हाल ही में अमेरिका में एक विधेयक पेश किया गया है जिसे लेकर पाकिस्तान में हलचल मच गई है. दरअसल, इस एंटी तालिबान विधेयक में तालिबान और उनके सहयोगियों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की बात की गई है. इस बिल के सामने आने के बाद पाकिस्तान के कई राजनेताओं ने बयान दिए हैं और इनमें से ज्यादातर नेताओं का कहना है कि आनन-फानन में अफगानिस्तान से निकलने वाला अमेरिका अब अपनी गलतियां छिपाने के लिए पाकिस्तान को बलि का बकरा बना रहा है और अमेरिका का साथ देने के लिए पाकिस्तान को कीमत चुकानी पड़ रही है. हालांकि, अमेरिका के भी इस मामले में तेवर तीखे हैं.
अमेरिका का कहना है कि उसने लंबे समय से इस बात को लेकर चिंता जताई है कि अफगानिस्तान के बॉर्डर इलाकों के पास पाकिस्तान का क्षेत्र आतंकियों की पनाह के काम आ रहा है. बता दें कि अफगानिस्तान और अमेरिका ने इससे पहले पाकिस्तान की इस बात को लेकर भी आलोचना की थी कि आखिर क्यों तालिबानी लड़ाकों को पाकिस्तान में जगह मिलती है और आखिर क्यों उन्हें मेडिकल ट्रीटमेंट दिया जाता है.
'हम अपनी चिंताओं को लेकर पाकिस्तान से कर रहे बात'
पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी ने कहा कि हम लंबे समय से पाकिस्तान के साथ अपनी चिंताओं को लेकर ईमानदार रहे हैं और ये चिंताएं पाक बॉर्डर के पास सुरक्षित पनाहगाहों को लेकर हैं. ये चिंताएं आज भी कायम हैं. अफगानिस्तान का पड़ोसी होने के नाते निश्चित तौर पर पाकिस्तान की आतंकवाद को लेकर जिम्मेदारियां हैं. उन्होंने कहा कि हम अपनी चिंताओं को लेकर पाकिस्तानी नेताओं के साथ लगातार बातचीत कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि मुझे लगता है कि ये भी याद रखना जरूरी है कि पाकिस्तान के कई लोग भी आतंकी हमलों के शिकार हुए हैं और इनमें से ज्यादातर पाकिस्तानी नागरिकों ने बॉर्डर के पास मौजूद उन समूहों के चलते ही नुकसान झेला है.
अफगानिस्तान और पाकिस्तान एक दूसरे पर लगाते रहे हैं आरोप
गौरतलब है कि जहां अफगानिस्तान का दावा है कि पाकिस्तान युद्ध से प्रभावित अफगानिस्तान में लड़ने के लिए हजारों आतंकियों को भेज रहा है और तालिबान को सपोर्ट कर रहा है वहीं, पाकिस्तान का कहना है कि अफगानिस्तान एंटी-पाकिस्तान ग्रुप तहरीक-ए-तालिबान को सपोर्ट करता है. इसके अलावा पाकिस्तान का ये भी कहना है कि अफगानिस्तान, अलगाववादी संगठन बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी को भी सपोर्ट करता है. ऐसी भी रिपोर्ट्स थीं कि तालिबान के कब्जे के बाद पंजशीर घाटी में एंटी तालिबान ग्रुप नॉर्दन एलायंस को खदेड़ने के लिए पाकिस्तान ने तालिबान को सैन्य मदद भी मुहैया कराई थी और तालिबान के कब्जे के दौरान अफगानिस्तान के सोशल मीडिया यूजर्स ने पाकिस्तान की तीखी आलोचना की थी.
aajtak.in