अमेरिका चीन के नए दोस्त पाकिस्तान के साथ मिलकर अब उसे नई चुनौती देने की तैयारी में है. भारत, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान के गुट वाले क्वाड (Quad) ग्रुप की तरह ही अमेरिका अब अफगानिस्तान, पाकिस्तान और उज्बेकिस्तान के साथ एक नया क्वाड ग्रुप बनाने जा रहा है. इस नए डिप्लोमेटिक प्लेटफार्म का फोकस इन क्षेत्रों में रीजनल कनेक्टिविटी पर रहेगा ताकि इन देशों में समृद्धि और शांति के द्वार खुलें. इस बात की पुष्टि स्वयं बाइडेन प्रशासन ने की है.
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एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट ने शुक्रवार को बताया, 'सभी पक्ष मानते हैं कि रीजनल कनेक्टिविटी के लिए अफगानिस्तान में शांति और स्थायित्व जरूरी है और इस बात पर सहमत हैं कि रीजनल कनेक्टिविटी और शांति दोनों एक दूसरे को मजबूत करते हैं.'
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अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा है कि फलते-फूलते अंतर्क्षेत्रीय व्यापार मार्गों (interregional trade routes) को खोलने के ऐतिहासिक अवसर को स्वीकार करते हुए, सभी पक्ष व्यापार का विस्तार करने, ट्रांजिट लिंक बनाने और व्यापार-से-व्यावसायिक संबंधों (business-to-business) को मजबूत करने के लिए सहयोग करने का इरादा रखते हैं.
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अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट ने आगे कहा "सभी पार्टियों ने आने वाले महीनों में सहयोग के तौर-तरीकों को निर्धारित करने के लिए मिलने पर सहमति व्यक्त की है.'' यानी अगले कुछ महीनों के भीतर ही चारों देश एक बैठक कर सकते हैं.
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अफगानिस्तान (Afghanistan) की रणनीतिक स्थिति को लंबे समय से महत्व दिया जाता रहा है, जिसका फायदा इस युद्धग्रस्त देश को मिल सकता है.
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आपको बता दें कि अफगानिस्तान की सीमा पूर्व और दक्षिण में पाकिस्तान से, पश्चिम में ईरान से, उत्तर में तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान से और उत्तर पूर्व में चीन से लगती है.
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ऐतिहासिक सिल्क रोड (Silk Road) के केंद्र में स्थित अफगानिस्तान लंबे समय तक एशियाई देशों के बीच व्यापार का चौराहा रहा है, जो एशियाई देशों को यूरोप से जोड़ता था. अफगानिस्तान की भूमिका दोनों महाद्वीपों के बीच में धार्मिक, सांस्कृतिक और वाणिज्यिक संपर्कों को बढ़ाने में भी रही है.
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ये क्वाड ग्रुप ऐसे समय में स्थापित किया जा रह है जबकि चीन भी अफगानिस्तान में अपने बेल्ट रोड इनिशिएटिव (Belt Road Initiative) का विस्तार करने की इच्छा रखता है.
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बीआरआई (Belt Road Initiative) की शुरुआत साल 2013 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा की गई है. अरबों डॉलर की इस योजना का उद्देश्य दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को जमीन और समुद्री मार्गों के नेटवर्क से जोड़ना है.
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जिस पोजीशन पर अफगानिस्तान स्थित है, उससे अफगानिस्तान चीन के लिए एक ऐसा स्ट्रेटेजिक बेस के रूप में काम आ सकता है जहां से चीन विश्व के बड़े हिस्से को प्रभावित कर सकेगा. इसलिए अमेरिका पहले से ही अफगानिस्तान के साथ कनेक्टिविटी बढ़ाना चाहता है, ताकि अफगानिस्तान के साथ-साथ एशिया में भी उसका दबदबा बना रहे.
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अमेरिका, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और उज्बेकिस्तान को मिलाकर नया QUAD ग्रुप बनाकर चीन को एक और नई चुनौती पेश करने जा रहा है. भारत के गुट वाले क्वाड पर चीन पहले से ही आपत्ति जाहिर करता रहा है. अघोषित तौर पर कहा जाता है कि अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान को मिलाकर बनाया गया क्वाड साउथ चाइना सी में चीन के बढ़ते वर्चस्व को रोकने की एक रणनीति के तहत गठित किया गया है.
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