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तालिबान ने कहा, कश्मीर में हम कोई हस्तक्षेप नहीं करेंगे

aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 01 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 7:45 PM IST
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अमेरिकी सेना के आखिरी विमान की वापसी के साथ ही तालिबान ने काबुल के इंटरनेशनल एयरपोर्ट को कब्जे में ले लिया और 20 सालों बाद तालिबान और भी मजबूत होकर अफगानिस्तान में दस्तक दे चुका है. इसके बाद से ही अफगानिस्तान में काफी अफरा-तफरी का माहौल है और कई लोग खासकर अमेरिकी और ब्रिटिश सेना के साथ काम कर चुके लोग, अल्पसंख्यकों और महिलाओं को अपनी सुरक्षा का डर सता रहा है. (अनस हक्कानी, फोटो क्रेडिट: Getty images)

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काबुल पर नियंत्रण के बाद से ही तालिबान प्रेस कॉन्फ्रेंस में शांति, महिलाओं के प्रति बेहतर रवैए, सुरक्षा और विकास की बात कर चुका है और तालिबान 2.0 की छवि को गढ़ने में लगा है. हालांकि तालिबान के आते ही अफगानिस्तान में बम ब्लास्ट्स शुरू हो गए हैं और इस देश में आतंक के पनपने का खतरा मंडरा रहा है. फोटो क्रेडिट: Getty images)

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अनस, हक्कानी नेटवर्क फाउंडर जलालुद्दीन हक्कानी के सबसे छोटे बेटे हैं. उन्होंने सीएनएन-न्यूज 18 को दिए इंटरव्यू में कहा कि हमारी पॉलिसी ये है कि हम दूसरे देशों के मामलों में दखलअंदाजी नहीं करेंगे और हम उम्मीद करते हैं कि दूसरे देश भी हमारे मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे. हमारा मानना ये है कि सभी तरह के मामलों में सौहार्दपूर्ण तरीके से नतीजे निकाले जा सकते हैं और हम बाकी देशों के साथ अच्छे संबंध बनाना चाहते हैं.(फोटो क्रेडिट: Getty images)

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हक्कानी नेटवर्क की ISI और पाक सेना के साथ निकटता के सवाल पर उन्होंने कहा कि हमारा संघर्ष बीस सालों का रहा है और हमारे बारे में काफी नकारात्मक बातें फैलाई गई हैं. हालांकि हम कहना चाहते हैं कि ये सब गलत आरोप हैं. हम सबके लिए काम कर रहे हैं और हक्कानी नेटवर्क कुछ नहीं है. (फोटो क्रेडिट: Getty images)

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उन्होंने आगे कहा कि खासतौर पर भारत के मीडिया में हमारे खिलाफ काफी दुष्प्रचार फैलाया गया है. हमारे युद्ध में कभी पाकिस्तान के हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया गया. ये एकदम बेबुनियाद बात है. हक्कानी नेटवर्क और भारत के संबंधों के सवाल पर उन्होंने कहा कि वे भारत के साथ सकारात्मक संबंध चाहते हैं.(फोटो क्रेडिट: Getty images)

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हक्कानी ने कहा कि भारत ने हमारे दुश्मन की भले दो दशकों तक मदद की लेकिन हम सब भुलाकर आपसी रिश्ते को बेहतर और सकारात्मक बनाना चाहते हैं. हम नहीं चाहते कि कोई हमारे बारे में गलत सोचे. उनसे पूछा गया कि क्या वे कश्मीर मामले में दखल देंगे और इस मामले में वे जैश-ए-मोहम्मद और Let जैसे संगठनों को सपोर्ट तो नहीं करेंगे? (फोटो क्रेडिट: Getty images)
 

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इस पर हक्कानी ने कहा कि मैं कहना चाहता हूं कि ये सिर्फ गलत प्रचार है और हम शांति के साथ रहना चाहते हैं. अफगानिस्तान आकर विकास कार्य से जुड़े लंबित कामों को पूरा करने में अगर भारत ने दिलचस्पी दिखाई तो तालिबान की क्या प्रतिक्रिया होगी? हक्कानी ने कहा कि वे आने वाले दिनों में अपनी पॉलिसी को पूरी तरह स्पष्ट करेंगे. 
 

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पाकिस्तान हक्कानी नेटवर्क के काफी करीब है और ये नेटवर्क कश्मीर में लगातार दखल दे रहा है. क्या हक्कानी पाकिस्तान को समर्थन देने के लिए कश्मीर में दखल देंगे? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कश्मीर हमारे अधिकार क्षेत्र का हिस्सा नहीं है और हम हस्तक्षेप नीति के खिलाफ है. आखिर हम अपनी ही नीतियों के खिलाफ कैसे जा सकते हैं? ये साफ है कि हम हस्तक्षेप नहीं करेंगे. (फोटो क्रेडिट: getty images)

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उन्होंने आगे कहा कि हम चाहते हैं कि सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर से लोग आएं और हमें सपोर्ट करें. अफगानिस्तान में कई सिख और हिंदू रहते हैं, उनकी सुरक्षा को लेकर हक्कानी ने कहा कि मैं आश्वस्त करता हूं कि अफगानिस्तान में सभी सुरक्षित हैं. हालांकि शुरुआत में थोड़ा डर और घबराहट थी लेकिन अब सब ठीक हैं. किसी भी समुदाय की तरह अफगानी सिख और हिंदू यहां खुशी से रहेंगे.(प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)

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