अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आक्रामक टैरिफ नीति ने एक बार फिर सोमवार को वैश्विक बाजारों को झटका दिया. ट्रंप ने कहा कि विदेशी सरकारों को ये टैरिफ हटवाने के लिए 'बहुत सारा पैसा' चुकाना होगा. हालांकि अमेरिकी शेयर बाजारों को कुछ देर के लिए राहत मिली, जब यह संकेत मिला कि टैरिफ पर कुछ समय के लिए रोक लग सकती है, लेकिन बाद में शेयर फिर गिर गए.
एशियाई और यूरोपीय शेयर बाजारों में भारी गिरावट दर्ज की गई और तेल की कीमतों में भी बड़ी गिरावट आई. निवेशकों को डर है कि ट्रंप द्वारा इस टैरिफ को 'किसी चीज को ठीक करने की दवा' कहा जा रहा है जो कीमतों में बढ़ोतरी, मांग में गिरावट और संभवतः वैश्विक मंदी का कारण बन सकता है.
व्हाइट हाउस ने किया खबर का खंडन
अमेरिकी शेयर बाजारों में भी शुरुआत में गिरावट देखी गई, लेकिन व्हाइट हाउस के सलाहकार केविन हैसेट के बयान के बाद कुछ सुधार हुआ. उन्होंने CNBC को बताया कि ट्रंप सभी देशों (चीन को छोड़कर) के लिए टैरिफ पर 90 दिनों की रोक लगाने पर विचार कर रहे हैं. लेकिन बाद में व्हाइट हाउस ने इस बयान को 'फेक न्यूज़' बताया, जिससे शेयर बाजार फिर गिर गया.
EU ने की 'जीरो-फॉर-जीरो' टैरिफ की पेशकश
यूरोपीय संघ, जो इस बात को लेकर बंटा हुआ है कि अमेरिका पर कितनी सख्ती से प्रतिक्रिया देनी चाहिए, ने कहा कि वह बातचीत के लिए तैयार है लेकिन जवाबी कार्रवाई के लिए भी तैयार है. यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा कि EU ने ट्रंप को औद्योगिक वस्तुओं (industrial goods) पर 'जीरो-फॉर-जीरो' टैरिफ की पेशकश की है.
'सबसे बुरा होना अभी बाकी है'
गोल्डमैन सैक्स ने अगले 12 महीनों में अमेरिकी मंदी की संभावना को बढ़ाकर 45% कर दिया है. जेपी मॉर्गन के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इन टैरिफ की वजह से अमेरिकी अर्थव्यवस्था में 0.3% की गिरावट आ सकती है, जबकि पहले उन्होंने 1.3% की वृद्धि का अनुमान लगाया था. कनेक्टिकट के डकोटा वेल्थ मैनेजमेंट के वरिष्ठ पोर्टफोलियो मैनेजर रॉबर्ट पाव्लिक ने कहा, 'लोगों को डर है कि सबसे बुरा होना अभी बाकी है. वे बाजार गिरने से डरे हुए हैं.'
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