आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान को अलग-थलग करने के भारत के प्रयासों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थन मिला है. बता दें कि शुक्रवार 29 मार्च को वाशिंगटन में संपन्न हुए यूएस-इंडिया काउंटर टेररिज्म ज्वॉइंट वर्किंग ग्रुप और पदनाम संवाद के दौरान भारत और अमेरिका ने साझा बयान जारी करते हुए कहा कि पाकिस्तान अपनी धरती से संचालित होने वाले आतंकी समूहों के खिलाफ सार्थक और ठोस कार्रवाई करें.
इस सेशन के दौरान दोनों देशों ने अपने-अपने विचार साझा किए. साथ ही अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों द्वारा उत्पन्न खतरों पर बातचीत की, जिसमें दक्षिण एशिया में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के साथ-साथ क्रॉस बॉर्डर आतंकवाद का मुद्दा भी शामिल रहा. दोनों देशों की तरफ से इस बात को भी रेखांकित किया गया कि पाकिस्तान को आतंकी संगठनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.
गौरतलब है कि पुलवामा में 14 फरवरी को आतंकी हमले में CRPF के 40 जवान शहीद हो गए थे. इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी. हमले के बाद भारत सरकार ने वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने का प्रयास शुरू कर दिया था.
इसके बाद अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने जैश-ए-मोहम्मद को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कराने को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में एक प्रस्ताव लाया था, लेकिन चीन ने वीटो पर उस प्रस्ताव को गिरा दिया था.
बता दें कि UNSC में कुल 15 सदस्य हैं, जिनमें से 5 सदस्य देश- अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस को स्थाई सदस्यता मिली है. परिषद के स्थाई सदस्यों के पास एक विशेष पावर होता है, जिसके तहत वे परिषद में लाए गए किसी भी प्रस्ताव पर अपनी असहमति जता सकते हैं और फिर वो प्रस्ताव निरस्त हो जाता है. इसी अधिकार को 'वीटो' कहा जाता है.
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