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विश्व

भारत-विरोध में नेपाल के PM ओली ने किया ये काम, हुई किरकिरी!

गीता मोहन
  • 18 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 1:07 PM IST
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नेपाल ने कुछ वक्त पहले ही अपने देश का नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था. नेपाल ने इस नक्शे में भारत के तीन इलाकों को भी शामिल कर लिया था जिन पर वह अपना दावा पेश करता है. नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस मुद्दे पर खूब वाहवाही मिली थी. हालांकि, अब जब ओली सरकार ने नए नक्शे के साथ नए राष्ट्रीय चिह्न को जारी किया तो उसे अपने ही देश के लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ रही है.

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दरअसल, नेपाल के संसदीय सचिव ने जब सोमवार को नए नक्शे के साथ नया राष्ट्रीय प्रतीक जारी किया तो सांसदों ने इसकी डिजाइन को लेकर नाराजगी जाहिर की. ओली सरकार इतने आनन-फानन में थी कि उसने राष्ट्रीय प्रतीक की डिजाइन तक ठीक से नहीं बनवाई. इसे लेकर उनकी अपनी ही पार्टी के सांसद उनको घेर रहे हैं.

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नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की सांसद राम कुमारी झांकरी ने काठमांडू पोस्ट से बताया, हमने इसे बनाने में लगी मेहनत का सम्मान करते हुए इसे स्वीकार कर लिया है लेकिन इससे हमारे संसदीय सचिव की अयोग्यता जाहिर होती है. बेकार डिजाइन और कई खामियों की वजह से नेपाल के नए बैज का सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर मजाक भी बनाया जा रहा है.

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नेपाल के राष्ट्रीय प्रतीक में ना तो देश के नए नक्शे को ठीक से उकेरा गया है और ना ही राष्ट्रीय ध्वज को. कई लोग कह रहे हैं कि ऐसा लग रहा है जैसे किसी नौसिखिए को राष्ट्रीय प्रतीक बनाने के लिए दे दिया गया. नेपाल के राष्ट्रीय चिह्न में दो हाथ नक्शे और ध्वज को थामे हुए हैं. इसमें एक हाथ महिला का और दूसरा हाथ पुरुष का दिखाया गया है. सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने कहा कि नए राष्ट्रीय चिह्न की डिजाइन देखने के बाद लग रहा है कि स्कूल के किसी बच्चे ने आर्टवर्क किया है.

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ओली सरकार ने 20 मई को नेपाल का नया नक्शा जारी किया था जिसके बाद नेपाल के राष्ट्रीय चिह्न में भी बदलाव किए गए. दरअसल, भारत ने जब लिपुलेख में कैलाश मानसरोवर रोडलिंक का उद्घाटन किया था तभी नेपाल ने विरोध दर्ज कराया था. नेपाल कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा पर अपना दावा पेश करता है. आनन-फानन में नेपाल ने इन इलाकों को अपने नक्शे में शामिल करते हुए नया नक्शा जारी कर दिया था जिसके बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बढ़ गया. हालांकि, सीमा तनाव के बाद पहली बार स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नेपाल के पीएम केपी ओली के बीच बातचीत हुई जो एक सकारात्मक संकेत है.

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हालांकि, ओली सरकार नए राष्ट्रीय चिह्न की डिजाइन को लेकर बुरी तरह घिरी हुई है. अधिकारियों के मुताबिक, लोगो को टेक बीर मुखिया नाम के एक कलाकार ने डिजाइन किया था. डिजाइन पर सहमति बनने के बाद ललितपुर की कई इंडस्ट्रीज को बैज बनाने के लिए दिए गए थे. नेपाली कांग्रेस के एक सांसद प्रकाश पांथा ने कहा, नक्शे और राष्ट्रीय ध्वज के साथ खिलवाड़ देखकर दुख हो रहा है. संसदीय सचिव इस सारी गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार हैं और उन्हें इसे सुधारने की जरूरत है. नए राष्ट्रीय चिह्न बनाने में करीब 20 लाख रुपए की धनराशि खर्च हुई है. वहीं, सचिवालय के जनसूचना अधिकारी दशरथ धमल ने कहा, ये हाथ से बनाए गए हैं इसलिए इनकी फिनिशिंग बहुत परफेक्ट नहीं है. कैमरा ऐंगल की वजह से फोटो में चिह्न अलग नजर आ रहे हैं जबकि वास्तव में वे इतने बुरे भी नहीं हैं.

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ओली की पार्टी की ही सांसद झांकरी ने कहा, कुछ लोग कह सकते हैं कि ये छोटा सा मुद्दा है लेकिन ये दिखाता है कि हमारे देश की सरकारी मशीनरी किस तरह से काम करती है. ये नेपाल की बड़ी समस्याओं का प्रतीक है. यहां संवेदनशीलता, मेहनत और एकता की कमी है. ये प्रवृत्ति सिर्फ संसद तक ही सीमित नहीं है बल्कि हर जगह नजर आती है.

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राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भद्दे तरीके से बनाए गए प्रतीकों से सिर्फ नेपाल के लोग ही शर्मिंदा नहीं हुए हैं बल्कि देश की समृद्ध विरासत और कलाकारी भी अपमानित हुई है. नेपाल के एक राजनीतिक विश्लेषक राजेंद्र महाराजन ने कहा कि अगर सचिवालय ने कुछ विशेषज्ञों से सलाह ले ली होती तो ऐसी ब्लंडर नहीं होती. उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि सत्ता में बैठे हर शख्स को लगता है कि उसे सब कुछ पता है. ये बात केवल कार्यपालिका प्रमुख पर ही नहीं बल्कि सभी संबंधित एजेंसियों पर भी लागू होती है.

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सचिवालय भले अपनी गलती नहीं मान रहा है लेकिन इसे बनाने वाली कॉटेज ऐंड स्मॉल इंडस्ट्री के अधिकारियों ने कहा है कि राष्ट्रीय चिह्न बनाने में लापरवाही हुई है. इंडस्ट्री के एक अधिकारी गणेश राउत ने कहा कि उन्हें कलरिंग और प्लास्टिंग कोटिंग में नौसिखिया लोगों को लगाना पड़ा था क्योंकि उन पर जल्द से जल्द डिलीवरी के लिए दबाव बनाया गया था. राउत ने कहा, "पेंट का रंग सुखाने में करीब 48 घंटे लगते हैं लेकिन हमें सिर्फ 12 घंटे मिले थे. अगर हमें थोड़ा और वक्त दिया गया होता, कम से कम 23 अगस्त तक का वक्त तो हम बहुत परफेक्ट चिह्न बनाते."


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