भारतीयों के लिए कनाडा की परमानेंट रेजिडेंसी हासिल करना दिन-ब-दिन मुश्किल होता जा रहा है. अच्छी इंग्लिश, हाई एजुकेशन और एक्सपीरियंस के बाद भी कनाडा का पीआर लेना आसान नहीं रहा लेकिन कुछ फील्ड्स ऐसे भी हैं, जिनके जरिए PR हासिल किया जा सकता है. कनाडा इस समय उन देशों में से है, जहां जनसंख्या तेज़ी से बूढ़ी हो रही है, जन्मदर घट रही है और नौजवान वर्कफोर्स की कमी है. ऐसे में कुछ सेक्टर्स ऐसे हैं जहां कामकाजी लोगों की ज़रूरत सबसे ज़्यादा है और सरकार खुले तौर पर ऐसे लोगों को पीआर का मौका दे रही है. ये तीन सेक्टर हैं: हेल्थकेयर, एजुकेशन और चाइल्डकेयर.
हेल्थकेयर: कनाडा की सबसे बड़ी प्राथमिकता
कनाडा में हेल्थकेयर सिस्टम आज सबसे बड़ी स्टाफिंग कमी से जूझ रहा है. हॉस्पिटल, क्लिनिक, लॉन्ग-टर्म केयर होम—हर जगह नर्स, केयर वर्कर और टेक्निकल स्टाफ की भारी कमी है. सरकार ने कई बार स्वीकार किया है कि हेल्थकेयर वर्कर्स के बिना सिस्टम नहीं चल सकता और अंतरराष्ट्रीय वर्कर्स ही इसे बचा रहे हैं.
किन प्रोफाइल की मांग सबसे ज़्यादा है?
एजुकेशन: स्कूलों व कॉलेजों में तीव्र स्टाफ की कमी
कनाडा में तेज़ी से बढ़ती आबादी, लगातार आ रहे नए माइग्रेंट्स और टीचर्स की रिटायरमेंट के कारण एजुकेशन सेक्टर में लोगों की तुरंत जरूरत है.
किन प्रोफाइल की डिमांड?
चाइल्डकेयर: डेकेयर वर्कर्स की भारी मांग
कनाडा ने 10 डॉलर प्रति दिन चाइल्ड केयर पॉलिसी लागू की है, जिसके बाद नए डेकेयर सेंटर तेज़ी से खुल रहे हैं लेकिन स्टाफ नहीं है. इसी वजह से कई प्रांतों ने childcare workers (ECE assistants, daycare educators) को तुरंत PR देने की दिशा में policies आसान की हैं.
किन प्रोफाइल्स की जरूरत?
इन सेक्टर्स में आने वाले महीनों में और ज्यादा occupation-based draws होने की उम्मीद है. इसके अलावा अलग-अलग प्रांत इन सेक्टर्स में कम सीआरएस स्कोर पर भी लोगों को बुला रहे हैं. इस पर इमिग्रेशन कंसल्टेंट का कहना है कि अब कुछ ही तरीके ऐसे हैं, जिनके जरिए आसानी से पीआर हासिल किया जा सकता है, जिनमें से एक इन 3 फील्ड में काम करना है. अगर आपके पास इन सेक्टर्स में काम का अनुभव है तो आप थोड़ी मेहनत में कनाडा का पीआर हासिल कर सकते हैं.
हुमरा असद