बिना नुकसान, दुश्मन को बड़ा घाव दे जाती है एयर स्ट्राइक, लेकिन मंडराता है जंग का खतरा

एयर स्ट्राइक से कम नुकसान में ज्यादा तबाही तो होती है. लेकिन जमीन पर कब्जे के लिए पैदल सेना ही चाहिए होती है. बड़ा सवाल यही है कि दुश्मन देश पर नियंत्रण रखने के लिए पैदल सेना रखे कौन?

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सांकेतिक तस्वीर (फाइल फोटो-पीटीआई) सांकेतिक तस्वीर (फाइल फोटो-पीटीआई)

विवेक पाठक

  • नई दिल्ली,
  • 28 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 8:08 AM IST

भारतीय वायुसेना ने 48 साल बाद पहली बार पाकिस्तान की सीमा में घुसकर आतंकी ठिकानों को तबाह किया है. इससे पहले 1971 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय वायुसेना पाकिस्तान में घुसी थी. पाकिस्तान ने भारत की इस कार्रवाई के जवाब में भारतीय वायु क्षेत्र का उल्लंघन करने की कोशिश की जिसका एयरफोर्स ने मुंहतोड़ जवाब दिया. लेकिन भारत की इस जवाबी कार्रवाई में वायुसेना का एक विमान क्षतिग्रस्त हो गया जबकि फाइटर पायलट पाकिस्तान के कब्जे में है. दोनों देशों के बीच यह बड़ी नाजुक स्थिति जिसमें कुछ भी संभव है. हालांकि अगर हम इतिहास में झांक कर देखें तो एयर स्ट्राइक किसी मसले का हल करने में नाकाम ही रही हैं.  

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दुनिया की पहली एयर स्ट्राइक और विश्व युद्ध

1 नवंबर, 1911 को इटली-तुर्की युद्ध के दौरान इतालवी गीयूलो गावोत्ती ने लीबिया के त्रिपोली में 4 बम गिराए. इतिहास में इस घटना को पहली एयर स्ट्राइक माना जाता है. इस घटना ने अन्य देशों की सेना को बिना नुकसान, कम खर्च में ज्यादा तबाही का मंत्र दे दिया. जिसका प्रथम विश्व युद्ध में विस्तृत रूप दिखा. जब 1915 में ब्रिटिश विमानों ने जर्मनी के रेल कम्युनिकेशन सिस्टम पर बम गिराए. हालांकि एयर स्ट्राइक का औपचारिक जिक्र हमें द्वितीय विश्व युद्ध में मिलता है जब हवाई हमलों का ज्यादा सटीक तरीके से इस्तेमाल शुरू हुआ. प्रथम विश्व युद्ध से दुनिया ने कोई सीख नहीं ली और इसके ठीक 20 साल बाद द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ गया.

द्वितीय विश्व युद्ध में एयर स्ट्राइक

द्वितीय विश्व युद्ध में वायुसेना जर्मनी की सबसे बड़ी ताकत के तौर पर उभरी. इस दौरान जर्मनी ने ब्लिट्जक्रिग अटैक के तहत पोलैंड को चौंका दिया. 1 सितंबर, 1939 को जर्मनी ने पोलैंड पर हवाई हमला किया जो बेल्जियम, हालैंड और फ्रांस तक जारी रहा. पोलैंड, बेल्जियम, हालैंड और फ्रांस के बाद जर्मनी ने जून 1940 को ब्रिटेन पर हमला कर दिया.

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जर्मनी ने इस बड़ी स्ट्राइक में 1200 फाइटर का इस्तेमाल किया था जिसके जवाब में ब्रिटेन के पास मात्र 600 स्पिटफायर और हरिकेन फाइटर थे.  जिन्होंने जर्मनी को करारा जवाब दिया और अंतत: हिटलर को ब्रिटेन में सैन्य कार्रवाई रोकनी पड़ी. 

पर्ल हार्बर और एटम बम

7 दिसंबर 1941 को जापानी वायुसेना ने अमेरिकी नौसेना की कमान पर्ल हार्बर पर 353 लड़ाकू विमानों से हमला बोल दिया इस हमले में अमेरिकी नौसेना को भारी नुकसान झेलना पड़ा. जापान के इस हमले के बाद नाजी जर्मनी और फासिस्ट इटली ने भी अमेरिका से युद्ध का ऐलान कर दिया.

पर्ल हार्बर में हुए नुकसान को अमेरिका भुला नहीं पाया और इसी घटना ने इतिहास के पहले परमाणु हमले की नींव रखी. जब अमेरिका ने अगस्त 1945 को जापान में लिटिल ब्वाय और फैट मैन नाम के दो परमाणु बम गिराए. जापान पर हुए परमाणु हमले का असर दशकों तक वहां के लोगों पर रहा.

कोरियाई प्रायद्वीप में युद्ध

द्वितीय विश्व युद्ध की खत्म होने के बाद भी विश्व की दो बड़ी शक्ति अमेरिका और सोवियत संघ में शीत युद्ध चलता रहा. यह एक ऐसा युद्ध था जो दोनों देशों की जमीन से दूर कहीं और लड़ा जा रहा था. कोरियाई प्रायद्वीप इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. जिसमें उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के युद्ध में एक तरफ से सोवियत संघ और दूसरी तरफ से अमेरिका ने मोर्चा संभाला. इस युद्ध में अमेरिका ने अत्याधुनिक F-80, F-86 और सोवियत संघ ने MiG 15 विमानों का इस्तेमाल किया.

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इस युद्ध से कोरियाई प्रायद्वीप अमेरिका समर्थिक दक्षिण कोरिया और कम्युनिस्ट समर्थित उत्तर कोरिया दो देशों में बंट गया. उत्तर कोरिया आज भी अमेरिका के लिए सिरदर्द बना हुआ है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प तमाम अत्याधुनिक तकनीक के बावजूद उत्तर कोरिया के नेता से शांति वार्ता कर रहे हैं.

खाड़ी युद्ध

संयुक्त राष्ट्र द्वारा ईराक को कुवैत छोड़ने की तय समय सीमा के एक दिन बाद नाटो देश और अरब देशों ने ईराक पर हमला कर दिया. इस हमले में अमेरिका, सऊदी अरब, फ्रांस, इटली, कुवैत और अन्य अरब देश शामिल थे. जानकारों की मानें तो खाड़ी युद्ध में आज के समय मौजूदा सबसे खतरनाक और अत्याधुनिक विमान तैनात किए गए. जिसमें F-111 और दुनिया का सबसे बड़ा बमवर्षक B-52 विमान प्रमुख थे. मार्च 1991 को ईराक को नाटो ताकतों के समक्ष झुकना पड़ा.

लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश सीनियर द्वारा शुरू किया गया यह युद्ध उनके बेटे और पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने खत्म किया. जिसमें ईराक के शासक सद्दाम हुसैन को पकड़ लिया गया. भले ही ईराक से सद्दाम हुसैन का खात्मा हो गया, लेकिन इसके बाद ईराक आईएसआईएस के आतंक की जद में आ गया.

इजराइल, सीरिया और फिलिस्तीन

इजराइल ने 9 जून 1982 को ऑपरेशन मोल क्रिकेट-19 के तहत 100 लड़ाकू विमानों से सीरिया पर हमला कर दिया. इस हमले में सीरिया के जमीन से हवा में मार करने वाली 19 मिसाइल बैटरी तबाह हो गईं इसके साथ ही सीरिया के 80 से ज्यादा विमान भी तबाह हो गए. जबकि इजराइल को कोई भी नुकसान नहीं हुआ. बाद में अमेरिका ने दोनों देशों के बीच सीज फायर कराया.

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इसके अलावा इजराइल पड़ोसी देश फिलिस्तीन, लेबनान और मिस्र के खिलाफ भी हवाई अभियान छेड़ता रहा है. इजराइल का निशाना मुख्यत: हमास, हिजबुल्ला और मुस्लिम ब्रदरहुड के चरमपंथी होते थे. लेकिन इजराइल के इन हवाई हमलों से आस-पास के देशों से चरमपंथ का खात्मा नहीं हुआ और न ही गाजा पट्टी, गोलन घाटी और जेरूसलम विवाद.

आतंक के खिलाफ युद्ध

 9/11 हमले के बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान में एयर स्ट्राइक की और नाटो देशों के साथ दाखिल हुआ. अमेरिका ने तब की तालिबान सरकार से अलकायदा के मुखिया ओसामा बिन लादेन और अन्य आतंकियों को सौंपने को कहा लेकिन तालिबान ने इन्कार कर दिया. इसके बाद अमेरिका ने तालिबान पर हमला बोल दिया. साल 2001 में अफगानिस्तान में दाखिल हुआ अमेरिका 17 साल तक तालिबानियों से लड़ता रहा. अमेरिकी और नाटो ताकतों के बमबर्षक विमानों ने अफगानिस्तान में भारी तबाही मचाई लेकिन तालिबानियों का सफाया नहीं कर पाए.

साल 2011 में अमेरिका के नेवी सील कमांडो ने पाकिस्तान के एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन को मार गिराया. फिर भी तालिबान और आतंकवाद का सफाया अफगानिस्तान में नहीं हुआ. आज स्थिति यह है कि अफगानिस्तान में दाखिल होने के 17 साल बाद अमेरिका उन्हीं तालिबानियों के साथ शांतिवार्ता कर रहा है जिनके खिलाफ कभी उसने सबसे बड़ा युद्ध छेड़ा था.

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यहां गौर करने वाली बात यह है कि अमेरिका और नाटो देशों ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अपनी धरती या अपने पड़ोस में युद्ध नहीं लड़ा. अमेरिकी और नाटो सेना ने जब भी युद्ध लड़ा तो वो जमीन किसी और देश की होती थी. फिर चाहे हाल ही में सीरिया, लीबिया, ईराक या अफगानिस्तान किसी को भी ले लीजिए. एयर स्ट्राइक से कम नुकसान में ज्यादा तबाही तो होती है. लेकिन जमीन पर कब्जे के लिए पैदल सेना ही चाहिए होती है. बड़ा सवाल यही है कि दूश्मन देश पर नियंत्रण रखने के लिए पैदल सेना रखे कौन?

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