पाकिस्तान में हर साल 1000 लड़कियों को जबरन बनाया जा रहा है मुसलमान: रिपोर्ट

पाकिस्तान में हर साल हजारों लड़कियों को जबरन मुसलमान बनाया जा रहा है. तमाम लड़कियों का अपहरण करके उनकी जबरन शादी कराई जा रही है. एसोसिएट प्रेस ने इसे लेकर विस्तृत रिपोर्ट छापी है.

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पाकिस्तान में लड़कियों का जबरन धर्मांतरण पाकिस्तान में लड़कियों का जबरन धर्मांतरण

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 30 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 8:16 PM IST
  • पाकिस्तान में बढ़ रहीं जबरन धर्मांतरण की घटनाएं
  • अमेरिकी रिपोर्ट में भी जताई गई थी चिंता
  • हिंदू और ईसाई लड़कियों को किया जाता है टारगेट

पाकिस्तान में हर साल करीब 1000 लड़कियों को जबरन मुसलमान बनाने की रिपोर्ट सामने आई है. अमेरिकी समाचार एजेंसी एसोसिएट प्रेस ने इस पर विस्तार से एक रिपोर्ट प्रकाशित की है. पाकिस्तान की कई लड़कियों ने समाचार एजेंसी एपी को जबरन मुसलमान बनाए जाने की आपबीती सुनाई है. 14 साल की नेहा भी उन्हीं में से एक है.  

पाकिस्तान की नेहा धर्मांतरण से पहले ईसाई थी. लेकिन पिछले साल उसे जबरन मुसलमान बना दिया गया. नेहा की शादी जिस मुस्लिम पुरुष से कराई गई, उसकी उम्र 45 साल है. पति फिलहाल, नाबालिग से शादी और रेप के आरोप में जेल में है. लेकिन नेहा अब भी बहुत डरी हुई है क्योंकि अदालत में उसके पति के भाई के पास से सुरक्षा कर्मियों ने पिस्तौल जब्त की थी. नेहा ने बताया कि वो उसे गोली मारने के लिए बंदूक लाया था. 

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लॉकडाउन में बढ़ीं जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाएं

पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों के जबरन धर्मांतरण की घटनाएं अक्सर सामने आती रहती हैं. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान ऐसी घटनाएं और बढ़ गईं. लड़कियों की तस्करी करने वाले अब इंटरनेट पर ज्यादा सक्रिय हैं. कई परिवार लॉकडाउन की वजह से कर्ज तले दबे हुए हैं और मजबूरी में अपने घर की लड़कियों के जबरन धर्मांतरण और शादी के लिए हामी भर रहे हैं. 

अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने इसी महीने धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के मामले में पाकिस्तान की स्थिति चिंताजनक बताई थी, जिसे पाकिस्तान की सरकार ने खारिज कर दिया था. पाकिस्तान को धार्मिक स्वतंत्रता के मामले में चिंताजनक श्रेणी में डाला गया था. 

इसका प्रमुख आधार अमेरिकी धार्मिक स्वतंत्रता आयोग की रिपोर्ट थी, जिसमें कहा गया था कि पाकिस्तान में हिंदू, ईसाई और सिख अल्पसंख्यकों की नाबालिग लड़कियों का अपहरण कर उनका इस्लाम में जबरन धर्मांतरण किया जा रहा है. उनकी जबरन शादी की जा रही है और उनके साथ बलात्कार हो रहा है.

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ईसाई धर्म की लड़कियों को भी जबरन बनाया जा रहा मुस्लिम

पाकिस्तान में जबरन धर्मांतरण के अधिकतर मामले सिंध प्रांत से आते हैं, जहां की हिंदू आबादी बेहद गरीब है. हालांकि, पिछले कुछ महीनों से, पाकिस्तान में नेहा समेत ईसाई धर्म की दो लड़कियों के जबरन धर्मांतरण का मामला सुर्खियों में रहा है. अधिकतर लड़कियों का अपहरण उनके परिचित, रिश्तेदार या दुल्हन तलाश रहे लोग ही करते हैं. 

एक्टिविस्ट जिब्रान नासिर शादी कराने वाले मौलवी, दलाल और अधिकारियों के पूरे नेटवर्क को माफिया करार देते हैं. ये माफिया गैर-मुस्लिम लड़कियों को शिकार बनाते हैं क्योंकि वे उम्रदराज और यौन उत्पीड़न करने वाले लोगों के लिए आसान टारगेट होती हैं. 

इन गिरोह का जोर इस्लाम में धर्मांतरण कराने से ज्यादा वर्जिन दुल्हनों की डिमांड पर रहता है. पाकिस्तान की 22 करोड़ की कुल आबादी में अल्पसंख्यक समुदाय की आबादी महज 3.6 फीसदी है और उनके खिलाफ अक्सर भेदभाव होता है. 

अगर कोई जबरन धर्मांतरण की शिकायत करने के लिए आगे आता है तो उसे बड़ी आसानी से ईशनिंदा के आरोप के तहत प्रताड़ित किया जा सकता है.

सोनिया और आरजू की कहानी

सिंध प्रांत के काशमोर इलाके की रहने वाली 13 साल की सोनिया कुमारी का भी अपहरण किया गया था. अपहरण के एक दिन बाद पुलिस ने उसके अभिभावकों को बताया कि वह हिंदू से मुसलमान बन गई है. सोनिया की मां का वीडियो भी इंटरनेट पर वायरल हुआ था, जिसमें वे अपनी बेटी को वापस लौटाने के लिए गिड़गिड़ाती नजर आती हैं. वीडियो में वो कहती हैं, ईश्वर, या कुरान के खातिर, जिसमें भी तुम यकीन करते हो, प्लीज मेरी बेटी को लौटा दो.

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एक हिंदू एक्टिविस्ट ने एपी न्यूज एजेंसी से बातचीत में नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि उन्हें एक पत्र मिला जिसे परिवार वालों से जबरदस्ती लिखवाया गया था. इस पत्र में दावा किया गया था कि 13 साल की सोनिया ने अपनी मर्जी से धर्मांतरण किया है और 36 वर्षीय व्यक्ति से शादी की है. उसके माता-पिता ने अब हार मान ली है.

आरजू राजा भी 13 साल की ही थी जब वो अचानक सेंट्रल कराची स्थित घर से गायब हो गई थी. ईसाई समुदाय की आरजू के माता-पिता ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई और पुलिस से उसे ढूंढने के लिए मिन्नतें कीं. दो दिन बाद, अधिकारियों ने बताया कि आरजू का इस्लाम में धर्मांतरण हो चुका है और उसकी शादी पड़ोस के ही 40 वर्षीय एक व्यक्ति से हो गई है.

सिंध प्रांत में, लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल है. आरजू के मैरिज सर्टिफिकेट में उसकी उम्र 19 साल दर्ज कराई गई. जिस मौलवी अहमद मुफ्ती ने आरजू की शादी कराई, उस पर तीन और नाबालिगों की शादी कराने का आरोप है. आरजू की शादी कराने के लिए अरेस्ट वारंट जारी होने के बावजूद, वो मौलवी कराची के अपने दफ्तर से बैठकर अब भी नाबालिग लड़कियों की शादियां कराता है.

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जब एसोसिएट प्रेस के रिपोर्टर उसके दफ्तर पहुंचे, मुफ्ती वहां से भाग निकला. उसी कॉम्प्लेक्स में दर्जनों मौलवी नाबालिग लड़कियों की शादी कराते हैं. एक मौलवी पहले से ही जेल में है. वहां पर मौजूद एक अन्य मौलवी ने कहा कि वह सिर्फ 18 साल और उससे ज्यादा उम्र की लड़कियों की ही शादी कराते हैं. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि इस्लामिक कानून, 14 या 15 साल की लड़कियों की शादी करने की अनुमति देता है.

आरजू की मां रीता राजा ने कहा कि पुलिस पहले उनकी अपील को नजरअंदाज करती रही. लेकिन कोर्ट के बाहर एक दिन जब वह अपनी बेटी के लिए रो रही थीं तो किसी ने वीडियो बना लिया और वो वायरल हो गया. इसके बाद, अधिकारी सक्रिय हुए.

अधिकारियों ने आरजू के पति को गिरफ्तार कर लिया लेकिन मां का कहना है कि उनकी बेटी अब भी घर आने से इनकार करती है. रीता का कहना है कि वह अपने पति के परिवार को लेकर डरी हुई है.

परिवार वाले भी छोड़ देते हैं साथ

ईसाई धर्म से इस्लाम में धर्मांतरण का शिकार हुई नेहा ने बताया कि उसे उसकी मौसी ने ही इस शादी में फंसाया था. उसकी मौसी ने अपने बीमार बेटे को देखने के लिए अस्पताल चलने का बहाना बनाया था. वो खुद भी कुछ साल पहले इस्लाम में कन्वर्ट हुई थीं. जिस अपार्टमेंट में नेहा का परिवार रहता था, उसी में वो अपने पति के साथ रहती थीं.

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अस्पताल ले जाने के बजाय नेहा की मौसी उसे अपने ससुराल ले गईं और कहा कि उसकी शादी उनके 45 साल के देवर से होगी.

नेहा बताती है, मैंने उनसे कहा कि मैं ये शादी नहीं कर सकती हूं. मैं अभी बहुत छोटी हूं और वो उम्र में बहुत बड़ा है. लेकिन मेरी मौसी ने मुझे थप्पड़ मारा और मुझे एक कमरे में बंद कर दिया.

नेहा को उसकी मौसी ने धमकी दी थी कि अगर वो इस शादी से इनकार करेगी तो उसके दो साल के छोटे भाई को नुकसान पहुंचेगा.

जब नेहा मैरिज सर्टिफिकेट पर साइन करने जा रही थी, तब जाकर उसे अपने धर्मांतरण का पता चला. सर्टिफिकेट पर उसका नया नाम फातिमा लिखा हुआ था.

एक हफ्ते तक उसे एक कमरे में बंद करके रखा गया. जब उसका पति पहली बार उसके पास आया तो वो रोने लगी थी.

नेहा उस रात को याद करते हुए बताती है, मैं पूरी रात चीखी-चिल्लाई. मेरे दिमाग से आज तक वो रात नहीं निकल पाई है. नेहा कहती हैं, मैं उससे नफरत करती हूं. उसकी बड़ी बेटी मेरे लिए खाना लाया करती थी. मैं उससे भागने में मदद के लिए गिड़गिड़ाती रहती. अपने पिता से डर के बावजूद एक दिन उसने मुझे बुर्का लाकर दिया और वहां से भागने में मेरी मदद की. लेकिन जब मैं अपने घर पहुंची तो मेरे घर वालों ने ही मुझसे मुंह मोड़ लिया. मेरे घर वाले मेरे पति को लेकर डर रहे थे. 

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मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि पाकिस्तान में जिन लड़कियों के साथ बलात्कार हो गया हो या उनकी शादी हो गई हो, उन्हें घर वाले भी बोझ समझते हैं.

नेहा अब भी रात में अचानक जाग जाती है. वो स्कूल वापस जाना चाहती है लेकिन अब सब कुछ खत्म हो चुका है. यहां तक कि उसके परिवार ने भी उसका साथ छोड़ दिया है.

 

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