'इतिहास याद रखेगा कि भारतीय जमीन पर शुरू हुआ', मोदी सरकार के किस प्रोजेक्ट को सीतारमण ने बताया क्रांतिकारी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2024 का अंतरिम बजट पेश किया. अपने बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने इंडिया-मिडिल-ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर का जिक्र किया. भारत को यूरोप से जोड़ने वाला यह कॉरिडोर बेहद अहम माना जा रहा है. इससे भारत का निर्यात बढ़ने की उम्मीद है.

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निर्मला सीतारमण 2024 का अंतरिम बजट पेश कर रही हैं (Photo- PTI) निर्मला सीतारमण 2024 का अंतरिम बजट पेश कर रही हैं (Photo- PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 01 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 12:46 PM IST

Interim Budget 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार के दिन मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट पेश किया. अपने अंतरिम बजट भाषण में वित्त मंत्री ने खासतौर से इंडिया मिडिल ईस्ट-यूरोप व्यापार कॉरिडोर (IMEC) का जिक्र किया और कहा कि कॉरिडोर आने वाले 100 सालों में वैश्विक व्यापार का आधार बनेगा.  

वित्त मंत्री ने कहा, 'कोविड महामारी के बाद एक नई वैश्विक व्यवस्था उभर रही है. जब दुनिया बेहद मुश्किल दौर से गुजर रही थी, भारत ने जी20 की मेजबानी की. महामारी के कारण खाद्य संकट, उर्वरक, भोजन और वित्त की कमी से गुजरते विश्व में भारत ने सफलतापूर्वक अपना रास्ता निकाल लिया है.'

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उन्होंने कहा, 'इंडिया मिडिल ईस्ट-यूरोप व्यापार कॉरिडोर जिसकी घोषणा पिछले साल जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान की गई थी, यह भारत और पूरे विश्व के लिए एक गेमचेंजर साबित होगा. विकसित भारत के लिए हमारा नजरिया प्रकृति के साथ चलकर समृद्धि हासिल करना और सभी को अपनी क्षमता तक पहुंचने का अवसर देना है.'

वित्त मंत्री ने कहा, "यह भारत के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, पीएम मोदी के शब्दों को दोहराऊं तो अगले 100 सालों में ये कॉरिडोर विश्व व्यापार का यह आधार बनेगा. इतिहास याद रखेगा कि इस कॉरिडोर को भारतीय जमीन पर शुरू किया गया था."

क्या है IMEC?

IMEC भारत को मध्य-पूर्व के जरिए यूरोप से जोड़ने का एक मेगा प्रोजेक्ट है जिसे पिछले साल भारत में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान मंजूरी मिली थी. 9 सितंबर को इस प्रोजेक्ट के एमओयू पर हस्ताक्षर हुआ और इसे एक ऐतिहासिक समझौता बताया गया. जिन देशों ने एमओयू पर हस्ताक्षर किया उसमें भारत के अलावा अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), यूरोपीय यूनियन, फ्रांस, इटली और जर्मनी जैसे देश शामिल हैं.

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इसके तहत एक विशाल इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा जिसमें रेल और समुद्री जहाज के माध्यम से भारत को यूरोप से जोड़ा जाएगा. इससे जुड़े देशों के लिए व्यापार और कनेक्टिविटी बेहद आसान हो जाएगी और माना जा रहा है कि यह प्रोजेक्ट लोअर और मिडिल इनकम देशों में विकास के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी को पूरा करेगा.

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कैसा होगा कॉरिडोर?

कॉरिडोर रेलवे और शिपिंग नेटवर्क का एक मजबूत गठजोड़ तैयार करेगा जिससे व्यापार में सुविधा होगी और समय की भी बचत होगा.

इसके लिए भारत के मुंबई से यूएई तक एक समुद्री रास्ता तैयार किया जाएगा. इस शिपिंग नेटवर्क को पूरे मध्य-पूर्व में रेल नेटवर्क बनाकर उससे जोड़ा जाएगा. रेल नेटवर्क यूएई, सऊदी अरब, जॉर्डन और इजरायल तक होगा. मध्य-पूर्व में बिछा यह रेल नेटवर्क एक बार फिर से समुद्री रास्ते से जुड़ेगा. रेल नेटवर्क को दो समुद्री रास्तों से जोड़ा जाएगा- पहला इजरायल के हाइफा बंदरगाह से इटली तक जाएगा और दूसरा इजरायल से फ्रांस तक.

भारत को कितना फायदा?

IMEC से भारत को काफी उम्मीदें हैं. माना जा रहा है कि यह प्रोजेक्ट चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को कड़ी टक्कर देगा. भारत चीन के इस प्रोजेक्ट का विरोध करता रहा है और अगर IMEC  जमीनी हकीकत बनता है तो भारत चीन से इस क्षेत्र में कड़ी प्रतिस्पर्धा कर पाएगा.

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भारत और यूरोप के बीच का रास्ता फिलहाल काफी समय लेता है और यह खर्चीला भी है. भारत यूरोप तक पहुंचने के लिए स्वेज नहर का इस्तेमाल करता है. लेकिन अगर कॉरिडोर बन जाता है तो भारत मुंबई से सीधे यूएई सामान भेजेगा और फिर इजरायल के हाइफा पोर्ट तक सामान ट्रेन से जाएगा और वहां से समुद्री मार्ग के जरिए यूरोप पहुंच जाएगा. इससे समय और पैसा दोनों की बचत होगी. माना जा रहा है कि IMEC कॉरिडोर के बनने से भारत का निर्यात कई गुना बढ़ जाएगा.

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