फ्रांस के भारत स्थित राजदूत ने भारतीय मीडिया में छपी उन खबरों को गलत बताया है, जिनमें यह कहा गया था कि खुद फ्रांस सरकार ने राफेल विमान भारत की तुलना में करीब आधे दाम पर लेने के लिए ऑर्डर दिया है. गौरतलब है कि मंगलवार को कांग्रेस के अखबार नेशनल हेराल्ड सहित कई वेबसाइट्स पर यह खबरें आईं थीं कि खुद फ्रांस सरकार ने राफेल विमान के जो नए ऑर्डर दिए हैं, उनमें वे भारत के मुकाबले आधे दाम पर मिल रहे हैं.
खबरों में कहा गया था कि फ्रांस सरकार ने दसॉ एविएशन से अपग्रेडेड/नेक्स्ट जनरेशन वर्जन का 28 राफेल विमान करीब 2.3 अरब पौंड में खरीदने का ऑर्डर दिया है. बताया जा रहा है कि यह खबर खुद फ्रांस के प्रमुख अखबार ली फिगारो में 14 जनवरी को छपी है और इस अखबार का स्वामित्व खुद दसॉ समूह के पास है, इसलिए इसे विश्वसनीय माना जाना चाहिए. खबर के अनुसार अप्रैल 2015 में नरेंद्र मोदी सरकार ने 36 विमान के लिए सौदा 7.87 अरब डॉलर में किया था (हालांकि, खुद सरकार ने अभी कीमत के बारे में किसी तरह का खुलासा नहीं किया है).
लेकिन फ्रांस सरकार ने इसकी सफाई में कहा है कि 2 अरब यूरो का जो आंकड़ा बताया जा रहा है, वह असल में राफेल के नए एफ4 वैरिएंट के विकास के लिए है, विमान खरीदने के लिए नहीं. नेशनल हेराल्ड की खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए फ्रांस के भारत स्थित राजदूत अलैक्जेंडर जिएगलर ने कहा, ' फ्रांस ने कल किसी नए विमान की खरीद का कोई ऑर्डर नहीं दिया है! आप जिस राशि की बात कर रहे हैं, वह केवल राफेल के नए एफ4 स्टैंडर्ड के विकास के लिए है. एयर फोर्स को जिस 28 राफेल डिलिवरी मिलने की बात की जा रही है, वह भी पहले की खरीद सौदे के तहत है.'
राफेल सौदे के लिए बात यूपीए सरकार के दौर में ही शुरू हुई थी. लेकिन साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी सरकार बनी तो उसने इस दिशा में फिर से प्रयास शुरू किया. पीएम मोदी की फ्रांस यात्रा के दौरान साल 2015 में भारत और फ्रांस के बीच इस विमान की खरीद को लेकर समझौता किया. इस समझौते में भारत ने जल्द से जल्द 36 राफेल विमान फ्लाई-अवे यानी उड़ान के लिए तैयार विमान हासिल करने की बात कही. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार यह दावा करते रहते हैं कि इस सौदे में घपला हुआ है और एक निजी कंपनी को फायदा पहुंचाया गया है.
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