इंटरपोल की चेतावनी के बावजूद खतरनाक लिक्विड लोडेड एक पोत पाकिस्तान के गदानी शिपब्रेकिंग यार्ड में पहुंच गया. इससे पाकिस्तान के अधिकारियों में हलचल मच गई है. आनन-फानन में मामले में जांच के आदेश दिए गए हैं. एनवायरमेंट प्रोटेक्शन एजेंसी, बलूचिस्तान ने गदानी शिपब्रेकिंग यार्ड को सील कर दिया है जहां पोत को खड़ा किया गया है. इस पुरानी जहाज को तोड़ने के लिए यहां लाया गया था.
(फाइल फोटो-Getty Images)
अधिकारियों ने जहाज पर लदे केमिकल्स के सैम्पल जांच के लिए कराची स्थित लैब भेजे हैं. टाइम्स ऑफ इस्लामबाद की रिपोर्ट के मुताबिक 1,500 टन पारा मिश्रित केमिकल्स लदे जहाज को लेकर इंटरपोल ने चेतावनी जारी की थी. इंटरपोल ने संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) से जहाज को पाकिस्तान में एंट्री देने से मना किया था.
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अब बलूचिस्तान में लासबेला के उपायुक्त ने जांच का आदेश दिए हैं. संबंधित अधिकारियों से यह पता लगाने के लिए कहा है कि जहाज में खतरनाक सामग्री की मौजूदगी के बारे में इंटरपोल की तरफ से पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ साझा की गई जानकारी के बावजूद जहाज गदानी कैसे पहुंचा?
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डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक बलूचिस्तान के पर्यावरण विभाग के उप निदेशक इमरान सईद कक्कड़ ने कहा, "हमने प्लॉट नंबर-58 को सील कर दिया है, जहां जहाज को स्क्रैप करने के लिए लाया गया था." उन्होंने बताया कि जहाज को स्क्रैपिंग के लिए गदानी लाने वाले व्यापारी को कोई इसकी अनुमति नहीं दी गई थी.
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इमरान सईद कक्कड़ ने कहा कि लैब से जांच रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की जांच प्रक्रिया शुरू की जाएगी. उन्होंने कहा, "यदि पारा अधिकृत मात्रा से अधिक पाया जाता है तो उस शख्स के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा जिसने अपने एजेंट के माध्यम से जहाज खरीदा था और भूखंड को स्थायी रूप से सील कर दिया जाएगा और मालिक को कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा."
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खतरनाक केमिकल्स होने की वजह से भारत और बांग्लादेश पहले ही इस जहाज को अपने यहां एंट्री देने से मना कर चुके थे. बाद में इस जहाज का नाम 'एफएस ऑर्डियंट' से बदलकर 'चेरिश' कर दिया गया, जिसके बाद यह 21 अप्रैल को कराची पहुंचा. इसे गदानी शिपब्रेकिंग यार्ड में लाया गया है, और इसे तोड़ने का काम चल रहा है.
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पता चला है कि "जहाज का मालिक संबंधित विभागों से आवश्यक अनुमति प्राप्त किए बिना पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) से इजाजत हासिल करने के बाद इसे गदानी में लाने में सफल रहा था." रिपोर्ट में आगे दावा किया गया है कि इंटरपोल की चेतावनी को लेकर पर्यावरण मंत्रालय और तीन अन्य संघीय मंत्रालयों ने इस मामले पर बातचीत की है.
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पाकिस्तान समुद्री सुरक्षा एजेंसी (पीएमएसए), एनवायरमेंट प्रोटेक्शन एजेंसी, बलूचिस्तान और सीमा शुल्क विभाग पर जहाज को पाकिस्तान में एंट्री न देने की जिम्मेदारी थी. लेकिन इंटरपोल की चेतावनी के बावजूद पोत को एंट्री मिल गई. इस बात पर मंथन चल रहा है कि यह कैसे मुमकिन हुआ?
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बहरहाल, संबंधित अधिकारियों ने यह जवाब देने से इनकार कर दिया है कि खतरनाक सामग्री वाले जहाज को इंटरपोल की चेतावनी के बावजूद यार्ड में खड़ा करने की अनुमति क्यों दी गई. जहाज को पहले बांग्लादेश और फिर भारत लाया गया था. हालांकि, दोनों देशों के अधिकारियों ने जहाज में खतरनाक पारा-मिश्रित रसायन लोड होने के कारण अपने शिपब्रेकिंग यार्ड में इसे स्क्रैप करने की अनुमति नहीं दी.
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