रूस-चीन को बाइडेन का कड़ा संदेश, 'अमेरिका इज बैक' की भरी हुंकार

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने गुरुवार को अपना पहला राजनयिक संबोधन दिया जिसमें उन्होंने वैश्विक मंच पर राष्ट्रपति के तौर पर "अमेरिका इज बैक" का ऐलान किया और अपने पूर्ववर्ती डोनाल्ड ट्रंप की बेतरतीब विदेश नीति के बाद एक नए युग का वादा किया.

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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूस-चीन को बताया बड़ी चुनौती (फोटो-AP) अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूस-चीन को बताया बड़ी चुनौती (फोटो-AP)

aajtak.in

  • वॉशिंगटन,
  • 05 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 8:44 AM IST
  • रूस-चीन के खिलाफ दिखाया आक्रामक रुख
  • म्यांमार में तख्तापलट वापस लेने की अपील
  • विदेशी सहयोगियों के साथ चलने का संकेत

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने गुरुवार को अपना पहला राजनयिक संबोधन दिया जिसमें उन्होंने वैश्विक मंच पर राष्ट्रपति के तौर पर "अमेरिका इज बैक" का ऐलान किया और अपने पूर्ववर्ती डोनाल्ड ट्रंप की बेतरतीब विदेश नीति के बाद एक नए युग का वादा किया.

असल में, बाइडेन ने वॉशिंगटन में 4 फरवरी को विदेश विभाग का दौरा किया. इस दौरान उनके साथ में अमेरिकी की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस भी मौजूद रहीं. इसी दौरान बाइडेन ने अपना राजनयिक संबोधन दिया.

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समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक बाइडेन ने अपने भाषण में चीन और रूस के लिए आक्रामक रुख अपनाए जाने का संकेत दिया. साथ ही म्यांमार के सैन्य नेताओं से तख्तापलट को खत्म करने का आग्रह किया, और यमन में सऊदी अरब के नेतृत्व वाले सैन्य अभियान के लिए अमेरिकी समर्थन को समाप्त करने का ऐलान किया. 

बाइडेन ने कहा, 'अमेरिकी नेतृत्व को नई चुनौतियों से रू-ब-रू होना होगा, जिसमें चीन की बढ़ती महत्वाकांक्षा और लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने और बाधित करने का रूस का दृढ़ संकल्प शामिल है. हमें अपने मकसद को हासिल करना चाहिए...महामारी से लेकर जलवायु संकट और परमाणु प्रसार तक वैश्विक चुनौतियों का सामना करना होगा.'

ट्रंप की विदेश नीति से कई देश खफा

दरअसल, ट्रंप की टैरिफ बढ़ाने की नीति के चलते अमेरिका को यूरोपीय और एशियाई नेताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ा है. यहां तक कि ट्रंप ने वैश्विक गठबंधन के निमयों का उल्लंघन किया, और अमेरिकी सैनिकों को वापस लेने की धमकी दी. 6 जनवरी को ट्रंप समर्थकों ने बाइडेन की जीत को अस्वीकार करते हुए अमेरिकी संसद भवन कैपिटिल बिल्डिंग पर हमला किया और इससे विदेशी सहयोगियों और प्रतिद्वंदियों ने अमेरिका में लोकतंत्र के हालात को लेकर आशंका जाहिर की थी.

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लिहाजा, गुरुवार को बाइडेन का भाषण उन शंकाओं को दूर करने और एक शक्तिशाली अंतरराष्ट्रीय रुख अपनाए जाने को लेकर अमेरिकियों को समझाने का एक पूर्ण प्रयास था.
 
बाइडेन ने कहा, 'हम अपनी कूटनीति को लेकर इतनी जद्दोजहद इसलिए नहीं करते हैं क्योंकि यह दुनिया के लिए सही बात है.' उन्होंने कहा, “हम शांति, सुरक्षा और समृद्धि के लिए यह सब करते हैं. हम ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि यह हमारे अपने स्व-हित में है.”

बाइडेन का अपने पहले राजनयिक संबोधन के लिए विदेश विभाग को चुनना उनके राजयनिकों संबंधों को तरजीह देने को दर्शाता है, जहां ट्रंप ने अपने अधिकतर विदेशी सहयोगियों को नाराज किया.  

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बाइडेन ने साफ कहा कि अमेरिकी गठबंधन उनकी सबसे बड़ी पूंजी है, और कूटनीति के साथ आगे बढ़ने का मतलब अपने प्रमुख सहयोगियों के साथ एक बार फिर से कंधे से कंधा मिलाकर चलना है. इस भाषण के जरिये बाइडेन ने दुनिया के देशों के साथ अमेरिका के बिगड़े रिश्तों को पटरी पर लाने का प्रयास किया और ट्रंप की नीतियों को वापस लेने का एक तरह से ऐलान किया. उन्होंने साफ किया कि वह ईरान समझौते को पुनर्जीवित करने, पेरिस समझौते और विश्व स्वास्थ्य संगठन में अमेरिकी सदस्यता को नए सिरे से बहाल करने के लिए काम करेंगे.

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रूस और चीन को कड़ा संदेश

बाइडेन ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को चुनौती दी. उन्होंने कहा कि मैंने अपने पूर्ववर्ती से अलग हटकर राष्ट्रपति पुतिन को स्पष्ट कर दिया है कि रूस के आक्रामकता के दिन अब लद गए जहां वह चुनावों में हस्तक्षेप करता है, साइबर हमलों को अंजाम देता है. 

बाइडेन ने चीन को भी चुनौती के तौर पर रेखांकित किया. चीन, जो अपनी सेना का विस्तार कर रहा है और दुनिया भर में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए काम कर रहा है, शायद वह बाइडेन की सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय चुनौती है. बाइडेन ने बीजिंग को अपना बड़ा प्रतिस्पर्धी करार दिया. इस क्रम में उन्होंने चीन के साथ आर्थिक टकराव, मानवाधिकारों के खिलाफ चीनी एक्शन के खिलाफ कदम उठाने की बात कही. 


 

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