गर्भवती महिलाओं के लिए क्यों खतरनाक है पैरासिटामोल? ट्रंप के दावे से दुनियाभर में बढ़ी टेंशन

अमेरिका के स्वास्थ्य मंत्री रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर के नेतृत्व में कई महीनों तक की गई व्यापक जांच के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने पैरासिटोमोल को लेकर यह ऐलान किया. उन्होंने दावा किया कि गर्भवती महिलाओं द्वारा पैरासिटामोल का उपयोग करने पर ऑटिज्म का खतरा बढ़ जाता है.

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एसिटामिनोफेन को लेकर क्या बोले डोनाल्ड ट्रंप (Photo: AFP) एसिटामिनोफेन को लेकर क्या बोले डोनाल्ड ट्रंप (Photo: AFP)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:20 PM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पैरासिटामोल को लेकर बड़ा बयान दिया है. ट्रंप का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान पैरासिटामोल खाने से बच्चे में ऑटिज्म का खतरा बढ़ता है. इसे लेकर ट्रंप ने चेतावनी भी जारी की.

ट्रंप ने व्हाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि मुझे लगता है हमें ऑटिज्म का जवाब मिल गया है. गर्भावस्था में महिलाओं द्वारा एसिटामिनोफेन (Acetaminophen) दवा का इस्तेमाल करने से बच्चे में ऑटिज्म का जोखिम बढ़ता है. 

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उन्होंन गर्भवती महिलाओं को चेतावनी दी कि वे पैरासिटामोल का इस्तेमाल केवल अत्यंत जरूरी होने पर करें क्योंकि यह बच्चों में ऑटिज्म का जोखिम बढ़ा सकता है. कहा जा रहा है कि इस फैसले के पीछे ट्रंप के स्वास्थ्य मंत्री रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर है, जो पर्यावरणीय कारकों और दवाओं को ऑटिज्म से जोड़ने के लिए जाने जाते हैं.

ट्रंप ने घोषणा की कि US Food and Drug Administration (FDA) गर्भवती महिलाओं के लिए एसिटामिनोफेन के लेबल पर चेतावनी जोड़ेगा, जिसमें गर्भावस्था में इसके उपयोग को लेकर वॉर्निंग दी जाएगी. ट्रंप ने कहा कि हम गर्भवती महिलाओं को बता रहे हैं कि इसके इस्तेमाल से बचें, जब तक यह मेडिकली बहुत जरूरी न हो.

बता दें कि अमेरिका में पैरासिटामोल को एसिटामिनोफेन कहा जाता है, जो आमतौर पर Tylenol जैसे ब्रांड के तहत बिकता है. इस चेतावनी के बाद USFDA को इसके लेबल उपयोग में बदलाव करना पड़ा. भारत में एसिटामिनोफेन को पैरासिटामोल के नाम से जाना जाता है और इसे दशकों से गर्भावस्था के दौरान सबसे सुरक्षित दवा माना जाता रहा है. इसी के साथ USFDA ने ऑटिज्म के कुछ लक्षणों के इलाज के लिए ल्यूकोवोरिन की मंजूरी शुरू की है.

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अब ट्रंप के दबाव में FDA ने पैरासिटामोल के लेबल पर नई चेतावनी जोड़ने की प्रक्रिया शुरू की है. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इसे दावे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है. उनका कहना है कि किसी प्रशासन के पहले साल में इतना बढ़ा निष्कर्ष निकालना संभव नहीं है.ऑटिज्म को लेकर अभी और गहन शोध की जरूरत है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि पर्यावरणीय कारकों की इसमें कोई भूमिका है या नहीं.

बता दें कि रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर कई साल से यह दावा करते आए हैं कि टीका ऑटिज्म बढ़ने का कारण हो सकता है. हालांकि, यह विचार वैज्ञानिक तौर पर कई बार खारिज किया जा चुका है.

भारतीय डॉक्टर्स क्या बोले?

भारतीय डॉक्टर इस पर सतर्क हैं लेकिन व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाएंगे. फोर्टिस अस्पताल, गुरुग्राम की डॉ. नूपुर गुप्ता (निदेशक, प्रसूति एवं स्त्री रोग) ने कहा, 'कुछ डॉक्टर इस बात को लेकर चिंतित हो सकते हैं कि इससे गर्भवती महिलाओं में घबराहट फैल सकती है या वे जरूरत पड़ने पर भी दवा लेने से बच सकती हैं. इसके अलावा, चूंकि भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र बहुत बड़ा है और कई महिलाओं को विशेषज्ञ देखभाल आसानी से नहीं मिल पाती, इसलिए डॉक्टर बुखार या दर्द का इलाज कम करने के जोखिम को लेकर चिंतित हो सकते हैं.'

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वहीं, डॉ. ममता मिश्रा (निदेशक, प्रसूति एवं स्त्री रोग, फोर्टिस वसंत कुंज) ने कहा, 'मौजूदा साक्ष्यों को देखते हुए, ऑटिज़्म की विकृति का पता लगाना अभी भी मुश्किल है. यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि यह दवा की अधिक खुराक के कारण हो रहा है या बुखार या अन्य बाहरी कारकों के कारण. हम और सबूत सामने आने का इंतज़ार करना चाहेंगे.'

डॉक्टर मिश्रा ने आगे कहा, 'क्या भारत में गर्भवती महिलाओं को पैरासिटामोल (डोलो, क्रोसिन) लेने की सलाह जारी रहेगी? हां, शायद — लेकिन कुछ सावधानियों के साथ. खास तौर पर, डॉक्टर गर्भावस्था में हल्के से मध्यम दर्द, पीड़ा, बुखार के लिए, जरूरत पड़ने पर, पैरासिटामोल को पहली पसंद के रूप में लेने की सलाह देंगे, क्योंकि इसे NSAIDs आदि की तुलना में सबसे सुरक्षित विकल्पों में से एक माना जाता रहा है.'

(इनपुट- मिलन शर्मा)

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