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विश्व

कोरोना: भारत के लॉकडाउन की वजह से मुश्किल में फंसा मलेशिया

aajtak.in
  • 04 मई 2020,
  • अपडेटेड 9:56 AM IST
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कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए भारत में लॉकडाउन को एक महीने से ज्यादा का वक्त हो गया है. लॉकडाउन की वजह से भारतीय उद्योग-धंधे तो बुरी तरह प्रभावित हो ही रहे हैं लेकिन इसका असर दूसरे देशों पर भी पड़ रहा है. भारत से सप्लाई बाधित होने की वजह से मलेशिया रमजान के महीने में मांस की किल्लत का सामना कर रहा है.

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कुआलालंपुर के स्ट्रीट वेंडर अबु जहरीम इस्माइल ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि रमजान के महीने में भैंस के मांस की बिक्री बढ़ जाती थी. लेकिन इस साल कोरोना वायरस की महामारी ने भैंस के मांस के निर्यात को भी रोक दिया जिससे इसकी कीमतें आसमान छू रही हैं. स्ट्रीट वेंडर ने कहा कि वायरस ने सब कुछ गर्त में धकेल दिया है.

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दुनिया के दूसरे सबसे बड़े बीफ निर्यातक देश और मलेशिया के टॉप सप्लायर भारत में ज्यादातर मीट प्रोसेसिंग प्लांट बंद हैं. दो निर्यातकों ने रॉयटर्स से बताया, भारत हर महीने करीब एक लाख टन से ज्यादा भैंस का मांस बेचता है लेकिन मार्च महीने में सिर्फ 40,000 टन मांस का ही निर्यात किया गया. अप्रैल महीने में तो बिक्री और भी कम हुई है क्योंकि लॉकडाउन लागू कर दिया गया था. मई महीने में भारतीय अर्थव्यवस्था के आंशिक तौर पर खुलने के बावजूद बिक्री सामान्य से बेहद कम होगी.

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उत्तर प्रदेश के एक एक्सपोर्टर का कहना है, फिलहाल चीजें हमारी इंडस्ट्री के पक्ष में जाती नहीं दिख रही हैं. भले ही ये खाना है, लेकिन यह जरूरी वस्तुओं की सूची में नहीं आता है और निर्यात पर भी यही बात लागू होती है. अभी सारे एक्सपोर्टर्स किसी तरह अपना करेंट स्टॉक निकालने की कोशिश कर रहे हैं.

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भारत से आपूर्ति प्रभावित होने की वजह से मलेशिया में फ्रोजेन बफैलो मीट की कीमतों में पिछले रमजान की तुलना में 15 से 20 फीसदी का इजाफा हो गया है. मलेशिया में रमजान के महीने में ही मांस की सालाना खपत का 20 फीसदी उपभोग हो जाता है क्योंकि रमजान में परिवार के सारे सदस्य एक साथ सहरी करते हैं.

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कुआलालंपुर के एक आयातक ने रॉयटर्स एजेंसी से बताया, सामान्य तौर पर, मलेशियाई हर महीने भारत से करीब 350 कंटेनर भैंस के मांस का उपभोग करते हैं लेकिन अब खपत घटकर आधी हो गई है. मलेशिया में लागू लॉकडाउन की वजह से भी मीट की मांग कम हुई है जिससे आयात पर भी असर पड़ा है.

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यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर के मुताबिक, 2019 में भारत ने 15 लाख टन बीफ का निर्यात किया जिसमें ज्यादातर भैंस का मांस होता है. बीफ निर्यात के मामले में भारत से आगे सिर्फ ब्राजील है जो सालाना 23 लाख टन बीफ बेचता है. मीट की सप्लाई बाधित होने से मलेशिया पर सीधा असर पड़ रहा है क्योंकि वह 70 फीसदी बीफ का आयात भारत से ही करता है. इसी तरह, इंडोनेशिया भी बीफ के लिए भारत पर निर्भर है और वह बीफ की कुल आपूर्ति का 25 फीसदी भारत से ही आयात करता है. भैंस का मांस सस्ता होने की वजह से गरीब तबके के बीच काफी लोकप्रिय है.

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जकार्ता के कुछ सूत्रों ने बताया, इंडोनेशिया के खरीदार इस साल भारत से एक लाख 70 हजार टन बीफ खरीदने वाले थे लेकिन वायरस के आने के बाद अब उन्हें ब्राजील और अर्जेंटीना का रुख करना पड़ सकता है. कोरोना वायरस की महामारी की वजह से अमेरिका और ब्राजील की मीट कंपनियां भी आपूर्ति पहले की तरह नहीं कर पा रही हैं. मजदूरों के बीमार पड़ने के बाद अमेरिका के कई स्लॉटरहाउस और प्रोसेसिंग प्लांट्स को बंद कर दिया गया है.

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सिंगापुर में मिजुहो बैंक के फूड ऐंड एग्रीकल्चर एक्सपर्ट जे वाई चो ने कहा, भारत से आपूर्ति प्रभावित होने की वजह पूरे एशिया में मीट के आयात में कमी आएगी. भारत जिस मात्रा में भैंस के मांस का निर्यात करता है, उतने बड़े पैमाने पर कोई और देश निर्यात नहीं करता है.

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