अमेरिका में नवंबर महीने में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं. डेमोक्रेटिक
पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडन ने हाल ही में एक मुस्लिम पॉलिसी पेपर में कहा था कि वह अमेरिकी मुस्लिमों के दर्द को समझते हैं और राष्ट्रपति बनने के बाद मुस्लिमों के खिलाफ दुनिया भर में हो रहीं घटनाओं को लेकर कदम उठाएंगे. बाइडन ने इस पॉलिसी पेपर में कश्मीर और एनआरसी का जिक्र करते हुए भारत सरकार की भी आलोचना की थी. हालांकि, अब बाइडन ने भारत की तरफदारी की है और अमेरिका का स्वाभाविक सहयोगी बताया है.
वर्चुअल फंड रेजर इवेंट के दौरान भारत-अमेरिका संबंध पर किए गए एक सवाल के जवाब में बाइडन ने कहा, क्षेत्र में हमारी और उनकी खुद की सुरक्षा के लिए भारत का सहयोगी बने रहना जरूरी है.
क्या अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भारत की सख्त जरूरत है? बाइडन ने इस सवाल के जवाब में कहा, हां, हमारी सुरक्षा के लिए भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी जरूरी है और काफी अहमियत रखती है. अपने 8 साल के उप-राष्ट्रपति कार्यकाल का जिक्र करते हुए बाइडन ने कहा, करीब एक दशक पहले भारत-अमेरिका परमाणु समझौते में अहम भूमिका अदा करके मैंने गर्व महसूस किया था. ये एक बड़ा समझौता था.
बाइडन ने कहा, ओबामा के कार्यकाल के दौरान भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी मजबूत करना हमारी प्राथमिकता में शामिल था और अगर मैं राष्ट्रपति चुना जाता हूं तो मेरी भी यही प्राथमिकता रहेगी. बाइडन ने उप-राष्ट्रपति पद पर रहते हुए भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई थी.
हालांकि, कुछ दिनों पहले जो बाइडन ने कश्मीर और नागरिकता संशोधन कानून को लेकर भारत की आलोचना की थी. उन्होंने पॉलिसी पेपर में कहा था कि कश्मीरियों को उनके अधिकार दिलाने के लिए भारत को जरूरी कदम उठाने चाहिए. जो बाइडन ने नागरिकता (संशोधन) कानून और असम में एनआरसी लागू करने को लेकर भी निराशा जताई थी.
जो बाइडन के कैंपेन वेबसाइट पर प्रकाशित 'अमेरिकी मुस्लिम समुदाय के लिए एजेंडा' शीर्षक से प्रकाशित पॉलिसी पेपर में कहा गया है कि नागरिकता (संशोधन कानून) और एनआरसी जैसे कदम भारतीय लोकतंत्र की बहुसंस्कृतिवाद और धर्मनिरपेक्षता की लंबी परंपरा के खिलाफ हैं.
पॉलिसी पेपर में कहा गया है कि बाइडन मुस्लिम देशों और मुस्लिम आबादी वाले देशों में हो रहे घटनाक्रमों को लेकर मुस्लिम-अमेरिकियों के दर्द को समझते हैं. इस दस्तावेज में चीन के वीगर मुसलमानों को डिटेंशन कैंप में रखे जाने के साथ कश्मीर और असम का भी जिक्र किया गया है.
इसमें कहा गया है, "कश्मीर में भारत सरकार को कश्मीरियों के अधिकारों को लौटाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने चाहिए. असंतोष को दबाने, विरोध-प्रदर्शन करने से रोकने या इंटरनेट बंद करने से लोकतंत्र कमजोर होता है."
बाइडन के मुस्लिम पॉलिसी पेपर की कई अमेरिकी-हिंदू संगठनों ने आलोचना की थी. संगठनों ने अमेरिकी-हिंदुओं पर भी पॉलिसी पेपर जारी करने की मांग की थी. वहीं, बाइडन के समर्थकों का कहना है कि बाइडन भारत के दोस्त रहे हैं और उन्होंने अपने कार्यकाल में भारत से संबंध मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई थी.