फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलेगा दीपू दास मॉब लिंचिंग केस... बांग्लादेशी अंतरिम सरकार ने ली परिवार की जिम्मेदारी

यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब इस घटना ने न केवल बांग्लादेश के भीतर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, विशेषकर भारत में भी गहरी चिंता पैदा कर दी थी. 25 वर्षीय दीपू दास की 18 दिसंबर को मयमनसिंह में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी और बाद में उनके शव को आग के हवाले कर दिया गया था.

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दीपू दास हत्याकांड में अब तक 12 लोगों को हिरासत में लिया गया है. (File Photo- ITG) दीपू दास हत्याकांड में अब तक 12 लोगों को हिरासत में लिया गया है. (File Photo- ITG)

आशुतोष मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 24 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:11 PM IST

बांग्लादेश में ईशनिंदा के आरोप में हिंदू श्रमिक दीपू दास की बेरहमी से की गई हत्या के मामले में अंतरिम सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है. मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने घोषणा की है कि दीपू दास लिंचिंग मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में की जाएगी, ताकि दोषियों को जल्द से जल्द सजा मिल सके.

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यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब इस घटना ने न केवल बांग्लादेश के भीतर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, विशेषकर भारत में भी गहरी चिंता पैदा कर दी थी.

इसके साथ ही दक्षिणपंथी सांस्कृतिक संगठन इंकलाब मंच के नेता शरीफ उस्मान हादी के शूटआउट के मामले को भी फास्ट ट्रैक कोर्ट में भेजे जाने का फैसला किया गया है.

25 वर्षीय दीपू दास की 18 दिसंबर को मयमनसिंह में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी और बाद में उनके शव को आग के हवाले कर दिया गया था. दीपू एक गारमेंट फैक्ट्री में काम करते थे. इस जघन्य हत्या ने पूरे बांग्लादेश में आक्रोश फैला दिया, वहीं भारत ने भी इस घटना पर गंभीर चिंता जताई.

दीपू के परिवार की जिम्मेदारी लेगी अंतरिम सरकार

इससे पहले अंतरिम सरकार के वरिष्ठ शिक्षा सलाहकार सी आर अबरार ने दीपु दास के परिवार से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि राज्य दीपु दास की पत्नी, बच्चे और माता-पिता की पूरी जिम्मेदारी लेगा. अबरार ने इस हत्या को “एक क्रूर अपराध, जिसका कोई औचित्य नहीं” बताया. उन्होंने बताया कि परिवार से मिलने से पहले उन्होंने मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस से बात की थी, जिन्होंने परिवार के प्रति सरकार का गहरा शोक और संवेदना संदेश देने को कहा.

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मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने भी परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की है. उनके कार्यालय ने पुष्टि की कि संबंधित अधिकारी परिवार के निरंतर संपर्क में रहेंगे ताकि उन्हें भविष्य में किसी भी प्रकार की आर्थिक या सामाजिक असुरक्षा का सामना न करना पड़े.

कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं

मुख्य सलाहकार के प्रेस विंग ने एक आधिकारिक बयान जारी कर स्पष्ट किया कि आरोप, अफवाहें या विश्वास का अंतर कभी भी हिंसा का आधार नहीं हो सकते. सरकार ने जोर देकर कहा कि जांच करने और न्याय सुनिश्चित करने का अधिकार केवल राज्य के पास है, और किसी भी व्यक्ति को कानून अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

दीपू दास हत्याकांड में अब तक 12 लोगों को हिरासत में लिया गया है. हालांकि, पुलिस ने स्वीकार किया है कि मुख्य संदिग्ध अभी भी फरार है, लेकिन उसकी तलाश के लिए सघन जांच जारी है. सरकार ने निष्पक्ष जांच और त्वरित न्याय का वादा किया है.

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