पाकिस्तान में हुए आत्मघाती हमलों से टेंशन में आया चीन, कर सकता है अपने सुरक्षाकर्मियों की तैनाती

पाकिस्तान में चीनी कर्मचारियों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है. मंगलवार को खैबर पख्तूनख्वा में हुए आत्मघाती हमले में 5 चीनी नागरिकों की मौत हो गई थी. अब खबरें आ रही हैं कि चीन पाकिस्तान में अपनी सुरक्षा एजेंसियों की तैनाती के लिए सरकरा पर दबाव डाल सकता है.

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में पुलिस वाहन को निशाना बनाया गया (Photo: X/@YusraSAskari) पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में पुलिस वाहन को निशाना बनाया गया (Photo: X/@YusraSAskari)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 28 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 7:41 AM IST

चीन ने पाकिस्तान से अपने नागरिकों पर मंगलवार को हुए आत्मघाती हमले की गहन जांच करने को कहा है. चीन ने कहा कि इस हमले के पीछे शामिल लोगों का तुरंत पता लगाया जाए और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए.  ऐसी अटकलें लग रही हैं कि बीजिंग इस्लामाबाद पर सीपीईसी परियोजनाओं की सुरक्षा के लिए अपनी सुरक्षा एजेंसियों को तैनात करने के लिए दबाव डाल सकता है. पिछले कुछ दिनों में चीनी नागरिकों पर हमले लगातार बढ़े हैं. 

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 मंगलवार को पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में विस्फोटकों से भरे एक वाहन ने उनकी बस (चीनी नागरिकों) को टक्कर मार दी, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई और इनमें पांच चीनी नागरिक शामिल थे.  यह 2021 के बाद से चीन समर्थित जलविद्युत परियोजना पर काम कर रहे कर्मियों पर दूसरा आत्मघाती हमला है.

चीनी विदेश मंत्रालय का बयान

 चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान से जब मीडिया ब्रीफिंग के दौरान आत्मघाती हमले के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "चीन पाकिस्तान से जल्द से जल्द घटना की गहन जांच करने, अपराधियों की तलाश करने और उन्हें न्याय के कटघरे में खड़ा करने के लिए आग्रह करेगा. बार-बार होने वाले आतंकी हमलों के बावजूद, चीन 60 अरब अमेरिकी डॉलर की चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजनाओं जारी रखी है.

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लिन ने कहा, 'आतंकवाद से लड़ने में चीन दृढ़ता से पाकिस्तान का समर्थन करता है. चीन और पाकिस्तान के पास आतंकवादियों को इसकी कीमत चुकाने के लिए दृढ़ संकल्प और क्षमता है. हमारे दोनों देश सदाबहार रणनीतिक सहयोगी भागीदार हैं. हमारी मजबूत मित्रता दोनों देशों के बीच गहरी जड़ें जमा चुकी है. चीन-पाकिस्तान के संबंधों को नुकसान पहुंचाने का कोई भी प्रयास कभी सफल नहीं होगा. उन्होंने उन खबरों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ आने वाले दिनों में बीजिंग का दौरा करेंगे.

लगातार चीनी नागरिकों को निशाना बनाकर हो रहे हैं हमले

पाकिस्तान में यह परंपरा रही है कि वो पदभार ग्रहण करने के बाद चीन जरूर जाते हैं.  पहले कहा जा रहा था कि कि नकदी संकट से जूझ रही पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए शरीफ अधिक चीनी निवेश की मांग कर सकते हैं. अब पाकिस्तान में सीपीईसी में काम करने वाले हजारों चीनी कर्मियों की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं क्योंकि यह एक हफ्ते में पाकिस्तान में चीनी परियोजनाओं पर तीसरा बड़ा हमला था. इससे पहले, आतंकवादियों ने एक नौसैनिक एयरबेस और रणनीतिक ग्वादर बंदरगाह को निशाना बनाया था, जो चीन के शिनजियांग से जुड़ने वाली सीपीईसी की प्रमुख परियोजना है. 

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इस बीच, इस्लामाबाद में प्रधानमंत्री शरीफ ने बुधवार को चीनी नागरिकों पर घातक आतंकवादी हमले की गहन संयुक्त जांच का आदेश दिया. चीनी विश्लेषकों का कहना है कि हमले अलगाववादी बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के अलावा इस्लामी धार्मिक चरमपंथी समूहों द्वारा किए जा रहे हैं, जो बलूचिस्तान में चीन के निवेश का विरोध करते हैं और चीन और पाकिस्तान पर संसाधन संपन्न प्रांत के शोषण का आरोप लगाते हैं.

यह भी पढ़ें: पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में पुलिस स्टेशन पर सुसाइड अटैक, तीन जवानों की मौत

चीन के लिए परेशान करने वाली बात यह है कि आतंकवादी आत्मघाती बम हमलों का सहारा ले रहे हैं जिससे सुरक्षा एजेंसियों के लिए उन्हें रोकना मुश्किल हो रहा है. चीनी विशेषज्ञों का मानना है कि ताजा हमला जुलाई 2021 के दासू आतंकी हमले की तर्ज पर हुआ था जिसमें नौ चीनी नागरिक और चार पाकिस्तानी नागरिक मारे गए थे.

होगी चीनी सुरक्षाकर्मियों की तैनाती?

क्या पाकिस्तानी सुरक्षा हमले को रोकने में असमर्थ है? इस सवाल का जवाब में सिंगापुर की एक यूनिवर्सिटी में एसोसिएट रिसर्च फेलो अब्दुल बासित ने प्रतिक्रिया दी है. बासित ने भविष्यवाणी करते हुए कहा कि यह हमला चीनी कंपनियों को अपने स्वयं के सुरक्षा कर्मियों को नियुक्त करने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है, जो दोनों देशों के बीच विवाद के प्रमुख बिंदुओं में से एक है.

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उन्होंने कहा, 'चीन पाकिस्तान पर निजी चीनी सुरक्षा कंपनियों को आने और पाकिस्तान में चीनी परियोजनाओं की सुरक्षा करने की अनुमति देने के लिए दबाव डाल रहा है. इससे पाकिस्तानी सुरक्षा संस्थानों की छवि पर ख़राब असर पड़ता है.'

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