कौन है अंबेडकर नगर की स्नेहा का कातिल? जिस सौरभ पर आरोप, उसने लगाई फांसी; घरवालों पर शक, पुलिस पर भी सवाल

इश्क और इल्जाम के बीच अंबेडकर नगर के सौरभ ने जेब पर "मैंने हत्या नहीं की" लिखकर जान दे दी. 2 दिसंबर को लापता स्नेहा का शव 17 दिन बाद घर के पास ही मिला, जिसे पुलिस ढूंढ नहीं पाई थी. हत्या के आरोपी प्रेमी सौरभ का शव बाद में आजमगढ़ में पेड़ से लटका मिला.

Advertisement
अंबेडकर नगर में युवती की लाश मिलने के बाद आरोपी युवक ने लगाई फांसी (Photo- ITG) अंबेडकर नगर में युवती की लाश मिलने के बाद आरोपी युवक ने लगाई फांसी (Photo- ITG)

के के पाण्डेय

  • अंबेडकर नगर ,
  • 26 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:20 AM IST

इश्क, इल्जाम और फिर मौत का एक ऐसा खौफनाक मंजर सामने आया है, जिसने पुलिसिया कार्यप्रणाली पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं. 'मैंने नहीं की स्नेहा की हत्या...', अपनी पैंट की जेब पर ये आखिरी अल्फाज लिखकर अंबेडकर नगर निवासी प्रेमी सौरभ ने आजमगढ़ के एक पेड़ से लटककर अपनी जान दे दी.  

लापता बेटी और 17 दिन बाद मिली लाश

Advertisement

कहानी शुरू होती है 2 दिसंबर को अंबेडकर नगर के राजेसुल्तानपुर थाना क्षेत्र से, जहां एक लड़की स्नेहा अचानक गायब हो जाती है. घरवाले परेशान थे, दर-दर भटक रहे थे. 4 दिसंबर को थाने में गुमशुदगी दर्ज हुई, लेकिन पुलिस की जांच की सुई कछुआ चाल से चलती रही. 

हैरानी तब हुई जब 17 दिन बाद स्नेहा का शव उसके अपने ही घर से महज 100 मीटर की दूरी पर बरामद हुआ. इस बरामदगी ने पुलिस की मुस्तैदी की पोल खोल दी कि जिस लाश को वो खाक छानकर नहीं ढूंढ पाए, वो घर के बगल में ही सड़ रही थी.

जेल, प्यार और संगीन आरोप

स्नेहा की मौत का सीधा आरोप पदुमपुर निवासी सौरभ पर लगा, जो उसका प्रेमी बताया जा रहा था. सौरभ पहले भी स्नेहा से छेड़छाड़ के आरोप में जेल जा चुका था और कुछ समय पहले ही बाहर आया था. लड़की के परिजनों ने उसे 'कातिल' करार दिया. पुलिस सौरभ की तलाश में दबिश देने का दावा करती रही, लेकिन वह पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा. इस बीच सौरभ के परिवार का आरोप है कि पुलिस ने उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया.

Advertisement

जेब पर लिखा सुसाइड नोट और मौत का फंदा

तलाश का अंत 24 दिसंबर को हुआ, लेकिन बेहद खौफनाक तरीके से. आजमगढ़ के अतरौलिया में एक पेड़ से सौरभ का शव लटकता मिला. मरने से पहले उसने अपनी पैंट की जेब को ही सुसाइड नोट बना लिया. उस पर साफ शब्दों में लिखा था कि उसने स्नेहा की हत्या नहीं की है. उसने अपनी बेगुनाही की चीख उस कपड़े पर छोड़ दी और साथ में प्रेमिका का मोबाइल नंबर भी लिख दिया.

अनसुलझे सवाल: आखिर कातिल कौन?

सौरभ की मौत ने अब इस गुत्थी को और उलझा दिया है. अगर सौरभ बेगुनाह था, जैसा उसने मरने से पहले दावा किया, तो फिर स्नेहा का असली गुनहगार कौन है? 15 दिनों तक राजेसुल्तानपुर पुलिस क्या करती रही कि न लड़की मिली और न आरोपी? क्या पुलिस के दबाव और बदनामी के डर ने एक युवक को जान देने पर मजबूर कर दिया? अब सवाल यह है कि क्या खाकी इन दो मौतों के पीछे छिपे असली सच को बेनकाब कर पाएगी या यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा.

बताया जा रहा है कि सौरभ और स्नेहा के बीच एक साल से प्रेम संबंध थे. पिछले साल स्नेहा के घर पकड़े जाने पर सौरभ जेल गया था और नवंबर में ही जमानत पर बाहर आया. 2 दिसंबर को स्नेहा के लापता होने पर परिजनों ने सौरभ पर केस दर्ज कराया. 20 दिसंबर को स्नेहा का शव घर के पास मिलने के बाद पुलिस ने सौरभ के खिलाफ हत्या की धारा बढ़ा दी थी.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement