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भारत ने संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के लिए उठाया ये अहम कदम

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 28 मई 2021,
  • अपडेटेड 3:20 PM IST
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फिलिस्तीनियों से संघर्ष के मसले पर संयुक्त राष्ट्र की संस्था मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में इजरालय-फिलिस्तीन के संघर्ष को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया गया है. प्रस्ताव के मुताबिक यूएन माननाविधाकर परिषद फिलिस्तीन के चरमपंथी संगठन हमास और इजरायल के बीच 11 दिनों तक चले हिंसक संघर्ष की जांच 'युद्ध अपराध' के तौर पर करेगी. हालांकि इस प्रस्तवा का इजरायल ने कड़ा विरोध किया है. वहीं भारत ने इजरायल-फिलिस्तीन से शांति की अपील की और इस प्रस्ताव पर मतदान की प्रक्रिया से बाहर रहा. 

(फोटो-AP)

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बहरहाल, युद्ध अपराध की जांच की मांग को लेकर यूएनएचआरसी में लाए गए प्रस्ताव पर हुए मतदान में भारत ने हिस्सा नहीं लिया. भारत उन 13 देशों में शामिल हैं जिन्होंने इस मसले पर हुए मतदान में हिस्सा नहीं लिया. चौबीस देशों ने प्रस्ताव का समर्थन किया और नौ देशों ने इजरायल का साथ दिया. गुरुवार को भारत ने यूएनएचआरसी में अपने पुराने रुख को दोहराया.

(फोटो-@ambtstirumurti)

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भारत ने इजरायल-फिलिस्तीन में सीजफायर का स्वागत किया. जारी बयान में भारत ने दोनों पक्षों से शांति की अपील की. भारत ने कहा कि सुरक्षा परिषद का पूर्वी यरुशलम और अन्य फिलिस्तीनी क्षेत्रों की स्थिति पर पिछले दो हफ्तों से फोकस रहा है. परिषद की इन बैठकों के दौरान, भारत ने पुराने शहर यरुशलम में हिंसा, विशेष रूप से रमजान के पवित्र महीने के दौरान हरम अल शरीफ/ टेम्पल माउंट और पूर्वी यरुशलम में शेख जर्राह से संभावित बेदखली पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की. हमने यरुशलम में ऐतिहासिक यथास्थिति बनाए रखने पर जोर दिया है.

(फाइल फोटो-Getty Images)

 

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संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि और राजदूत टीएस त्रिरुमूर्ति ने कहा, 'हमारा मानना है कि दो-राष्ट्र की नीति के जरिये ही इसका समाधान किया जा सकता है.इन मुद्दों पर दोनों पक्षों के बीच सीधी और सार्थक बातचीत के माध्यम से शांति स्थापित की जा सकती है. केवल दो राष्ट्र समाधान के जरिये इस मसले को सुलझाया जा सकता है जिसके इजरायल और फिलिस्तीन के लोग हकदार हैं.' हालांकि भारत के हालिया बयानों को लेकर कहा जा रहा है कि उसका झुकाव अब इजरायल की तरफ बढ़ रहा है. मतदान में हिस्सा न लेने को लेकर भी दोनों पक्षों से संतुलन बनाए रखने की नीति बताई जा रही है. जबकि पहले भारत फिलिस्तीन के साथ खुलकर खड़े रहा है.

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बहरहाल, बेंजामिन नेतन्याहू ने संयुक्त राष्ट्र में पारित प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा, 'यूएन मानवाधिकार परिषद में लिया गया शर्मनाक फैसला एक और उदाहरण है कि संयुक्त राष्ट्र की यह संस्था कैसे इजरायल विरोधी मानसिकता से ग्रस्त है. एक बार फिर से ऑटोमेटिक बहुमत वाली इस काउंसिल ने जनसंहार करने वाले आतंकवादी संगठन, जिसने जानबूझकर इजरायली नागरिकों को निशाना बनाया और गाजा के लोगों को ढाल की तरह इस्तेमाल किया, उस (हमास) के अपराधों को छिपा दिया गया है.'

(फोटो-Getty Images)


 

 

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नेतन्याहू ने कहा, 'हम एक लोकतांत्रिक देश हैं और हमने हजारों रॉकेट हमले से अपने लोगों को सुरक्षित करने के लिए जवाबी कार्रवाई की थी. इसे लेकर हमें 'दोषी' करार दिया गया है. यह अंतरराष्ट्रीय नियमों का मजाक है. यह (प्रस्ताव) दुनिया भर में आतंकवादियों के लिए प्रोत्साहन देने वाला साबित होगा.'

(फोटो-Getty Images)

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इजरायल के विदेश मंत्रालय ने यूएन के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया और कहा कि संयुक्त राष्ट्र हमास को लकेर दोहरा रवैया दिखा रहा है. यूएनएचआरसी के प्रस्ताव को लेकर इजराइल के विदेश मंत्रालय ने सीधा निशाना साधते हुए बयान जारी किया है.

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इजरायल के विदेश मंत्रालय के ऑफिसियल ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया, '2014 में यूएनएचआरसी ने आतंकवादी संगठन आईएआईएस की निंदा की. 2015 में यूएनएचआरसी ने बोकोहराम की निंदा की. मगर 2006 से 2021 तक यूएनएचआरसी ने हमास के लिए कुछ भी नहीं कहा.''

(फोटो-Getty Images)

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इजरायल ने कहा है कि यूएनएचआरसी का संचालन पाखंड से भरा है. इजरायल के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उस पर एक आतंकवादी संगठन (हमास) ने 4,300 रॉकेट दागे मगर एक भी निंदा प्रस्ताव पास नहीं किया गया. इजरायल ने कहा कि यूएनएचआरसी में  हमास का नाम तक नहीं लिया गया. यूएनएचआरसी एक ढोंगी संस्था है. इजरायल ने दावा किया कि उसके सुरक्षा बलों ने अंतरराष्ट्रीय नियम-कायदों का पालन करते हुए जवाबी कार्रवाई की है.

(फोटो-Getty Images)

 

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इजरायल ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यूएनएचआरसी आप किसके अधिकारों की रक्षा कर रहे हैं. इजरायल के विदेश मंत्रालय ने कहा, हमास ने अंतरराष्ट्रीय युद्ध अपराध किया है. उसने गाजा से इजरायल के उन इलाकों को निशाना बनाया जहां लोग रहते हैं. हम इस इस प्रस्ताव को खारिज करते हैं. इजराइल हमास से अपना बचाव करता रहेगा. हम उन देशों के प्रति आभार जताते हैं जिन्होंने इस प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया.

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संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के राजदूत ने भी प्रस्ताव पर कड़ा सवाल खड़ा किया. संयुक्त राष्ट्र संघ में इजरायल ने कहा कि क्या आज सुबह पैनल ने एक और संतुलित दृष्टिकोण प्रदर्शन किया? क्या हमास के रॉकेटों के शिकार एक भी इजरायली को ढूंढना आपके लिए इतना कठिन था? यह एक और सबूत है कि यूएन और इस विशेष सत्र के प्रायोजकों को इजरायलियों के मानवाधिकारों की परवाह नहीं है!

(फोटो-ट्विटर)

 

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मीरव अलोन शाहर ने फिलिस्तीनी अथॉरिटी पर भी निशाना साधा. उन्होंने जारी वीडियो संदेश में कहा, 'आज इस विशेष सत्र को बुलाकर, फिलीस्तीनी प्राधिकरण ने हमास को उसके कार्यों के लिए पुरस्कृत करने और इसे और प्रोत्साहित करने के लिए चुना है. सदस्य देशों को आज फैसला करना होगा कि वे फिलिस्तीनी समर्थक हैं या हमास समर्थक? वे दोनों नहीं हो सकते.'

(फोटो-AP)

 

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असल में, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने गाजा, इजराइल और वेस्ट बैंक में अधिकारों के उल्लंघन की छीनबीन कर एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए जांच आयोग बनाने का फैसला किया है. इजरायल के खिलाफ पहली बार बहुमत से जांच आयोग गठित करने का फैसला हुआ है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में यह प्रस्ताव 24-9 वोट से पारित हुआ.

(फोटो-AP)

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संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में इजरालय के खिलाफ मतदान के दौरान 14 देश गैर-हाजिर रहे. फिलिस्तीनियों के मानवाधिकारों को लेकर गुरुवार को बुलाए गए विशेष सत्र में मुस्लिम देशों के संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक  कोऑपरेशन (ओआईसी) के सदस्य देश एकजुट नजर आए. इस्लामिक संगठन फिलिस्तीन के समर्थन में खड़ा है.

(फाइल फोटो-AP) 

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वहीं मानवाधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र की उच्चायुक्त मीचेल बैचलेट ने इजरायल के खिलाफ जांच की हिमायत की. उन्होंने कहा कि इजरायल को हिंसक संघर्ष की बेरोकटोक जांच की इजाजत देनी चाहिए. 11 दिन चले खूनी संघर्ष में सैकड़ों लोगों को जान गंवानी पड़ी.  

(फाइल फोटो-AP)

 

 

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