बांग्लादेश में अब 93% सरकारी नौकरियां मेरिट पर... सुप्रीम कोर्ट ने 'विवादित कोटा सिस्टम' में किया बड़ा बदलाव

बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने कोटा सिस्टम को बरकरार रखने के हाई कोर्ट के आदेश को अवैध माना और अपने फैसले में सरकारी नौकरियों में 93 फीसदी पद मेरिट के आधार पर भरने का आदेश दिया.

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बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों में 93 फीसदी पद मेरिट के आधार पर भरने का आदेश दिया. (Photo: Reuters) बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों में 93 फीसदी पद मेरिट के आधार पर भरने का आदेश दिया. (Photo: Reuters)

aajtak.in

  • ढाका,
  • 21 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 5:27 PM IST

हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को सरकारी नौकरियों में कोटा सिस्टम बरकरार रखने के हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया. हालांकि, शीर्ष अदालत ने आरक्षण की इस व्यवस्था को पूरी तरह से खत्म नहीं किया. अटॉर्नी जनरल एएम अमीनउद्दीन ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने कोटा सिस्टम को बरकरार रखने के हाई कोर्ट के आदेश को 'अवैध' माना है. उन्होंने कहा, 'शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में सरकारी नौकरियों में 93 फीसदी पद मेरिट के आधार पर भरने का आदेश दिया, वहीं 1971 मुक्ति संग्राम के स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों और अन्य श्रेणियों के लिए सिर्फ 7 प्रतिशत पद आरक्षित रखने को कहा.'

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बांग्लादेश में अब चले आ रहे कोटा सिस्टम के तहत 56 प्रतिशत सरकारी नौकरियां आरक्षित थीं. इनमें से 30 प्रतिशत 1971  मुक्ति संग्रामके सेनानियों के वंशजों के लिए, 10 प्रतिशत पिछड़े प्रशासनिक जिलों के लिए, 10 प्रतिशत महिलाओं के लिए, 5 प्रतिशत जातीय अल्पसंख्यक समूहों के लिए और 1 प्रतिशत विकलांग लोगों के लिए आरक्षित थीं. स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को मिलने वाले 30 फीसदी आरक्षण के खिलाफ छात्र आंदोलनरत हैं. बता दें कि बांग्लादेश में हर साल करीब 3 हजार सरकारी नौकरियां ही निकलती हैं, जिनके लिए करीब 4 लाख कैंडिडेट अप्लाई करते हैं.

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साल 2018 में इस कोटा सिस्टम के विरोध में बांग्लादेश में हिंसक छात्र आंदोलन हुआ था. शेख हसीना सरकार ने तब कोटा सिस्टम को निलंबित करने का फैसला किया था. मुक्ति संग्राम स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों ने सरकार के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. हाई कोर्ट ने पिछले महीने शेख हसीना सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था और कोटा सिस्टम को बरकरार रखने का फैसला सुनाया था. अदालत के इस फैसले के बाद पूरे बांग्लादेश में हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. प्रदर्शनकारियों ने सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया, बसों और ट्रेनों में आगजनी की. हालात इतने बेकाबू हो गए कि हसीना सरकार को सड़कों पर सेना उतारनी पड़ी.

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इन विरोध प्रदर्शनों में अब तक 133 लोगों की मौत हो चुकी है और 3000 से ज्यादा घायल हुए हैं, जो अब भी जारी है. प्रधानमंत्री शेख हसीना के आवास पर 14 जुलाई को एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान, जब उनसे छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा, 'यदि स्वतंत्रता सेनानियों के पोते-पोतियों को (कोटा) लाभ नहीं मिलेगा, तो क्या रजाकारों के पोते-पोतियों को मिलेगा?' प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस बयान के बाद प्रदर्शनकारी छात्र और उग्र हो गए, जिससे पहले से ही तनावपूर्ण स्थिति और बढ़ गई. उन्होंने जवाब में 'तुई के? अमी के? रजाकार, रजाकार! (आप कौन? मैं कौन? रजाकार, रजाकार!) के नारे लगाने शुरू कर दिए.'

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बढ़ती अशांति को रोकने के लिए पूरे बांग्लादेश में सख्त कर्फ्यू लगा दिया गया है और सैनिक राजधानी ढाका समेत अन्य शहरों की सड़कों पर गश्त कर रहे हैं. लोगों को आवश्यक काम निपटाने की अनुमति देने के लिए शनिवार दोपहर को कुछ देर के लिए कर्फ्यू में राहत दी गई थी. सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी के महासचिव ओबैदुल कादिर ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि पुलिस अधिकारियों को कर्फ्यू का उल्लंघन करने वालों पर गोली चलाने का अधिकार दिया गया है. हिंसक विरोध प्रदर्शनों के शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार को सभी सार्वजनिक और निजी शैक्षणिक संस्थानों को अनिश्चित काल के लिए बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा है.

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