अमेरिका की राजनीति में शीर्ष पद पर पहुंचने में भारतीय-अमेरिकी समुदाय को लंबा वक्त लग जाता है लेकिन कमला हैरिस ने बेहद कम समय में इतिहास रच दिया है. डेमोक्रेट्स पार्टी की ओर से भारतीय मूल की कमला हैरिस को उप-राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया है. वह पहली अश्वेत महिला होने के साथ-साथ भारतीय मूल की भी पहली महिला हैं जो इस बड़े मुकाम तक पहुंची हैं. उम्मीदवारी के ऐलान के बाद कमला हैरिस ने डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडन के साथ एक रैली को भी संबोधित किया.
कमला हैरिस की उम्मीदवारी से भारतीयों में खुशी की लहर है क्योंकि उनकी जड़ें भारत से जुड़ी हुई हैं. कमला हैरिस की मां श्यामला गोपालन चेन्नै में पैदा हुई थीं और 19 साल की उम्र में बर्कले यूनिवर्सिटी में शोध करने के लिए अमेरिका चली गई थीं. श्यामला गोपालन ने अर्थशास्त्र के छात्र डॉनल हैरिस से 1963 में शादी की. दोनों की मुलाकात नागरिक अधिकारों को लेकर एक प्रदर्शन के दौरान हुई थी. हालांकि, 1970 में दोनों का तलाक हो गया. गोपालन ने अपनी दोनों बेटियों को भारतीय और अफ्रीकी विरासत पर गर्व करना सिखाया.
कमला हैरिस की उम्मीदवारी के ऐलान के बाद उनकी बहन माया हैरिस ने एक
वीडियो शेयर किया है जिसमें कमला ने अपनी मां को प्रेरणास्रोत बताया है.
कमला हैरिस वीडियो में कहती हैं, "मेरी मां एक आत्मविश्वास से भरपूर महिला
थीं. वो सांवली थीं और उनका लहजा भारी था. कई बार लोग इसी वजह से उन्हें
गंभीरता से नहीं लेते थे और उनकी इंटेलिजेंस को लेकर गलत धारणा बना लेते
थे. लेकिन मेरी मां ने हर बार लोगों को गलत साबित किया. मेरी मां की जो
शख्सियत थी और सपने देखने और पूरा करने का उनका जो यकीन था, उसकी वजह से
ही मैं आज यहां पर हूं."
कमला हैरिस ने सीएनएन को दिए एक इंटरव्यू में भी अपनी भारतीय विरासत पर बातचीत की थी. कमला ने कहा था, "मेरी मां को अपनी भारतीय पहचान को लेकर बहुत गर्व था और उन्होंने हमें भी यही सिखाया. हम अक्सर भारत जाया करते थे. मां के अलावा, मेरे नाना पी. वी. गोपालन का भी मेरी जिंदगी पर बहुत प्रभाव रहा है. मेरे नाना भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में से एक थे. जब मैं मद्रास में अपने नाना के साथ मॉर्निंग वॉक के लिए जाया करती थी तो वह अपने दोस्तों के साथ राजनीति, भ्रष्टाचार और न्याय को लेकर चर्चा किया करते थे. मेरे व्यक्तित्व में इस पृष्ठभूमि का गहरा असर है."
भारतवंशी होने के नाते भारतीयों को कमला हैरिस से काफी उम्मीदें हैं. लोगों को ये भी उम्मीद है कि अगर कमला हैरिस अमेरिका की उप-राष्ट्रपति बनती हैं तो भारत-अमेरिका के संबंध और मजबूत होंगे. हालांकि, एक बात ये देखनी होगी कि कश्मीर और नागरिकता कानून जैसे मुद्दों पर वह क्या रुख अपनाती हैं. कमला हैरिस कानून-व्यवस्था और मानवाधिकारों को लेकर अपने सख्त रुख को लेकर जानी जाती हैं. कश्मीर में अनुच्छेद-370 के मुद्दे पर और मानवाधिकार को लेकर भी वह मोदी सरकार की आलोचना करती रही हैं.
पिछले साल दिसंबर महीने में कमला हैरिस ने भारतीय अमेरिकी सांसद और अपनी सहयोगी प्रमिला जयपाल से मुलाकात ना करने को लेकर विदेश मंत्री एस. जयशंकर की कड़ी आलोचना की थी. कमला हैरिस ने ट्वीट किया था, "किसी भी विदेशी सरकार का ये बताना बिल्कुल अनुचित है कि कांग्रेस की बैठक में किन सदस्यों को बुलाने की अनुमति दी जाए और किसे नहीं." जाहिर है कि अगर कमला हैरिस उप-राष्ट्रपति बनती हैं तो मोदी सरकार की नजर इन पहलुओं पर भी रहेगी.
तमाम भारतीय-अमेरिकी जो बाइडन और कमला हैरिस की डेमोक्रेटिक पार्टी के रुख को भारत विरोधी मानते हैं. आलोचकों का कहना है कि डेमोक्रेटिक पार्टी, वामपंथियों और प्रगतिवादियों का गढ़ है जो कुछ मुस्लिम समूहों के इशारे पर भारत की आलोचना करती है. डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडन ने चुनाव से पहले "मुस्लिम अमेरिकी समुदाय के लिए एजेंडा" प्रकाशित किया है जिसमें उन्होंने कश्मीर में उठाए गए कदमों और CAA मुद्दे को लेकर भारत की आलोचना की.
इसके उलट, रिपब्लिकन पार्टी का प्रतिनिधित्व करने वाले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कश्मीर के घटनाक्रम पर धीमे सुर में सवाल उठाने के अलावा भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने से परहेज करते रहे हैं. पिछले प्रशासनों की ओर से प्रतिबंधित हथियारों की पेशकश भारत को की गई और चीन के साथ हालिया सीमा गतिरोध में नई दिल्ली का खुलकर समर्थन किया. पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप एक साथ रैलियों में भी दिखाई दिए हैं. ह्यूस्टन में "हाउडी मोदी" कार्यक्रम में पीएम मोदी ने भारतीय-अमेरिकी समुदाय से ट्रंप को वोट देने की भी अपील की थी.
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में शोधकर्ता और सेवानिवृत्त राजनयिक नवदीप सूरी का कहना है कि भारतीयों को कमला हैरिस के नामांकन से बहुत ज्यादा उत्साहित नहीं होना चाहिए. नवदीप सूरी ने कहा, "भारत के साथ जब संबंधों की बात आती है तो मैं अपनी एक्साइटमेंट थोड़ा कम करना चाहूंगा. हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि अमेरिका में जो भी शीर्ष पद पर आता है, उसे सबसे पहले अमेरिकियों और अमेरिका के हितों को सर्वोपरि रखना होगा. जहां हम अमेरिका के साथ करीबी रिश्तों की संभावना को देखते हुए खुश हो रहे हैं, वहीं हमें ये भी देखना होगा कि कमला हैरिस मानवाधिकार के मुद्दों को लेकर सख्त हैं या फिर कई अन्य मामलों में उनकी राय भारत सरकार को परेशान करने वाली हो सकती है."
वॉशिंगटन के एक अन्य वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि अमेरिका की मौजूदा रिपब्लिकन पार्टी की सरकार की तुलना में डेमोक्रेटिक पार्टी की सरकार शायद भारत के हक में ना हो. हालांकि, इमिग्रेशन और वीजा नियमों को लेकर कमला हैरिस मौजूदा ट्रंप प्रशासन के मुकाबले ज्यादा लचीला रुख अपना सकती हैं जिससे भारतीयों को फायदा होगा. पिछले साल, कमला हैरिस ने ग्रीन कार्ड की संख्या बढ़ाने वाले विधेयक को पास कराने की कोशिश की थी हालांकि ये विधेयक पास नहीं हो सका.
भारतीय-अमेरिकी युवाओं में कमला हैरिस काफी लोकप्रिय हैं. जो बाइडन के मुताबिक, कमला हैरिस के नाम के ऐलान के 24 घंटे के भीतर कैंपेन में 26 मिलियन डॉलर (करीब दो अरब) का फंड इकठ्ठा हो गया. भारतीय-अमेरिकियों की चुनाव जीतने में मदद करने वाले एक एडवोकेसी ग्रुप इंपैक्ट ने ऐलान किया है कि वह कमला हैरिस जैसे समान मूल्यों को मानने वाले उम्मीदवारों के लिए करीब 1 करोड़ डॉलर का फंड जुटाएगा. इंपैक्ट के एग्जेक्यूटिव डायरेक्टर नील माखिजा ने ट्वीट किया, "हैरिस ने भारत-अमेरिका के दो लोकतंत्रों के बीच सहयोग को काफी महत्व दिया है. वह कोई भी मुद्दा हो, निष्पक्ष रहेंगी और इस रिश्ते की अहमियत को पहचानेंगी.”