WHO से नाता तोड़ने के फैसले पर अब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके प्रशासन की चौतरफा आलोचना होने लगी है. इंफेक्शियस डिसीज़ समेत बच्चों और सामान्य बीमारियों के चिकित्सकों का प्रतिनिधित्व करने वाले समूहों ने राष्ट्रपति ट्रंप के निर्णय का विरोध करना शुरू कर दिया है. चिकित्सकों के समूह का कहना है कि ऐसा करने से कोरोना वायरस से जंग और ज्यादा मुश्किल होगी.
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अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ने कहा कि ऐसा निर्णय लेना बच्चों के स्वास्थ्य के लिए भी खतरा साबित होगा. उन्होंने कहा, 'महामारी के इस दौर में WHO से नाता तोड़ने का ट्रंप प्रशासन का ये निर्णय कई मासूम बच्चों की जिंदगी को खतरे में डाल सकता है.'
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के सीईओ मार्क डेल मॉन्टे ने कहा, 'WHO से रिश्ता खत्म करने से देश में पोलियो का खतरा बढ़ सकता है. इसके अलावा मलेरिया से होने वाली मौत में इजाफा हो सकता है. साथ ही जीवन बचाने वाली वैक्सीन का निर्माण करने में और ज्यादा समय लगेगा.'
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उन्होंने कहा, 'WHO से समर्थन वापस लेना न केवल कोविड-19 के खिलाफ वैश्विक तैयारियों को नुकसान पहुंचाएगा, बल्कि स्वास्थ्य संबंधी लापरवाही के बढ़ने से बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ेगा. संस्थान ने ट्रंप प्रशासन से आग्रह किया है कि वे WHO के साथ काम करना जारी रखे और वैश्विस स्तर पर बच्चों के स्वास्थ्य को बढ़ावा दे.
बता दें कि WHO को सबसे ज्यादा फंड अमेरिका से ही मिलता है. पिछले कुछ दशकों से हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन को अमेरिका से हर साल तकरीबन 800 करोड़ से ज्यादा (107 यूएस मिलियन डॉलर से 119 यूएस मिलियन डॉलर) आर्थिक मदद मिलती आ रही है.
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पिछले महीने ही डोनाल्ड ट्रंप ने WHO को चेतावनी देते हुए आर्थिक रूप से मिलने वाली सहायता पर रोक लगाने की बात कही थी. शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य शाखा डब्ल्यूएचओ से अमेरिका ने पारंपरिक नेतृत्व की भूमिका को समाप्त कर दिया.
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अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन की प्रेसीडेंट डॉक्टर पैट्रिस हैरिस ने कहा, 'ट्रंप प्रशासन के इस निर्णय का कोई तर्क नहीं है. ऐसी तर्कहीन कार्रवाई के नतीजे भयानक हो सकते हैं. खासतौर से ऐसे मौके पर जब WHO के नेतृत्व में कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर बड़े पैमाने पर ट्रायल चल रहे हैं.'
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उन्होंने कहा, 'कोरोना वायरस ने सीमाओं की परवाह किए बगैर पूरे अमेरिका को प्रभावित किया है. इसे हराने के लिए पूरी दुनिया का एक साथ आना जरूरी है.' अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन ने राष्ट्रपति से आग्रह किया कि वे कोरोना वायरस से जंग के बीच अपनी लीडरशिप पोजिशन का त्याग न करे.
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यूएस सेंटर्स फॉर डिसीज़ कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के पूर्व अधिकारी डॉक्टर थॉमस फ्राईडेन ने कहा, 'WHO को बनाने में हमारा बड़ा योगदान है. हम उसका हिस्सा हैं और WHO को यूं पीठ दिखाकर जाने से पूरी दुनिया कमजोर और असुरक्षित महसूस करने लगेगी.'
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फ्राईडेन ने अपने बयान में कहा, 'अब चीन समेत दुनिया के कई दूसरे देशों के पास डब्ल्यूएचओ की वीटो पावर होगी, सिवाय अमेरिका के. ऐसा करने से अमेरिका और अधिक असुरक्षित हो जाएगा.'
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