 

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