बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हो रहे लगातार हमलों के बीच मयमनसिंह जिले से एक और चौंकाने वाली घटना सामने आई है. भालुका उपजिला स्थित एक गारमेंट फैक्ट्री के भीतर सुरक्षा ड्यूटी के दौरान हिंदू समुदाय से ताल्लुक रखने वाले अंसार सदस्य बजेंद्र बिस्वास (42) की गोली लगने से मौत हो गई. इस मामले में उनके ही साथी नोमान मिया (29) को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. यह घटना ऐसे समय पर हुई है, जब देश में हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं.
यह वारदात सोमवार, 29 दिसंबर की शाम करीब 6:45 बजे मेहराबारी इलाके में स्थित सुल्ताना स्वेटर्स लिमिटेड (लाबीब ग्रुप) के अंदर हुई. पुलिस के मुताबिक, बजेंद्र बिस्वास और नोमान मिया, दोनों फैक्ट्री परिसर के भीतर बने अंसार बैरक में तैनात थे. बातचीत के दौरान नोमान ने सरकारी तौर पर जारी शॉटगन को मजाक में बजेंद्र की ओर तान दिया.
मजाक के पीछे छिपी साजिश?
इसी दौरान अचानक गोली चल गई, जो बजेंद्र की बाईं जांघ में जा लगी. उन्हें तुरंत भालुका उपजिला स्वास्थ्य परिसर ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. हालांकि जिस तरह से बांग्लादेश में हिंदुओं पर लगातार हमले हो रहे हैं, इस मामले को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं कि क्या मजाक में गोली चली या इसके पीछे कोई साजिश थी?
मृतक बजेंद्र बिस्वास सिलहट सदर के कादिरपुर गांव के रहने वाले थे और अपने परिवार के एकमात्र कमाऊ सदस्य बताए जा रहे हैं. वहीं आरोपी नोमान सुनामगंज जिले के ताहेरपुर थाना क्षेत्र का निवासी है. पुलिस ने आरोपी को हिरासत में लेकर सरकारी शॉटगन जब्त कर ली है और हत्या का मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है.
18 दिसंबर को दीपू दास की भी हुई थी हत्या
यह घटना अकेली नहीं है. इससे महज 11 दिन पहले, 18 दिसंबर को इसी भालुका इलाके में दीपू चंद्र दास नामक हिंदू युवक को कथित तौर पर पीट-पीटकर, निर्वस्त्र कर और जिंदा जलाकर मार डालने की घटना सामने आई थी. इन लगातार घटनाओं ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या बांग्लादेश के औद्योगिक और ग्रामीण इलाकों में हिंदू अब सुरक्षित हैं?
मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि बीते महीनों में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा, अपमान और हत्याओं की घटनाओं में इजाफा हुआ है, लेकिन कई मामलों में सख्त कार्रवाई नहीं हो पाती. भालुका की ताजा घटना ने एक बार फिर बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय की सुरक्षा, निष्पक्ष जांच और जवाबदेही की मांग को तेज कर दिया है.
सुबोध कुमार