कश्मीर से पहले तिजारत की बात, इमरान के भारत के बारे में बदल गए जज्बात?

अपने कंधों पर पड़ने वाली इस बड़ी जिम्मेदारी और युवाओं की उम्मीद को इमरान बखूबी समझ रहे हैं. शायद यही वजह है कि इमरान चाहते हैं कि ऐसे मुद्दे जो दोनों पड़ोसी देशों के बीच तनाव पैदा करें उन्हें न छेड़कर व्यापारिक रिश्ते स्थापित हों.

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पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के प्रमुख इमरान खान पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के प्रमुख इमरान खान

विवेक पाठक

  • इस्लामाबाद,
  • 26 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 3:16 AM IST

पूर्व क्रिकेटर इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी बहुमत के काफी करीब है. इसी के साथ इमरान खान का प्रधानमंत्री बनना तय है. अपनी संभावित जीत का दावा करते हुए जब इमरान ने पाकिस्तान की जनता को संबोधित किया, तो कभी भारत को जमकर कोसने वाले और कश्मीर के मुद्दे पर आक्रामक रुख रखने वाले इमरान का रुख बिल्कुल अलग था.

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कश्मीर का मुद्दा भारत-पाकिस्तान की जनता के लिए एक भावनात्मक मुद्दा रहा है. इमरान खान अक्सर अपनी राजनीतिक जमीन तैयार करने के लिए इन्हीं भावनाओं को हवा देते दिखे हैं. इमरान ने पीएम बनने से पूर्व अपने संबोधन में कश्मीर को दोनों देशों के बीच एक अहम मुद्दा तो बताया, लेकिन कश्मीर के मुद्दे को हल करने के लिए एक टेबल पर आकर शांति और समझौते की ही वकालत की.

इमरान का कहना है कि दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों को आरोप-प्रत्यारोप के पुराने ढर्रे से बाहर निकलते हुए दोस्ती और अमन का रास्ता अपनाना चाहिए. जिसके लिए यदि भारत पाकिस्तान की तरफ एक कदम बढ़ाएगा तो पाकिस्तान बातचीत के लिए भारत की तरफ दो कदम आगे बढ़ाएगा.

आने वाले समय में बेरोजगारी और आर्थिक रूप से पिछड़ापन झेल रहे पाकिस्तान के महत्वाकांक्षी युवाओं की जरूरतों को पूरा करना इमरान के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी. जिसके लिए इमरान ने पड़ोसी देशों से तिजारत (व्यापार, रोजगार) पर जोर दिया. इमरान खान ने कहा कि वह ऐसे पाकिस्तानी हैं जो व्यापार के महत्व को समझते हैं. जिससे भारतीय उपमहाद्वीप की आर्थिक दशा सुधरेगी और यह भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के लिए मुनाफे का सौदा होगा.

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खास बात ये है कि इमरान ने अपने संबोधन में जब भारत का जिक्र शुरू किया तो सबसे पहले कश्मीर की बजाय तिजारत की बात की. ये अपने आप में चौंकाने वाला और पाकिस्तान के पूर्व के शासकों के व्यवहार से बिल्कुल अलग बात थी.

इसके पीछे इमरान खान का निजी अनुभव भी हो सकता है. क्योंकि पूर्व में इमरान के शीर्ष भारतीय कंपनियों के साथ व्यापारिक अनुबंध रहे है. बता दें कि 80 के दशक में जब पाकिस्तानी टीम भारत आई थी तब इमरान ने गोदरेज के सिंथौल साबुन के लिए अपना पहला एड किया था. इसके बाद इमरान ने पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर के साथ थम्स अप का एड किया था. लिहाजा इमरान बखूबी जानते और समझते हैं कि व्यापारिक रिश्तों के क्या मायने हैं.

यह भी पढ़ें: PAK का PM बनने से पहले इमरान खान का भाषण, दिखाई दी मोदी-केजरीवाल की झलक

आज की तारीख में भारत और पाकिस्तान एक युवा देश के तौर पर जाने जाते हैं. ये वो युवा हैं जिन्होंने बंटवारे का खून खराबा नहीं देखा है. जिन्होंने पाकिस्तान के साथ होने वाले युद्ध नहीं देखे हैं. जो रोजगार चाहता है. रोजगार के लिए पैसा चाहिए और पैसे के लिए निवेश और व्यापार चाहिए.

अपने कंधों पर पड़ने वाली इस बड़ी जिम्मेदारी और युवाओं की उम्मीद को इमरान बखूबी समझ रहे हैं. शायद यही वजह है कि इमरान चाहते हैं कि ऐसे मुद्दे जो दोनों पड़ोसी देशों के बीच तनाव पैदा करें उन्हें न छेड़कर व्यापारिक रिश्ते स्थापित हों. जिसके पीछे की मंशा हो सकती है कि दोनों देशों का एक दूसरे पर व्यापारिक तौर पर निर्भर होना स्वत: अच्छे संबंध स्थापित करेगा.

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 हालांकि अभी यह इमरान की शुरूआती या यूं कहें ओपनिंग पारी है. इमरान मंझे हुए ओपनिंग गेंदबाज रहे हैं. पिच पर शुरूआती पारी में नई गेंद से आउट स्विंग और इन स्विंग दोनों कराना जानते हैं. फिलहाल कश्मीर मुद्दे को लेकर भारत के लिए यह इमरान का आउट स्विंग था. समय बीतेगा तो गेंद भी पुरानी होगी और पिच भी. ऐसी परिस्थितियों में इमरान रिवर्स स्विंग कराने में भी माहिर हैं. देखते रहिए.

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