अमेरिका और चीन के बीच टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है. व्हाइट हाउस ने बुधवार को कहा है कि अमेरिका चीन के खिलाफ कई और कदम उठाने की तैयारी कर रहा है. हालांकि, व्हाइट हाउस ने ये स्पष्ट नहीं किया है कि अमेरिका चीन के खिलाफ कौन से कदम उठाएगा.
कोरोना वायरस की महामारी के बाद अमेरिका और चीन के संबंध और खराब हुए हैं. अमेरिका में कोरोना वायरस की महामारी से भयंकर तबाही हुई है जिसके लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन को जिम्मेदार ठहराते रहे हैं. हॉन्ग कॉन्ग में चीन के नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून, उइगुर मुसलमानों के साथ बर्ताव और तिब्बत को लेकर भी दोनों देश आमने-सामने हैं.
व्हाइट हाउस के प्रेस सेक्रेटरी कैली मैक्नी ने बुधवार को मीडिया से बातचीत में कहा, "मैं ये तो नहीं बता सकता हूं कि चीन के खिलाफ हम आगे क्या ऐक्शन लेने वाले हैं लेकिन जल्द ही आप कुछ ऐसी कार्रवाई के बारे में सुनेंगे जो चीन से जुड़ी है. इस बात की मैं पुष्टि कर सकता हूं."
अमेरिका के शीर्ष अधिकारियों के बयानों से भी ऐसा लग रहा है कि चीन के खिलाफ अमेरिका और सख्त कदम उठाने की तैयारी में है. हॉन्ग कॉन्ग, उइगुर मुसलमानों और तिब्बत को लेकर अमेरिका पहले ही कई चीनी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने जा रहा है.
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ ब्रायन ने बुधवार को ब्रिटिश उपनिवेश हॉन्ग कॉन्ग में नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लेकर कहा कि चीन ने शहर पर कब्जा कर लिया है. ब्रायन ने कहा, "मुझे लगता है कि आने वाले दिनों में चीन के संबंध में कई कदम देखेंगे. अमेरिका का कोई भी राष्ट्रपति चीन के खिलाफ उस तरह से नहीं खड़ा हुआ है जिस तरह से डोनाल्ड ट्रंप डटे हैं. वह पहले अमेरिकी राष्ट्रपति हैं जिसने व्यापार असंतुलन खत्म करने के लिए चीनी सामान पर भारी-भरकम टैरिफ लगाया."
एफबीआई डायरेक्टर क्रिस्टोफर रे ने भी एक दिन पहले बयान में कहा था कि चीन अमेरिका की बौद्धिक संपदा को चुराने की तमाम कोशिशें कर रहा है. राष्ट्रीय सुरक्षा के सवाल पर अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने पिछले सप्ताह कहा था कि अमेरिका चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है. अब ब्रायन ने भी कहा कि टिक टॉक, वीचैट समेत अन्य ऐप्स जिनका चीनी सरकार अमेरिकियों का डेटा चुराने में कर रही है, उन पर राष्ट्रपति की कड़ी नजर है.
ब्रायन ने कहा, राष्ट्रपति ट्रंप पहले ही कह चुके हैं कि अब हॉन्ग कॉन्ग को एक स्वायत्त क्षेत्र के तौर पर नहीं देखा जाएगा बल्कि चीन का हिस्सा माना जाएगा. हॉन्ग कॉन्ग को स्वायत्त क्षेत्र के तौर पर अमेरिका से मिलने वाली तमाम छूट खत्म कर दी जाएगी. राष्ट्रपति के विज़न को लागू करने के लिए आगे कई नियम और ऐक्शन होंगे.
अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि हॉन्ग कॉन्ग में चीन का कदम दशक की सबसे बड़ी
घटनाओं में से एक है. ब्रायन ने कहा, "हॉन्ग कॉन्ग पर चीन की कम्युनिस्ट
पार्टी ने कब्जा कर लिया है और अब वे लोकतांत्रिक और आजाद लोगों पर अपनी
इच्छा थोप रहे हैं. वे केवल हॉन्ग कॉन्ग में ही ऐसा नहीं कर रहे हैं बल्कि
इस इलाके से बाहर भी ऐसे कदम उठा रहे हैं. वे कानून के साथ-साथ अपनी आर्थिक
शक्ति का भी इस्तेमाल करते हैं. जब ह्यूस्टन रॉकेट्स चैनल के जनरल मैनेजर
ने हॉन्ग कॉन्ग के प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया तो चीन की कम्युनिस्ट
पार्टी ने चैनल को ही बैन कर दिया. तो चीनी कम्युनिस्ट पार्टी सिर्फ हॉन्ग
कॉन्ग में ऐसा नहीं कर रही है. ये सबको प्रभावित कर रहा है लेकिन हम ऐसा
नहीं होने देंगे."
अमेरिकी सांसद मैट गैएट्ज ने एक ट्वीट में कहा कि अमेरिका को इस बात को लेकर ज्यादा सतर्क होना चाहिए कि चीन एक दुश्मन है और उसके खिलाफ ज्यादा ताकत और प्रतिरोध दिखाने की जरूरत है. अमेरिका में चीनी कंपनियों को बढ़ावा देकर अपने दुश्मन की मदद नहीं करनी चाहिए.