बांस का ढांचा, तेज हवा और धधक उठे 2000 फ्लैट्स... हॉन्ग कॉन्ग में 30 साल की सबसे भीषण आग

हॉन्ग कॉन्ग के ताई पो जिले में बुधवार को लगी पिछले तीन दशकों की सबसे भीषण आग में कम से कम 44 लोगों की मौत हो गई और करीब 300 लोग अब भी लापता हैं. यह आग मरम्मत के दौरान 32 मंजिला इमारत की बाहरी बांस की ज्वलनशील स्कैफोल्डिंग से शुरू होकर पूरे आठ टावरों वाले परिसर की सात इमारतों में फैल गई. तेज हवाओं और निर्माण में इस्तेमाल नेटिंग के कारण आग तेजी से ऊपर तक पहुंची.

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अधिकारियों के मुताबिक इमारतों के भीतर तापमान इतना ज्यादा है कि राहत कार्य में बहुत दिक्कत आ रही है. (Photo: AP) अधिकारियों के मुताबिक इमारतों के भीतर तापमान इतना ज्यादा है कि राहत कार्य में बहुत दिक्कत आ रही है. (Photo: AP)

aajtak.in

  • बीजिंग,
  • 27 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 4:22 PM IST

पिछले तीन दशकों में हॉन्ग कॉन्ग की सबसे भीषण आग में कम से कम 44 लोगों की मौत हो गई है और करीब 300 लोग अब भी लापता हैं. यह आग बुधवार को ताई पो जिले में आवासीय इमारतों के एक समूह में लगी, जो ज्वलनशील बांस की स्कैफोल्डिंग से ढका हुआ था. इस आग ने करीब 2000 अपार्टमेंट्स को अपनी जद में ले लिया.

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स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पुलिस ने इस आग से जुड़े मामले में गैर-इरादतन हत्या के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. इन गिरफ्तारियों का सीधा संबंध इस अग्निकांड से बताया जा रहा है.

(फोटो: AP)

बांस की स्कैफोल्डिंग से फैली आग

यह भीषण आग बुधवार दोपहर एक 32 मंजिला टावर की बाहरी बांस की स्कैफोल्डिंग में भड़की, जहां मरम्मत का काम चल रहा था. आग तेजी से आठ टावरों वाले इस आवासीय परिसर की सात इमारतों में फैल गई. निर्माण में इस्तेमाल की गई नेटिंग और तेज हवाओं के कारण आग ने तेजी से ऊंचाई पकड़ ली और पास की इमारतों तक पहुंच गई, जिससे न्यू टेरिटरीज इलाके में घना धुआं फैल गया.

140 से ज्यादा फायर ट्रक और 60 एंबुलेंस तैनात

सैकड़ों लोगों को, जिनमें बड़ी संख्या में बुजुर्ग शामिल थे, सुरक्षित स्थानों पर ले जाना पड़ा. जलती हुई स्कैफोल्डिंग और मलबा नीचे गिरता रहा. दमकल विभाग की टीमों ने आग बुझाने के लिए 140 से ज्यादा फायर ट्रक और 60 एंबुलेंस तैनात कीं. करीब 900 लोगों को अस्थायी शरण स्थलों में पहुंचाया गया.

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(फोटो: AP)

हॉन्ग कॉन्ग के चीफ एग्जीक्यूविटव जॉन ली ने कहा कि शुरुआती जांच शुरू कर दी गई है और आपातकालीन टीमें लापता लोगों की तलाश में जुटी हुई हैं. उन्होंने कहा, 'पुलिस और फायर सर्विसेज डिपार्टमेंट ने आग के कारणों की जांच के लिए एक विशेष टीम गठित कर दी है.' उन्होंने यह भी बताया कि आधी रात के बाद आग काफी हद तक काबू में आ गई थी.

बचाव कार्य में बाधा बन रहा तापमान

अधिकारियों के अनुसार, कम से कम 45 लोग अब भी अस्पताल में भर्ती हैं, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर है. फायर कमांडरों का कहना है कि इमारतों के भीतर अत्यधिक तापमान की वजह से राहत और बचाव कार्य में भारी दिक्कतें आ रही हैं. फायर सर्विस ऑपरेशंस के डिप्टी डायरेक्टर डेरेक आर्मस्ट्रॉन्ग चान ने कहा, 'प्रभावित इमारतों का मलबा और स्कैफोल्डिंग लगातार गिर रही है. अंदर का तापमान बहुत ज्यादा है. ऐसे में हमारे लिए इमारत के भीतर जाकर ऊपर की मंजिलों तक पहुंचकर आग बुझाना और लोगों को बचाना बेहद मुश्किल हो रहा है.'

(फोटो: AP)

इमारतों में चल रहा था मरम्मत का काम

इस आग को लेवल-5 अलर्ट घोषित किया गया, जो हॉन्ग कॉन्ग में आपात स्थिति की सबसे ऊंची श्रेणी होती है. शाम भर कई इमारतों से धुआं उठता रहा. दमकलकर्मियों ने ऊपरी मंजिलों तक पानी पहुंचाने के लिए सीढ़ी वाले फायर ट्रकों का इस्तेमाल किया, जबकि पुलिस और पैरामेडिक्स ने आसपास की सड़कों को खाली कराया.

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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस ऑपरेशन के दौरान जान गंवाने वाले एक अग्निशमन कर्मी के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की और पीड़ितों के परिवारों के प्रति संवेदना जताई. यह आवासीय परिसर 1980 के दशक में बने आठ ऊंची इमारतों से मिलकर बना है, जहां बड़े स्तर पर मरम्मत का काम चल रहा था. 

(फोटो: रॉयटर्स)

1996 के बाद सबसे भीषण आग

अधिकारियों का कहना है कि आग टावर के बाहर लगी बांस की स्कैफोल्डिंग से शुरू हुई और इमारतों के बीच तेज हवाओं के कारण तेजी से फैल गई. यह हादसा हॉन्ग कॉन्ग में दशकों का सबसे घातक अग्निकांड माना जा रहा है. इससे पहले नवंबर 1996 में इतनी बड़ी आग लगी थी, जब कॉवलून में एक व्यावसायिक इमारत में करीब 20 घंटे तक आग जलती रही और उसमें 41 लोगों की मौत हो गई थी.

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