भारत और पाकिस्तान की ओर से करतारपुर कॉरिडोर के निर्माण की रूपरेखा पर चर्चा की जा रही है. इसी बीच परियोजना के कारण अपनी जमीन छोड़ने को मजबूर करीब 600 ग्रामीणों का कहना है कि यदि उन्हें अपनी जमीन का मुआवजा वाणिज्यिक दरों पर नहीं मिला तो वे विकास कार्य ठप कर देंगे.
कोठे खुर्द गांव जहां की कुल आबादी करीब 600 है और जहां गुरूद्वारा डेरा साहिब करतारपुर स्थित है. वहां कि जिला प्रशासन ने गांव की पूरी आबादी को अपने मकान तत्काल खाली करने के आदेश दिए हैं ताकि करतारपुर कॉरिडोर का निर्माण हो सके.
कोठे खुर्द गांव के मोहम्मद अरशद ने पत्रकारों को बताया कि ''मेरे पूर्वज विभाजन से पहले ही गांव में बस गए थे और अब यहां पांचवीं पीढ़ी रह रही है. कुछ अधिकारी यहां आए और यहां के स्थानीय लोगों से कहा कि सरकार हमारी जमीन पर करतारपुर कॉरिडोर बनाना चाह रही है, इसलिए हमें जमीन खाली करनी होगी.''
वहीं एक अन्य ग्रामीण जईम हुसैन ने कहा कि हम सदियों से इस इलाके में रह रहे हैं और इलाके एवं अपने पुरखों की कब्र को छोड़ना हमारे लिए संभव नहीं है." हुसैन ने कहा कि सरकारी अधिकारियों ने उनसे सिर्फ इतना कहा कि जमीन और मकानों का अधिग्रहण कर लिए जाने के बाद उन्हें मुआवजा दिया जाएगा.
उन्होंने कहा कि ग्रामीण के लोगों में अपनी खेती वाली जमीन छोड़ने को लेकर आम राय है, लेकिन कोई अपने पैतृक घरों को नहीं छोड़ना चाहता. हुसैन ने यह भी कहा कि यदि ग्रामीणों को उनके घरों से जबरन निकाला गया तो वे सरकार द्वारा बनाए जा रहे कॉरिडोर को विकसित नहीं होने देंगे और विकास कार्य ठप कर देंगे.उन्होंने कहा कि "हम अपनी जमीन के लिए वाणिज्यिक दरों पर मुआवजा चाहते हैं''.
पाकिस्तान किसान राबिता कमिटी ने किसानों को वाणिज्यिक दरों पर तत्काल मुआवजा देने की मांग की है. इसमें कहा गया है कि कोई साधारण मुआवजा स्वीकार नहीं किया जाएगा और प्रभावित परिवारों के एक-एक सदस्य को नौकरी देने की भी मांग की.
पाकिस्तान के उपायुक्त वहीद असगर ने इस बात से इंकार किया है कि सरकार ग्रामीणों को जबरन निकाल रही है. उन्होंने कहा है कि सरकार पंजाब भूमि अधिग्रहण अधिनियम 1894 की धारा 4 के तहत जमीन अधिग्रहण कर रही है और वह फसल एवं जमीन के लिए उपयुक्त मुआवजा देने पर फैसला किया गया है. उन्होंने कहा कि हम शांतिपूर्ण तरीके से मामले को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं.
इवेक्वी ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड के प्रवक्ता आसिफ हाशमी ने पीटीआई को बताया कि करतारपुर कॉरिडोर पर करीब 40 फीसदी विकास कार्य पूरा हो चुका है. उन्होंने कहा कि इस नंवबर में गुरू नानक की 550वीं जयंती से पहले कॉरिडोर का विकास कार्य पूरा कर लिया जाएगा.
गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान पिछले साल करतारपुर में गुरुद्वारा दरबार साहिब को भारत के गुरदासपुर जिले में स्थित डेरा बाबा नानक गुरुद्वारे से जोड़ने के लिए गलियारा बनाने को सहमत हुए थे. बताया जाता है कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देवजी ने करतारपुर में अंतिम समय बिताया था.
करतारपुर साहिब पाकिस्तान में पंजाब के नरोवाल जिले में है. रावी नदी के दूसरी ओर स्थित करतारपुर साहिब की डेरा बाबा नानक गुरुद्वारे से दूरी करीब चार किलोमीटर है.
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