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विश्व

US का राष्ट्रपति बनने से पहले ही बाइडन ने भारत को दिया झटका

aajtak.in
  • 26 जून 2020,
  • अपडेटेड 4:00 PM IST
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अमेरिका में नवंबर महीने में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं. डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की रेस में सबसे आगे चल रहे जो बाइडन ने कश्मीर और नागरिकता (संशोधन) कानून को लेकर भारत विरोधी बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि कश्मीरियों को उनके अधिकार दिलाने के लिए भारत को जरूरी कदम उठाने चाहिए. जो बाइडन ने नागरिकता (संशोधन) कानून और असम में एनआरसी लागू करने को लेकर भी निराशा जताई है.

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जो बाइडन के कैंपेन वेबसाइट पर प्रकाशित 'मुस्लिम अमेरिकी समुदाय के लिए एजेंडा' शीर्षक से प्रकाशित पॉलिसी पेपर में कहा गया है कि नागरिकता (संशोधन कानून) और एनआरसी जैसे कदम भारतीय लोकतंत्र  की बहुसंस्कृतिवाद और धर्मनिरपेक्षता की लंबी परंपरा के खिलाफ हैं.

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हिंदू-अमेरिकियों के एक समूह ने बाइडन के कैंपेन में भारत के खिलाफ इस्तेमाल हुई भाषा को लेकर विरोध जाहिर किया है और इस पर दोबारा विचार करने के लिए कहा है. समूह ने हिंदू-अमेरिकियों के लिए भी इसी तरह का पॉलिसी पेपर लाने की मांग की है. हालांकि, बाइडेन कैंपेन की तरफ से इन सवालों पर कोई जवाब नहीं आया है.

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पॉलिसी पेपर में कहा गया है कि बाइडन मुस्लिम देशों और मुस्लिम आबादी वाले देशों में हो रहे घटनाक्रमों को लेकर मुस्लिम-अमेरिकियों के दर्द को समझते हैं. इस दस्तावेज में चीन के वीगर मुसलमानों को डिटेंशन कैंप में रखे जाने के साथ कश्मीर और असम का भी जिक्र है. इसके अलावा, म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे भेदभाव और उत्पीड़न के बारे में भी चर्चा की गई है.

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इसमें कहा गया है, "कश्मीर में भारत सरकार को कश्मीरियों के अधिकारों को लौटाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने चाहिए. असंतोष को दबाने, विरोध-प्रदर्शन करने से रोकने या इंटरनेट बंद करने से लोकतंत्र कमजोर होता है. जो बाइडन भारत सरकार के असम में एनआरसी को लागू करने और नागरिकता (संशोधन) कानून लाने के कदम से भी निराश है.

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भारत सरकार नागरिकता संशोधन कानून और कश्मीर को आंतरिक मामला करार देते हुए बाहरी संगठनों और दूसरे देशों के हस्तपेक्ष को खारिज कर चुकी है. सरकार का कहना है कि नागरिकता कानून का उद्देश्य पड़ोसी देशों के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करना है. इस कानून के तहत, 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता दी जाएगी. वहीं, असम में एनआरसी को लेकर सरकार ने कहा है कि ये भी पूरी तरह से देश का आंतरिक मामला है और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इसे लागू किया जा रहा है.

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बाइडन के समर्थक अजय जैन भटोरिया ने समाचार न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा कि बराक ओबामा के कार्यकाल के दौरान उप राष्ट्रपति रहे बाइडेन को भारत के दोस्त के तौर पर देखा जाता रहा है. भारतीय-अमेरिकियों के बीच भी उनकी ऐसी ही छवि है.उन्होंने भारत-अमेरिका के बीच हुए परमाणु समझौते में भी अहम भूमिका अदा की थी. बाइडन अपने आवास पर दिवाली समारोह का आयोजन भी किया करते थे.

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उन्होंने कहा, "बाइडन भारत को प्रभावित करने वाले सारे मुद्दों को समझते हैं, जैसे- सीमा पार आतंकवाद, कश्मीर में आतंकवादियों की घुसपैठ, कश्मीर में हिंदू अल्पसंख्यकों का दर्द, हिंद-प्रशांत में चीन के साथ विवाद, वैश्विक सुरक्षा, आतंकवाद और अर्थव्यवस्था समेत कई क्षेत्रों में अमेरिका के साथ साझेदारी में भारत की उभरती भूमिका."

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भटोरिया ने कहा, "अमेरिका में चुने गए अधिकारियों के कुछ ऐसे गुट हैं जो कश्मीर और भारत के संबंध में गलत जानकारी फैलाते हैं. हाल ही में, अमेरिका ने प्रवासियों से संबंधित एच-1बी वीजा पॉलिसी को ब्लॉक कर दिया जिसको लेकर सवाल खड़े किए जाने चाहिए. भारत को भी अपनी प्रवासी नीति तय करने का अधिकार है. मैं असम में पला-बढ़ा हूं और मैंने सीमा पार से आते लोगों के झुंड को देखा है. वे उत्तर-पूर्व भारतीयों के संसाधनों और नौकरियों को छीन रहे हैं."

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हिंदू-अमेरिकन ऐक्शन कमिटी के बोर्ड मेंबर ऋषि भुटादा ने कहा, बाइडेन के कैंपेन से कई चीजें गायब हैं, जैसे कि कश्मीर के संबंध में पाकिस्तान समर्थित सीमा पार आतंकवाद. इसके अलावा, सीएए के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता दिए जाने जैसे अच्छे पहलू का भी जिक्र किया जाना चाहिए.

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