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फ्रांस ने रमजान महीने में उठाया ये कदम, मुसलमान हुए खफा

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 14 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 5:42 PM IST
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दुनिया भर में रमजान का महीना शुरू हो चुका है लेकिन इस बीच फ्रांस के एक कदम से मुसलमानों की नाराजगी बढ़ गई है. फ्रांसीसी सीनेट ने कट्टरपंथ इस्लाम पर लगाम लगाने के मकसद से लाए गए बिल को पास कर दिया है. इस बिल को लेकर कहा जा रहा है कि ये मुसलमानों को अलग-थलग करने का जरिया बनेगा. इसमें और कई संशोधनों को शामिल किया गया है, जिनमें तमाम प्रावधानों को सख्त बनाया गया है. इन प्रावधानों को पहले ही देश की नेशनल असेंबली ने मंजूरी दे दी थी. (फाइल फोटो-Getty Images)

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सीनेट में इस बिल के पक्ष में 208 वोट पड़े तो खिलाफ में 109. तमाम प्रावधानों पर चली लंबी बहसों के बाद इस बिल को सीनेट में पेश किया गया है. इस बिल को लेकर पहले से ही सवाल खड़े किए जा रहे हैं. फ्रांस में इसके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन भी हुए हैं. फिलहाल इसे सीनेट में पारित कर दिया गया है. (फोटो-AP)

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बिल में शामिल किए गए नए संशोधनों का मकसद 'अतिवाद' से मुकाबला करना है. इनमें वो तमाम प्रावधान शामिल हैं जिनमें स्कूल ट्रिप के दौरान बच्चों के माता-पिता के धार्मिक पोशाक पहनने पर रोक, नाबालिग बच्चियों के चेहरे छिपाने अथवा 'सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक प्रतीकों' को धारण करने पर रोक लगाने की बात कही गई है.  (फाइल फोटो-Getty Images)

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ब्रिटेन के अखबार द इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के मुताबिक, इन संशोधनों में यूनिवर्सिटी परिसर में प्रार्थना करने पर पाबंदी के साथ-साथ शादी समारोहों में विदेशी झंडा लहराने पर रोक लगाने का भी प्रावधान है. पब्लिक स्विमिंग पूल में बुर्का पहनने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है, जो लंबे समय से विवाद का विषय रहा है.(फाइल फोटो-Getty Images)

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फ्रांस के आंतरिक मामलों के मंत्री गेराल्ड डर्मैनिन ने अंतिम समय में राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के अनुरोध पर प्राइवेट स्कूलों में विदेशी हस्तक्षेप के खिलाफ लड़ने के लिए एक संशोधन भी जोड़ा. (फोटो-AP)

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यह संशोधन फ्रेंच अफसरों को विदेशी संगठनों को फ्रांस में प्राइवेट स्कूलों की स्थापना से रोकने की अनुमति देगा. मसलन तुर्की के इस्लामिक संगठन मिल्ली गोरस द्वारा दक्षिणी फ्रांस के अल्बर्टविले में स्थापित किया गया था. इस बिल के कानून बनने के बाद अब फ्रांस में इस तरह विदेशी प्राइवेट स्कूलों को स्थापित नहीं किया जा सकेगा.  (फाइल फोटो-Getty Images)

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इस बिल में ऑनलाइन घृणा से निपटने, होम स्कूलिंग, वर्जिनिटी सर्टिफिकेट और बहुविवाह पर रोक लगाने संबंधी विधायी प्रावधान किए गए हैं. विदेशी धार्मिक संगठनों की तरफ से शिक्षा क्षेत्र में फंडिंग और सरकारी सेवा में तटस्थता बनाए रखने को लेकर प्रावधान शामिल हैं.(फाइल फोटो-Getty Images)

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मुस्लिमों को निशाने बनाने वाले मैक्रों सरकार के इन विधायी प्रावधानों की तीखी आलोचना हो रही है. कहा जा रहा है कि इस बिल के जरिये फ्रांस में मुस्लिमों को निशाना बनाया जा रहा है.(फाइल फोटो-Getty Images)

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सीनेट में बिल को पारित किए जाने की यह खबर ऐसे समय सामने आई है जब लड़कियों को हिजाब पहनने से मना किए जाने पर फ्रांस की मुस्लिम आबादी में काफी नाराजगी देखी जा रही है. फ्रांस में हिजाब के समर्थन में #HandsOffMyHijab नाम से ऑनलाइन कैम्पेन चलाया जा रहा है. (फाइल फोटो-Getty Images)

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मानवाधिकारों की पैरोकारी करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा था कि यह प्रस्तावित बिल 'फ्रांस में अधिकारों और स्वतंत्रता पर गंभीर हमला' है.(फोटो-AP)

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बहरहाल, सीनेट का यह संशोधित बिल अब संयुक्त समिति के पास भेजा जाएगा. समिति यह तय करेगी कि तमाम संशोधित प्रावधानों को स्वीकार किया जाए या उन्हें खारिज कर दिया जाए. इसके बाद इसे अंतिम मंजूरी देने के लिए संसद में पेश किया जाएगा. (फोटो-AP)

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