तालिबान ने आते ही दिखाई करतूत, बामियान में विरोधी नेता की मूर्ति हटाई

अफगानिस्तान (Afghanistan) में कब्जा करते ही तालिबान (Taliban) ने करतूत दिखानी शुरू कर दी है. दावा है कि तालिबान ने बामियान में बनी हजारा नेता अब्दुल अली मजारी की मूर्ति को हटा दिया है.

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अब्दुल अली मजारी की मूर्ति को तालिबान ने हटा दिया है. (फोटो-ट्विटर) अब्दुल अली मजारी की मूर्ति को तालिबान ने हटा दिया है. (फोटो-ट्विटर)

aajtak.in

  • काबुल,
  • 18 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 10:34 AM IST
  • अब्दुल अली मजारी की मूर्ति हटाई
  • हजारा नेता थे अब्दुल अली मजारी
  • 1995 में तालिबान ने की थी हत्या

अफगानिस्तान (Afghanistan) पर पूरी तरह से तालिबान (Taliban) का कब्जा हुए अभी हफ्ता भर भी नहीं हुआ है और उसके लड़ाकों ने अपनी करतूतें दिखानी शुरू कर दी हैं. बताया जा रहा है कि तालिबान ने बामियान में स्थित हजारा नेता अब्दुल अली मजारी (Adbul Ali Mazari) की मूर्ति को हटा दिया है. 25 साल पहले तालिबान ने ही अब्दुल अली मजारी की हत्या कर दी थी. 

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मानवाधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार सलीम जावेद ने ट्विटर (Twitter) पर तस्वीर शेयर करते हुए दावा किया है कि तालिबान ने बामियान में बनी अब्दुल अली मजारी की मूर्ति को हटा दिया है. उन्होंने साथ में दो तस्वीरें भी शेयर की हैं. पहली तस्वीर पुरानी है जिसमें मूर्ति दिख रही है जब एक तस्वीर अभी की है जिसमें मूर्ति गायब है. 

सलीम जावेद ने ट्वीट कर कहा, तालिबान ने हजारा नेता अब्दुल अली मजारी की मूर्ति को हटा दिया है. पिछली बार तालिबान ने उन्हें मार डाला था. बुद्ध की प्रतिम तोड़ दी थी और कई ऐतिहासिक और पुरातत्व स्थलों को उड़ा दिया था. 

So Taliban have blown up slain #Hazara leader Abdul Ali Mazari’s statue in Bamiyan. Last time they executed him, blew up the giant statues of Buddha and all historical and archeological sites.

Too much of ‘general amnesty’. pic.twitter.com/iC4hUZFqnG

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— Saleem Javed (@mSaleemJaved) August 17, 2021

ये भी पढ़ें-- Afghanistan Crisis: छवि बदलने की कोशिश में जुटा तालिबान, इन वजहों से नहीं होता भरोसा

कौन थे अब्दुल अली मजारी?

अब्दुल अली मजारी तालिबान के विरोधी माने जाते थे. 1946 में जन्मे अब्दुल मजारी सोवियत सेना के खिलाफ भी लड़ चुके थे. अब्दुल मजारी हिज्ब-ए-वहादत पार्टी के नेता थे. वो हजारा समुदाय से आते थे.

मार्च 1995 में तालिबानी नेता मुल्ला बुर्जन ने अब्दुल मजारी को एक मीटिंग के लिए बुलाया और उनका अपहरण कर लिया. बाद में उन्हें टॉर्चर किया गया और हत्या कर दी गई. तालिबान ने दावा किया कि जब उन्हें कंधार ले जाया जा रहा था, तब उन्होंने हमला कर दिया और इसी में उनकी मौत हो गई. उन्हें मजार-ए-शरीफ में दफनाया गया था. 2016 में अफगान सरकार ने उन्हें शहीद का दर्जा दिया था.

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