करतारपुर कॉरिडोर पर पाकिस्तान ने भेजा ड्राफ्ट, गिनाईं नियम और शर्तें

Kartarpur Corridor पाकिस्तान की ओर से करतारपुर कॉरिडोर के लिए ड्राफ्ट भारत को भेजा गया है. इस ड्राफ्ट में पाकिस्तान की ओर से वहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए कुछ निर्देश जारी किए गए हैं.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 22 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 10:23 AM IST

बीते साल नवंबर में भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर बहुचर्चित करतारपुर कॉरिडोर की नींव रखी गई, अब पाकिस्तान की ओर से इस काम को आगे बढ़ाया जा रहा है. पाकिस्तान की ओर से भारत के प्रतिनिधिमंडल को न्योता दिया गया है, इसमें करतारपुर कॉरिडोर के एग्रीमेंट से जुड़े मसलों पर बात करने को कहा गया है.

पाकिस्तान सरकार द्वारा जारी एक प्रेस रिलीज में कहा गया है कि करतारपुर कॉरिडोर के मसले को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने SAARC के डायरेक्टर जनरल को नियुक्त किया है, जो भारत से इस कॉरिडोर के हर पहलुओं की चर्चा करेंगे. पाकिस्तान की ओर से इस दौरान करतारपुर कॉरिडोर को लेकर हुए एग्रीमेंट का ड्राफ्ट भी जारी किया है.

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प्रेस रिलीज में कहा गया है कि इस्लाम हमें सभी धर्मों का सम्मान करना सिखाता है, इसी संदेश को आगे बढ़ाते हुए हम अपने पड़ोस में भी शांति चाहते हैं, आगे भी इसी प्रकार शांति की पहल करते रहेंगे.

इस एग्रीमेंट के अनुसार, पाकिस्तान के पास कुछ ताकतें रहेंगी. इनमें किसी की एंट्री को बैन करना, किसी के रुकने के समय को कम करना या सुरक्षा कारणों से उसकी जांच करना जैसे मसले शामिल हैं.

इसके अलावा रोजाना सिर्फ 500 सिख श्रद्धालुओं को ही करतारपुर कॉरिडोर के जरिए पाकिस्तान में आने दिया जाएगा, इसके अलावा सभी श्रद्धालुओं की ट्रैवल हिस्ट्री भी चेक की जाएगी. ये सभी शर्तें पाकिस्तान की ओर से भारत सरकार को भेजी गई हैं.

साथ ही पाकिस्तान ने कहा है कि जो भी यात्री करतारपुर कॉरिडोर के जरिए गुरुद्वारे का दर्शन करने आएगा, उसके बारे में तीन दिन पहले ही जानकारियां देनी होंगी. जबतक उस व्यक्ति को पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों द्वारा मंजूरी नहीं मिलती है तो उसे पाकिस्तान में नहीं आने दिया जाएगा.

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गौरतलब है कि बीते साल 28 नवंबर को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत-पाकिस्तान बॉर्डर के पास इस कॉरिडोर की नींव रखी थी. इस कार्यक्रम में नवजोत सिंह सिद्धू, हरसिमरत कौर बादल और हरदीप सिंह पुरी भारत की ओर से शामिल हुए थे. भारत में भी नवंबर महीने में ही इसकी नींव रखी गई थी. बता दें कि ये कॉरिडोर सीधे करतारपुर में स्थित गुरुदारा दरबार साहिब तक जाएगा, जहां पर 1539 में सिखों के प्रथम गुरु नानक देव का देहांत हुआ था.

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