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महातिर के मंसूबों पर फिरा पानी, मोहियुद्दीन बने मलेशिया के PM

aajtak.in
  • 02 मार्च 2020,
  • अपडेटेड 2:16 PM IST
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94 वर्षीय महातिर मोहम्मद के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद मलेशिया में मचे सियासी उथल-पुथल के बीच पूर्व गृह मंत्री मोहियुद्दीन यसीन ने रविवार को प्रधानमंत्री पद की शपथ ले ली. पाकिस्तान के दोस्त महातिर के लिए ये एक बड़ा झटका है. महातिर कश्मीर, नागरिकता कानून समेत तमाम मुद्दों पर भारत सरकार की तीखी आलोचना करते रहे हैं और उनके कार्यकाल में मलेशिया-पाकिस्तान की करीबी भी तेजी से बढ़ रही थी.

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मलेशिया के महातिर मोहम्मद ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया था लेकिन ऐसी खबरें थी कि वह अन्य दलों के साथ गठबंधन कर फिर से सत्ता में आने की योजना बना रहे थे.

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मलेशिया के सुल्तान की ओर से जारी किए बयान में कहा गया, प्रधानमंत्री की नियुक्ति करने की प्रक्रिया में देरी नहीं की जा सकती है क्योंकि जनता और राष्ट्र कल्याण के लिए देश को एक सरकार की सख्त जरूरत है. महातिर ने मोहियुद्दीन के प्रधानमंत्री चुने जाने को अवैध करार दिया है. महातिर ने संसद की आपात बैठक बुलाने की मांग करते हुए कहा, अब हम एक ऐसे शख्स को प्रधानमंत्री के पद पर देखेंगे जिसके पास बहुमत ही नहीं है.

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बता दें कि 2018 के चुनाव के दौरान महातिर ने 'एलायंस ऑफ होप' (पाकातन हरप्पन) गठबंधन के सहयोगी अनवर इब्राहिम से वादा किया था कि वह उनके उत्तराधिकारी होंगे. रिपोर्ट्स के मुताबिक, 94 वर्षीय महातिर पर अनवर इब्राहिम के समर्थकों द्वारा सत्ता स्थानांतरण की समयसीमा तय करने का दबाव बढ़ता जा रहा था जिसकी वजह से महातिर ने इस्तीफा दे दिया. इस्तीफा देने के बाद महातिर अनवर के बिना नई सरकार बनाना चाह रहे थे हालांकि, उनके मंसूबों पर पानी फिर गया.

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महातिर ने कहा था कि वह 29 फरवरी को अनवर के 'एलायंस ऑफ होप' के नेताओं से मिले थे. यही नहीं, उन्होंने संसद में बहुमत हासिल कर तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने का विश्वास जताया था. हालांकि, महातिर ने इस बयान में ये स्पष्ट नहीं किया था कि वह पूर्व गठबंधन के सहयोगियों से हाथ मिलाएंगे या नहीं. बता दें कि महातिर ने 2018 के चुनाव में इसी गठबंधन के दम पर मलेशिया में 1957 में आजादी के बाद से लगातार सत्ता में रही पार्टी को हरा दिया था. दिलचस्प बात ये है कि महातिर ने खुद कभी इस गठबंधन का नेतृत्व किया था.

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प्रधानमंत्री की नियुक्ति के लिए संसद में वोट कराने के बजाय मलेशिया के सुल्तान ही नामांकित उम्मीदवार की नियुक्ति करते हैं, बशर्तें सुल्तान इस बात को लेकर संतुष्ट हों कि उम्मीदवार के पास बहुमत है.

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मलेशिया के नवनियुक्त प्रधानमंत्री मोहियुद्दीन मलेशिया की राजनीति में जाना पहचाना नाम है. 72 वर्षीय मोहियुद्दीन का सियासी करियर करीब 50 सालों का है. नजीब रज्जाक की सरकार के दौरान वह गृह मंत्री भी रह चुके हैं.

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मोहियुद्दीन कई दशकों तक यूएमएनओ (यूनाइटेड मलय नेशनल ऑर्गनाइजेशन) से जुड़े थे. 2015 में एक घोटाले को लेकर नजीब की आलोचना करने की वजह से उन्हें पार्टी से बर्खास्त कर दिया गया था. इसके बाद 2018 के चुनाव में वह महातिर के साथ आ गए थे. पिछले सप्ताह ही उन्होंने प्रधानमंत्री बनने के लिए यूएमएनओ से फिर से हाथ मिला लिया जबकि वह पार्टी के सदस्य भी नहीं थे.

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मोहियुद्दीन एक मुस्लिम राष्ट्रवादी हैं जो विवादित तौर पर खुद को 'मलय फर्स्ट' और 'मलेशियन सेकेंड' से परिभाषित करते हैं. मलेशिया में चिंता जताई जा रही है कि उनके नेतृत्व में धार्मिक और नस्लीय असहिष्णुता और बढ़ सकती है. मलेशिया की 60 फीसदी आबादी मलय मुस्लिम हैं. वहीं चीनी और भारतीय नस्ल के अल्पसंख्यकों की भी अच्छी तादाद है.

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नॉटिंगम यूनिवर्सिटी के विश्लेषक ब्रिजेट वेल्श का कहना है, मोहियुद्दीन के पास घरेलू राजनीति और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मिली वैसी वैधता नहीं है जो पूर्ववर्ती सरकार के पास थी. मलेशिया में मोहियुद्दीन की सरकार का विरोध भी हो रहा है.

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