अफगानिस्तान में तालिबान के दबदबे से पड़ोसी मुल्क आशंकित हैं. अफगानिस्तान से लगी सीमा पर सुरक्षा चौकसी बढ़ा चुके मध्य एशियाई देश आतंक से निपटने के लिए हथियार जुटा रहे हैं. रूस को कई देशों से हथियार सप्लाई के ऑर्डर मिले हैं. रूस ने गुरुवार को बताया कि उसे अफगानिस्तान की सीमा से लगे सेंट्रल एशिया के देशों से हथियारों और हेलीकॉप्टरों के नए ऑर्डर मिले हैं.
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तालिबान के सत्ता में आने के बाद से चिंतित इन देशों में रूस का सैन्य ठिकाना भी है. आरआईए नोवोस्ती समाचार एजेंसी के मुताबिक रूस के सरकारी हथियार निर्यातक 'रोसोबोरोन एक्सपोर्ट' के प्रमुख अलेक्जेंडर मिखेव ने बताया, "हम पहले से ही रूसी हेलीकॉप्टरों, हथियारों और आधुनिक सीमा सुरक्षा प्रणालियों की आपूर्ति के लिए क्षेत्र के देशों से मिले ऑर्डर पर काम कर रहे हैं."
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उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान ने इस महीने की शुरुआत में अफगानिस्तान से लगी सीमा पर रूस के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास किया था. मॉस्को के नेतृत्व वाले कोलेक्टिव सिक्योरिटी ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (सीएसटीओ) के सदस्य देशों की सेना 7-9 सितंबर के बीच किर्गिस्तान में सैन्य अभ्यास करने वाली हैं. इंटरफैक्स समाचार एजेंसी के मुताबिक, यह युद्धाभ्यास सीएसटीओ सदस्य देशों पर हमला करने वाले अवैध सशस्त्र गुटों को खत्म करने पर केंद्रित होगा.
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तालिबान पहले ही कह चुका है कि अफगानिस्तान में उसके शासन से मध्य एशियाई देशों को कोई खतरा नहीं है. वह अफगानिस्तान की जमीन को किसी देश के खिलाफ हमले के लिए इस्तेमाल होने की इजाजत नहीं देगा. मगर अफगान के पड़ोसी मुल्क तालिबान की इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हैं. इसलिए वो अपनी सुरक्षा को लेकर तमाम कदम उठा रहे हैं.
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रूस भले ही अफगानिस्तान में नए शासन को लेकर उम्मीदों की नजर से देख रहा है. लेकिन उसने पड़ोसी देशों में शरणार्थियों के रूप में आतंकियों की एंट्री को लेकर आगाह भी किया है. रूस के सहयोगी और अफगानिस्तान के पड़ोसी देश ताजिकिस्तान ने चेतावनी दी कि वह तालिबान सरकार को मान्यता नहीं देगा.
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बहरहाल, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रवक्ता ने गुरुवार को कहा कि रूस ने अभी तक तालिबान के प्रति अपना रुख तय नहीं किया है. रूस का तालिबान शासन के प्रति रुख इस बात पर निर्भर करेगा वो अफगान लोगों और रूसी राजनयिकों के प्रति कैसे रवैया अपनाता है.
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राष्ट्रपति पुतिन के दिमित्री पेसकोव ने गुरुवार को एक ब्रीफिंग में कहा, "हमें लगता है कि तालिबान का प्रभुत्व, अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता और देश के अधिकांश हिस्से को अपने नियंत्रण में लेना वास्तव में एक सफल प्रक्रिया है." उन्होंने कहा कि मॉस्को अब देखना चाहता है कि तालिबान का शासन अफगान लोगों और रूसी राजनयिकों की सुरक्षा को लेकर कैसा है.
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दिमित्री पेसकोव ने कहा कि मॉस्को अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता में दिलचस्पी रखता है. वह काबुल के मसलों को लेकर वॉशिंगटन के साथ संपर्क में है और आगे भी इसे जारी रखेगा. उन्होंने कहा कि इस हालात में निश्चित रूप से बातचीत की जरूरत है. इसलिए निश्चित रूप से इस तरह के संपर्क (अमेरिका से) जारी रहने की बहुत संभावना है. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आदेश पर चार रूसी सैन्य विमानों ने बुधवार को काबुल से रूसी और अन्य नागरिकों को निकाला.
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