भारत और रूस के बीच हुए एस-400 मिसाइल सिस्टम के सौदे के बाद से ही भारत पर अमेरिकी प्रतिबंधों की आशंका जताई जा रही है. हालांकि, अमेरिकी सीनेटर्स की एक जोड़ी ने बाइडेन प्रशासन से आग्रह किया है कि भारत पर प्रतिबंध ना लगाए जाएं. अमेरिकी सांसदों का कहा है कि इस प्रतिबंध से भारत और अमेरिका के बीच गहरे संबंधों को झटका लग सकता है.
अमेरिकी सीनेटर्स बोले, बैन से भारत-अमेरिका के संबंध होंगे खराब
डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन सीनेटर मार्क वार्नर और जॉन कॉर्निन ने एक संयुक्त पत्र में लिखा है कि 'काउंटरिंग अमेरिका एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस' (सीएएटीएसए), जिसके तहत भारत पर प्रस्तावित प्रतिबंधों को लेकर विचार किया जा रहा है, उससे भारत को छूट मिलनी चाहिए. सीनेटरों ने लिखा कि हम मानते हैं कि भारत के लिए प्रतिबंध में छूट कई कारणों से उपयुक्त है. भारत रक्षा-सौदों के लिए रूस पर अपनी निर्भरता में कटौती कर रहा है और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत पर प्रतिबंध लगाने से हमारे द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं मसलन वैक्सीन से लेकर रक्षा सहयोग और ऊर्जा रणनीति से लेकर टेक्नोलॉजी साझाकरण, सभी मुद्दों पर काफी ज्यादा असर पड़ सकता है.
भारत को भी उम्मीद है कि उसे कई कारणों से प्रतिबंध में छूट दी जाएगी. 2017 में सीएएटीएसए कानून बनने से पहले ही भारत ने एस-400 मिसाइल खरीद पर बातचीत शुरू कर दी थी और उस समय अमेरिका की ओर से कोई काउंटर ऑफर भी नहीं था. अमेरिका ने साल 2019 में टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस (टीएचएएडी) और पैट्रियट एडवांस कैपेबिलिटी (पीएसी-3) की पेशकश की थी लेकिन तब तक एस-400 मिसाइल सौदे को अंतिम रूप दिया जा चुका था. बता दें कि इस मुद्दे को लेकर बाइडेन प्रशासन ने आधिकारिक रूप से कोई बयान नहीं दिया है. हालांकि सेक्रेटरी ऑफ डिफेंस लॉयड ऑस्टिन ने मार्च 2021 में भारत की यात्रा के दौरान एस-400 मिसाइल का मुद्दा उठाया था.
इससे पहले अमेरिका की डिप्टी सेक्रेटी ऑफ स्टेट वेंडी शर्मन ने नई दिल्ली में पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा कि जो भी देश एस-400 का इस्तेमाल करने का फैसला करता है, उन्हें लेकर हमारी नीतियां सार्वजनिक रही हैं. हमें लगता है कि ये खतरनाक है और ये किसी के भी सुरक्षा हितों में नहीं है. हालांकि, इसके बावजूद मैं कहना चाहूंगी कि भारत और अमेरिका के संबंध काफी मजबूत हैं. बता दें कि रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने की वजह से अमेरिका ने नैटो के सदस्य देश तुर्की पर प्रतिबंध लगाए थे.
पिछले डेढ़ दशक में भारत और अमेरिका के संबंधों में आया सुधार
गौरतलब है कि शीत युद्ध के दौरान भारत और रूस यानी सोवियत संघ के संबंध काफी अच्छे रहे थे. हालांकि, पिछले डेढ़ दशकों में अंतराष्ट्रीय स्तर पर काफी बदलाव देखने को मिला है और इस दौरान भारत-अमेरिका के बीच सुरक्षा साझेदारी में मजबूती देखने को मिली है. ग्लोबलाइजेशन के बाद भारत-अमेरिका के संबंध काफी बेहतर हुए हैं. क्वाड ने भी दोनों देशों के संबंधों को लेकर बड़ी भूमिका निभाई है. ऐसे में भारत, रूस और अमेरिका के साथ अपने संबंधों को लेकर काफी संभल कर कदम रख रहा है.
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