9 हजार साल पुराना पूजा-स्थल मिला, खुले नवपाषाण युग के मनुष्यों के रहस्य

पुरातत्वविदों की एक टीम ने जॉर्डन के पूर्वी रेगिस्तान में नवपाषाण काल की साइट पर एक पूजा-स्थल को ढूंढ निकाला है. ये पूजा-स्थल बिल्कुल सुरक्षित अवस्था में मिला है जिसे लेकर खोजकर्ता हैरानी जता रहे हैं. इस खोज से नवपाषाण युग में उस क्षेत्र में रहने वाले मनुष्यों की अहम जानकारी सामने आई है.

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नवपाषाण युग का पूजा स्थल मिला (Photo-AP) नवपाषाण युग का पूजा स्थल मिला (Photo-AP)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 24 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 9:23 AM IST
  • नवपाषाण युग के पूजा-स्थल को पुरातत्वविदों ने खोजा
  • सामने आई कई जानकारी
  • 9 हजार साल पुराना है पूजा-स्थल

जॉर्डन के पूर्वी रेगिस्तान में नवपाषाण काल का एक पूजा-स्थल ढूंढ निकाला गया है. जॉर्डन और फ्रांसीसी पुरातत्वविदों की एक टीम ने मंगलवार को ये जानकारी देते हुए कहा कि पूजा-स्थल जॉर्डन के पूर्वी रेगिस्तान में नवपाषाण साइट पर मिला है. बताया जा रहा है कि ये पूजा स्थल 9 हजार साल पुराना है.

समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक, पूजा-स्थल एक नवपाषाण साइट पर मिला जहां पर बड़ी संरचनाएं, जिन्हें 'Desert Kites' कहा जाता है, स्थित हैं. इन्हें लेकर कहा जाता है कि जंगली जानवरों के वध के लिए इनका इस्तेमाल किया जाता था. नवपाषाण काल के लोग ऐसी आकृतियों के माध्यम से जंगली जानवरों का शिकार करते थे.

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इस तरह की संरचनाओं में दो या दो से अधिक लंबी पत्थर की दीवारें होती हैं जो आगे जाकर संकरी होती जाती हैं. इन पत्थर की दीवारों में जंगली जानवर फंस जाते थे जिसके बाद मनुष्य उन्हें अपना शिकार बना लेते थे. ये संरचनाएं मध्य पूर्व के रेगिस्तान में जहां-तहां पाई जाती हैं.

पूजा-स्थल को खोजने वाली टीम के सह-निदेशक, जॉर्डन के पुरातत्वविद् वेल अबू-अजीजा ने कहा, 'यह साइट अद्वितीय है...जिस तरीके से इसे संरक्षित किया गया है, वो कमाल है. ये लगभग 9 हजार साल पुरानी है लेकिन अभी भी लगभग सब कुछ बरकरार है.'

पूजा स्थल के भीतर दो नक्काशीदार खड़े पत्थर पाए गए हैं जिनके ऊपर मानव समान आकृतियां बनी हुई है. इनके पास ही एक पूजा की वेदी, चूल्हा, समुद्री पत्थर और जानवर को फंसाने के जाल का छोटा मॉडल मिला है.

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शोधकर्ताओं ने एक बयान में कहा कि मंदिर अब तक अज्ञात नवपाषाण युग के लोगों के प्रतीकवाद, कलात्मक अभिव्यक्ति के साथ-साथ उनकी आध्यात्मिक संस्कृति पर एक नई रोशनी डालती है.

बयान में कहा गया है कि साइट पर जाल के मॉडल के मिलने से पता चलता है कि उस वक्त के लोग शिकारी थे और जाल उनके समाज में उनके सांस्कृतिक, आर्थिक और यहां तक ​​​​कि प्रतीकात्मक जीवन के केंद्र थे.

टीम में जॉर्डन के अल हुसैन बिन तलाल विश्वविद्यालय और फ्रेंच इंस्टीट्यूट ऑफ द नियर ईस्ट के पुरातत्वविद शामिल थे. साल 2021 में इस साइट की खुदाई की गई थी. 

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