मुंबई हमलों के सरगना और जमात उद दावा (जेयूडी) चीफ हाफिज सईद को पहली बार पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की सरकार ने लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम में बुधवार को ईद की नमाज का नेतृत्व नहीं करने दिया. सरकार के इस कदम के कारण सईद को अपने घर जौहर टाउन के निकट स्थानीय मस्जिद में ही नमाज पढ़ना पड़ा.
जमात चीफ सईद गद्दाफी स्टेडियम में ईद की नमाज का नेतृत्व करना चाहता था, लेकिन पंजाब सरकार के अधिकारी ने उसे बताया कि वह ऐसा नहीं कर सकता.बता दें कि गद्दाफी स्टेडियम हाफिज सईद का पसंदीदा स्थान है.
एक अधिकारी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि अगर वह ऐसा करता तो सरकार उसे गिरफ्तार कर सकती थी. उन्होंने कहा कि सईद के पास सरकार का निर्देश मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था. इसके बाद उसने गद्दाफी स्टेडियम में नमाज का नेतृत्व करने का विचार छोड़ दिया.
सईद अपने पसंदीदा गद्दाफी स्टेडियम में ईद-उल-फितर और ईद-उल-जुहा पर नमाज बीते कई वर्षों से बिना किसी रोकटोक के करते आ रहा था. सरकार तो बाकायदा उसे सुरक्षा भी प्रदान करती थी.
सईद ना सिर्फ यहां नमाज पढ़ता था बल्कि भारी संख्या में मौजूद लोगों के सामने भारत के खिलाफ भड़काऊ बयान भी देता था. सईद को मुंबई हमले के बाद 10 दिसंबर को सयुंक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने बैन कर दिया था. इसे हमले में 166 लोगों की मौत हुई थी.
इमरान खान सरकार ने FATF को लेकर अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए तीन महीने पहले ही आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के बाद से सईद को लो प्रोफाइल रखा है.
फरवरी में, पेरिस स्थित FATF ने जैश-ए-मोहम्मद (JeM), लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जेयूडी जैसे आतंकवादी समूहों के फंडिंग को रोकने में असफल रहने के कारण पाकिस्तान को 'ग्रे' लिस्ट में जारी रखने का फैसला किया था.
मार्च में, सईद को लाहौर के जेयूडी मुख्यालय जामिया मस्जिद कादसिया में शुक्रवार को साप्ताहिक उपदेश देने से भी रोक दिया गया था. मस्जिद कादसिया का नियंत्रण जब तक पंजाब सरकार के अधीन था तब सईद को शुक्रवार को उपदेश देने से कभी नहीं रोका गया.
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