ब्रेक्जिट को लेकर आखिरी तारीख खत्म होने से पहले ब्रिटेन में सत्ता परिवर्तन हो रहा है. थेरेसा मे के इस्तीफा देने के बाद अब कंजरवेटिव पार्टी के ही बोरिस जॉनसन देश के नए प्रधानमंत्री होंगे. बोरिस ब्रेक्जिट नीति के बड़े समर्थक रहे हैं और इसी वजह से उन्होंने विदेश मंत्री के पद से इस्तीफा दिया था. इसी साल मार्च में बोरिस जॉनसन इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में आए थे, जहां उन्होंने ब्रेक्जिट-भारत-पाकिस्तान और नरेंद्र मोदी को लेकर खुलकर बात की थी.
ब्रेक्जिट के पक्के समर्थक
बोरिस जॉनसन ने कॉन्क्लेव में ब्रेक्जिट पर खुलकर बात की थी, उनका मानना था कि ये एक राजनीतिक मसला है ना कि किसी तरह की आर्थिक लड़ाई. उन्होंने यूरोपियन यूनियन से बाहर निकलने के लिए किसी तरह की शर्त मानने से इनकार कर दिया था, साथ ही इस बात का दावा किया था कि 31 अक्टूबर जो कि ब्रेक्जिट की आखिरी तारीख है हम उससे पहले संभलने में कामयाब होंगे.
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव-2019 में उन्होंने कहा था कि जब वह ब्रेक्जिट की बात करते थे, तो लोग उनकी तुलना रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से करते थे. बोरिस के मुताबिक, ब्रिटेन में एक तरह की लॉबी काम करती है जो किसी भी नई बात को दबाने की कोशिश करती है. अगर ब्रेक्जिट हुआ तो ब्रिटेन अपने दम पर कुछ नया कर पाएगा और सोच भी पाएगा.
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2016 में जब ब्रिटेन में ब्रेक्जिट को लेकर कैंपेन चल रहा था, तब बोरिस जॉनसन उसकी अगुवाई कर रहे थे. कंजरवेटिव पार्टी के ही जेरेमी हंट को उन्होंने भारी अंतर से हराया था. बोरिस जॉनसन को पार्टी को 92,153 तो वहीं जेरेमी हंट को 46,656 वोट मिले थे.
आतंकवाद की लड़ाई में भारत के साथ
बोरिस जॉनसन जब कॉन्क्लेव में आए थे उसके कुछ दिन पहले ही पुलवामा में आतंकी हमला हुआ था. जिसपर बोरिस जॉनसन ने कहा था कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में वह भारत के साथ हैं. उनका मानना था कि नरेंद्र मोदी जिस तरह गरीबी के खिलाफ लड़ाई की बात करते हैं, वो बिल्कुल ठीक है. यही कारण है कि वो नरेंद्र मोदी से प्रभावित हैं.
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव-2019 में बोरिस जॉनसन का पूरा इंटरव्यू यहां देखें...
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