ऑस्ट्रेलिया ने जब से कोरोना वायरस महामारी में चीन की भूमिका को लेकर सवाल खड़े किए हैं, तब से ही चीन उसके खिलाफ व्यापार को हथियार बना रहा है. चीन ने मंगलवार को कहा है कि उसने साल 2019 में ऑस्ट्रेलियाई वाइन के आयात को लेकर एंटी-डंपिंग जांच शुरू कर दी है. चीन के इस कदम से ऑस्ट्रेलिया से उसके संबंधों में दरार और बढ़ सकती है.
चीन ने आरोप लगाया है कि ऑस्ट्रेलिया उसके बाजार में अपनी सस्ती वाइन की डंपिंग कर रहा है.
चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि ऑस्ट्रेलिया से दो लीटर या उससे भी कम मात्रा वाले वाइन कंटेनरों की भी जांच की जाएगी. इसके अलावा, ऑस्ट्रेलियाई वाइन के आयात के चलते घरेलू उद्योगों को हो रहे नुकसान का आकलन भी होगा. चाइनीज एल्कोहोलिक ड्रिंक्स एसोसिएशन ने इस मामले की जांच की मांग की थी.
बता दें कि चीन ऑस्ट्रेलियाई वाइन का सबसे बड़ा बाजार है और सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार भी. दोनों देशों के बीच पिछले साल 170 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था. दुनिया की सबसे बड़ी वाइन बनाने वाली कंपनी ट्रेजरी के शेयर्स 20 फीसदी तक गिर गए हैं. निवेशक इस बात को लेकर चिंतित हैं कि ऑस्ट्रेलियाई वाइन पर चीन इंपोर्ट टैक्स बढ़ा सकता है.
कंपनी ने अपने बयान में कहा है कि वो चीनी अधिकारियों को जांच में पूरा सहयोग करेगी और चीन को अपना प्राथमिक बाजार बनाए रखने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. चीन ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया से जौ के आयात पर टैरिफ लागू कर दिया और बीफ के आयात पर रोक लगा दी थी. चीन ने अपने छात्रों और नागरिकों को चेतावनी भी जारी की कि ऑस्ट्रेलिया जाना सुरक्षित नहीं है. चीन ने आरोप लगाया था कि ऑस्ट्रेलिया में चीनी छात्रों के खिलाफ नस्ली भेदभाव हो रहा है. हालांकि, ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने इसे सिरे से खारिज कर दिया था.
ऑस्ट्रेलिया के व्यापार मंत्री सिमोन बर्मिंगम ने जांच को निराशाजनक और परेशान करने वाला बताया है. उन्होंने कहा कि चीन जांच के अलावा ऑस्ट्रेलिया से होने वाले आयात को हतोत्साहित करने के लिए इंपोर्ट टैक्स भी लगाने पर विचार कर रहा है. ऑस्ट्रेलियाई मंत्री ने कहा कि मई महीने में चीन के जौ पर टैरिफ लगाने को लेकर उन्होंने बातचीत की कोशिश की थी लेकिन चीन की तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है.
चीन के एल्कोहॉलिक ड्रिंक्स एसोसिएशन ने कहा है कि ऑस्ट्रेलियाई वाइन का आयात 2015 से 2019 के बीच दोगुना हो गया जबकि इसी अवधि में घरेलू वाइन की हिस्सेदारी 74 फीसदी से घटकर 49 फीसदी पहुंच गई. ऑस्ट्रेलियाई कंपनियों का कहना है कि चीन ने जिस तरह से जौ पर टैरिफ लगाया, वे वाइन के मामले में भी उसे दोहरा सकते हैं. ये हमारे डूबने की वजह बनेगा, इसमें कोई शक नहीं है.
ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री मॉरिसन ने चीन को साफ संदेश देते हुए कहा था कि चाहे धमकी कहीं से भी आए वो इसके जवाब में कभी भी अपने मूल्यों का सौदा नहीं करेंगे.
चीन ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. दोनों के बीच हर साल 235 अरब ऑस्ट्रेलियाई डॉलर का व्यापार होता है. दोनों देशों के बीच व्यापार ऑस्ट्रेलिया के पक्ष में झुका हुआ है इसलिए चीन से व्यापार रुकने पर ऑस्ट्रेलिया को भारी-भरकम नुकसान हो सकता है. चीन इसी बात को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है.