क्या बाइडेन का प्लान ही बन गया मुसीबत? 31 अगस्त तक काबुल छोड़ने की डेडलाइन कैसे तय हुई

तालिबान (Taliban) ने भी अमेरिका को चेतावनी दी है कि वह इस डेडलाइन से अधिक एक दिन भी अफगानिस्तान (Afghanistan) में ना रुके. लेकिन सवाल ये भी है कि ये डेडलाइन कब और कैसे तय हुई थी, क्या अमेरिका इस डेडलाइन के फेर में फंस चुका है?

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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (PTI) अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 11:36 AM IST
  • 31 अगस्त तक अफगानिस्तान छोड़ देगा अमेरिका
  • तालिबान ने भी डेडलाइन पर बाहर निकलने को कहा

अमेरिका (America) ने साफ कर दिया है कि वह 31 अगस्त तक अपने सभी सैनिकों को अफगानिस्तान से बाहर निकाल लेगा. अगर सबकुछ ठीक रहा तो इस डेडलाइन को बढ़ाने की नौबत नहीं आएगी.

वहीं, तालिबान (Taliban) ने भी अमेरिका को चेतावनी दी है कि वह इस डेडलाइन से अधिक एक दिन भी अफगानिस्तान (Afghanistan) में ना रुके. लेकिन सवाल ये भी है कि ये डेडलाइन कब और कैसे तय हुई थी, क्या अमेरिका इस डेडलाइन के फेर में फंस चुका है?

कैसे तय हुई थी 31 अगस्त की तारीख?

दरअसल, करीब दो दशक से अफगानिस्तान में जंग लड़े रहे अमेरिका ने पिछले कुछ सालों से ही यहां से निकलने के संकेत दे दिए थे. पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साल 2020 में तालिबानी प्रतिनिधियों के साथ समझौता किया था कि मई 2021 तक अमेरिकी सेना अफगानिस्तान छोड़ देगी. लेकिन जब जो बाइडेन राष्ट्रपति बने तो उन्होंने इस तारीख को 11 सितंबर तक बढ़ाने का फैसला लिया.

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क्लिक करें: 'अब किसी अफगानी को देश नहीं छोड़ने देंगे, हम इससे खुश नहीं हैं', तालिबान की चेतावनी

11 सितंबर को ही अमेरिका में हुए आतंकी हमले के 20 साल पूरे हो रहे हैं. लेकिन इस तारीख को लेकर कई सवाल उठे और एक्सपर्ट्स ने कहा कि इस तारीख को अमेरिका का अफगानिस्तान छोड़ना सही संदेश नहीं देगा. ऐसे में जो बाइडेन की ओर से 31 अगस्त, 2021 की तारीख को तय किया गया. मई से ही बड़ी संख्या में अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान को छोड़ने में लगे थे. 

इसी बीच तालिबान ने अपना वर्चस्व बढ़ाना शुरू किया और देखते ही देखते पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया. अब तालिबान ने अमेरिका समेत अन्य नाटो देशों को चेतावनी दी है कि वह अपनी डेडलाइन के मुताबिक चलें और 31 अगस्त तक अफगानिस्तान को छोड़ दें. 


ऐलान कर फंस गया अमेरिका?

लेकिन अमेरिका के सामने एक संकट ये भी है कि अभी भी बड़ी संख्या में अफगानिस्तान से लोगों का रेस्क्यू होना बाकी है, इनमें अमेरिकी नागरिक, नाटो देशों के नागरिक, अफगानी नागरिक (जिन्होंने युद्ध में नाटो देशों की मदद की) आदि लोग शामिल हैं. साथ ही जी-7 ग्रुप समेत अन्य देशों, संगठनों ने 31 अगस्त के बाद भी काबुल में सैन्य मौजूदगी की वकालत की है. 

ऐसे में अमेरिका के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वह हालात को देखते हुए सहयोगियों की बात मानकर लंबे समय तक काबुल में डटा रहेगा या अपनी तय डेडलाइन पर ही अफगानिस्तान को छोड़ देगा. क्योंकि तालिबान ने भी ये कहा है कि 31 अगस्त के बाद अगर अमेरिकी सैनिक यहां रुकते हैं, तो अच्छा नतीजा नहीं होगा. 

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