26/11 मुंबई हमले के मास्टरमाइंड और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के आतंकी हाफिज सईद के बेटे हाफिज तल्हा सईद ने पाकिस्तान के तथाकथित “कश्मीर एकजुटता दिवस” यानी 5 फरवरी को लाहौर में एक रैली में भारत के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिया. सभा को संबोधित करते हुए तल्हा सईद ने किसी भी कीमत पर कश्मीर को भारत से आजाद कराने की कसम खाई. इस दौरान भीड़ ने जेल में बंद उसके पिता की रिहाई की मांग करते हुए नारे लगाए.
अपने भाषण के दौरान आतंकी के बेटे तल्हा सईद ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर भी अपशब्द कहे. उसने लश्कर-ए-तैयबा को वैश्विक आतंकवादी संगठन घोषित किए जाने को भी खारिज कर दिया और दावा किया कि यह उसके पिता को बदनाम करने के लिए मोदी का प्रचार मात्र है.
तल्हा सईद ने यह भी मांग की कि पाकिस्तानी सरकार अपनी नीति की समीक्षा करे और हाफिज सईद को जेल से रिहा करे. उसने कहा कि हाफिज सईद दोषी नहीं है तो वह जेल में कष्ट क्यों झेल रहे. भीड़ और मंच पर मौजूद लोगों ने जमात-उद-दावा (JuD) के संस्थापक आतंकी सईद के समर्थन में नारे लगाते हुए उसकी मांग को दोहराया.
हाफिज सईद के आतंकवादी संबंध और वैश्विक प्रतिबंध
बता दें कि लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा (JuD) के संस्थापक हाफिज सईद 2008 के मुंबई हमलों सहित भारत के खिलाफ आतंकवादी हमलों की योजना बनाने में एक प्रमुख आतंकी रहा है. उसे पाकिस्तान में कई आतंकी वित्तपोषण मामलों में 78 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी. साथ ही 2022 में 31 साल की अतिरिक्त सजा सुनाई गई.
2012 में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने सईद की गिरफ़्तारी के लिए सूचना देने वाले के लिए 10 मिलियन डॉलर के इनाम की घोषणा की थी. अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र दोनों ने लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा को आतंकवादी संगठन घोषित किया है और उनके संचालन पर प्रतिबंध लगा दिया है.
2024 के चुनावों में तल्हा सईद की राजनीतिक विफलता
वैश्विक दबाव के बावजूद पाकिस्तान ने चरमपंथी तत्वों को मंच प्रदान करना जारी रखा है. 2024 के पाकिस्तानी आम चुनावों में तलहा सईद ने हाफिज सईद द्वारा समर्थित पार्टी पाकिस्तान मरकजी मुस्लिम लीग (PMML) के तहत लाहौर के NA-122 निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा. हालांकि, उसे अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा. उसे केवल 2,041 वोट मिले और वह छठे स्थान पर रहा. यह सीट स्वतंत्र उम्मीदवार लतीफ खोसा ने जीती, जिन्हें 117,109 वोट मिले.
सुबोध कुमार