उत्तर प्रदेश में जब से योगी सरकार आई है, तब से अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए धड़ाधड़ पुलिस एनकाउंटर हो रहे हैं. इस सरकार के आठ साल के कार्यकाल में एनकाउंटर के दौरान 228 अपराधी मारे जा चुके हैं. हालांकि, सरकार जहां इसे ‘सख्त कानून व्यवस्था’ कहती है वहीं, आलोचक इसे ‘ठोक दो की नीति ’ बताते हैं.
आपको बता दें कि 20 मार्च 2017 को योगी आदित्यनाथ सूबे के मुख्यमंत्री बने. मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने पहला ऐलान- कानून का राज और अपराधियों का खात्मा करने को लेकर ही किया. जिसके बाद यूपी पुलिस को खुली छूट मिली और शुरू हुई एक नई नीति- 'अपराधी या तो सरेंडर करे या मारा जाएगा.' हालांकि, इस दौरान यूपी पुलिस के कुल 18 जवान भी शहीद हुए.
देखें आंकड़े, मार्च 2017 से मई 2025 तक…
कुल मुठभेड़ें — 8,899
मारे गए अपराधी — 228
घायल अपराधी — 1,687
घायल पुलिसकर्मी — 1,687
शहीद पुलिसकर्मी — 18
मेरठ ज़ोन सबसे बड़ा एनकाउंटर ज़ोन बन गया है-
मेरठ जोन में 2,757 मुठभेड़ें हुईं जिनमें 76 अपराधियों की मौत हुई. वहीं, बरेली ज़ोन में 866 मुठभेड़ें हुईं और 15 मौतें हुईं. जबकि, नोएडा में 1,135 मुठभेड़ें हुईं और 9 मौतें हुईं. इस बीच कानपुर कमिश्नरी में सबसे ज़्यादा 8 पुलिसकर्मी शहीद हुए.
यूपी पुलिस कहती है कि ये कार्रवाई अपराध के खिलाफ़ ज़ीरो टॉलरेंस नीति का हिस्सा है, लेकिन इस दौरान कई सवाल भी उठे. जैसे- क्या हर मुठभेड़ ज़रूरी थी? क्या सबूतों की जांच से पहले ट्रिगर दबा दिया गया?
इस बीच बीते 72 घंटे में दो बड़े एनकाउंटर हुए. पहला- लखनऊ में लूट के आरोपी का एनकाउंटर हुआ. दूसरा- नोएडा में लॉरेंस विश्नोई गैंग के शूटर को मार गिराया गया. दोनों ही मामलों में पुलिस का दावा है कि जवाबी फायरिंग में मौत हुई.
आशीष श्रीवास्तव