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अब आया नया खतरनाक वायरस, खरगोशों की लगातार हो रही मौतें!

aajtak.in
  • 19 मई 2020,
  • अपडेटेड 4:20 PM IST
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कोविड-19 से तबाही के बीच अमेरिका में एक और जानलेवा वायरस ने दस्तक दे दी है. हालांकि इस जानलेवा वायरस से इंसानों की बजाए जंगली खरगोश की मौत हो रही है. मार्च में न्यू मैक्सिको से फैलने वाला यह वायरस आज टेक्सास, एरिजोना, कोलोराडो, नेवाडा, कैलिफोर्निया और मैक्सिको जैसे बड़े शहरों में फैल गया है. यह वायरस जंगली के साथ-साथ पालतु खरगोश के लिए भी बड़ा खतरा बन गया है.

Photo- WSVMA

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यह बीमारी खरगोश के 'हेमोरोजिक डिसीज़ वायरस टाइप-2' के कारण होती है, जो इंसान और किसी दूसरे जानवरों में नहीं फैलती है. यूएस के कृषि विभाग का कहना है कि यह कोरोना वायरस नहीं है और इसका शिकार सिर्फ खरगोश या उससे मिलता-जुलता पिकास जानवर ही होता है.

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नॉर्थ अमेरिका में जंगली खरगोश पर पहली बार किसी वायरस का बड़ा अटैक हुआ है. इससे पहले वॉशिंगटन और न्यूयॉर्क में घरेलू खरगोश पर छोटे-मोटे वायरस के अटैक हुए हैं. कनाडा के जंगली खरगोशों के साथ भी ऐसा हो चुका है.

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बता दें यहां पाए जाने वाले पालतू और जंगली खरगोश मूल रूप से नॉर्थ अमेरिका के नहीं है, बल्कि इन खरगोशों के वंशज यूरोपियन हैं. न्यू मैक्सिको के पशु चिकित्सिक राल्फ जिम्मेरमान कहते हैं, 'खरगोश में फैल रहे रहे इस वायरस के ऑरिजिन की जानकारी नहीं है, लेकिन बाहर से लाए गए खरगोश इसका कारण हो सकते हैं.'

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उन्होंने कहा, 'इस बीमारी का पहली बार साल 2010 में फ्रांस में पता लगा था. इसके बाद यह यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में फैली और वहां तकरीबन डेढ़ साल रही. न्यूयॉर्क में एक आउटब्रेक के कारण इसी साल मार्च में एक वेटरनिटी क्लिनिक में 11 खरगोशों की मौत हुई थी.'

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जिम्मेरमान ने बताया, 'हमने यूरोपियन खरगोशों की तस्करी के बारे में सुना है. हमें लगता है खरगोश की तस्करी के कारण ही ये वायरस ट्रांसपोर्ट हुआ है. इनमें से यदि एक भी खरगोश मर गया होगा तो उसे बाहर फेंका होगा जिससे ये फैल गया'

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उन्होंने बताया कि जंगली खरगोश को लेकर इस बारे में कुछ नहीं किया जा सकता. वायरस के संपर्क में आने के बाद बहुत से खरगोश मर जाते हैं जबकि कई शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता के कारण इसे झेल जाते हैं. इस वायरस से मरने वाले जानवरों की संख्या खरगोश का शिकार करने वाले जानवरों पर निर्भर करती है.

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यह वायरस मूल रूप से आरएचडीवी का रूप है जो साल 1984 में चीन में पैदा हुआ था और बाद में एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, नॉर्थ और साउथ अमेरिका में फैला. ऑस्ट्रेलिया में तो यह तभी से खरगोशों की जान ले रहा है, जिसका तोड़ वैज्ञानिक खोज रहे थे.

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नेशनल वाइल्ड लाइफ हेल्थ सेंटर के मुताबिक, यह वायरस बेहद खतरनाक और जानलेवा है. शुष्क मौसम में यह कई महीनों तक जीवित रह सकता है. ठंडा मौसम भी इसके लिए अनुकूल है. खरगोशों या उसके जैसी प्रजातियों में यह उनके मांस या कीड़ों के जरिए भी एक दूसरे में फैल सकता है.

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यह वायरस घरेलू खरगोश के लिए भी बड़ा खतरा है. कृषि विभाग ने पिछले साल बताया था कि अमेरिका में तकरीबन 30 लाख घरों में से करीब 67 लाख पालतू खरगोश हैं. जिम्मेरमान ने बताया कि यूरोप के पास इसका वैक्सीन है जिसे लेकर कृषि विभाग मंजूरी दे सकता है.

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