ब्रिटेन में 2007 से भारतीय मूल के सांसद वीरेंद्र शर्मा ने भारत सरकार से आग्रह किया है कि वो 500 और 1000 रुपए की नोटबंदी को लेकर प्रवासी भारतीयों (NRIs और PIOs) की अनिश्चितिता को दूर करे. लेबर पार्टी के 69 वर्षीय सांसद शर्मा के मुताबिक इस मुद्दे पर उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्र से कई लोगों के फोन और चिट्ठियां मिली हैं. शर्मा को दक्षिण पश्चिमी लंदन के साउथहाल के इलिंग इलाके से अधिकतर प्रतिवेदन मिले हैं. यहां भारतीय मूल के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं.
शर्मा ने कहा, 'नोटबंदी के ऐलान को एक महीना होने को आ गया है. लाखों प्रवासी भारतीय अनिश्चितता के माहौल में जी रहे हैं. वो इस तनाव और दबाव में हैं कि क्या उनके परिवारों को आर्थिक नुकसान सहना पड़ेगा.' शर्मा बोले कि हजारों ऐसे परिवार है जिन्होंने घरों में थोडी-बहुत भारतीय करेंसी इसलिए रखी हुई है कि एयरपोर्ट पर उसको बदला जा सके. ये वो लोग हैं जो 'दुर्घटनावश' दंडित हो गए हैं. कुछ हजार रुपए अपने पास रखना आपको मनी लॉन्ड्रर नहीं बना देता है. ऐसे लोगों को बिना कोई कसूर भुगतना पड़ रहा है.'
शर्मा के मुताबिक वो चाहते हैं कि भारत सरकार इंग्लैंड में कार्यरत अपने बैंकों को भारतीय नोट जमा करने के लिए अधिकृत करें. ऐसी रकम को भारत में ही बदलने तक सीमित ना रखा जाए. ये अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा होने के साथ ही भारत से बाहर रहने वाले हजारों भारतीय नागरिकों के हितों को भी बचाएगा.
गौरतलब है कि इंग्लैंड और वेल्स की आबादी का ढाई फीसदी हिस्सा भारतीय मूल के लोगों का है. ये सभी नोटबंदी के फैसले से परेशान हैं. ब्रिटेन में सबसे लंबे समय से एशियाई मूल के सांसद कीथ वाज भी नरेंद्र मोदी सरकार से इस बारे में अपील कर चुके हैं. वाज ने मोदी सरकार से विदेशी नागरिकों के लिए समयसीमा 6 महीने बढ़ाने की मांग की है. वाज ने बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर मार्क कार्ने से भी आग्रह किया है कि वे ब्रिटिश भारतीयों को इंग्लैंड में नोट बदलने की इजाजत दें.
खुशदीप सहगल