उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने एक बड़े वित्तीय घोटाले का भंडाफोड़ करते हुए कूटरचित दस्तावेजों के जरिए फर्जी प्रोफाइल बनाकर 100 करोड़ रुपये से ज्यादा के होम लोन हड़पने वाले संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया है. इस गिरोह के सरगना समेत कुल आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है.
गौतमबुद्धनगर में की गई इस कार्रवाई की शुरुआत एचडीएफसी बैंक के एक अधिकारी की शिकायत के बाद हुई, जिसे जांच के लिए एसटीएफ फील्ड यूनिट नोएडा को सौंपा गया था.
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भारी मात्रा में फर्जी दस्तावेज और लग्जरी गाड़ियां बरामद
गिरफ्तार आरोपियों से एसटीएफ ने 126 चेकबुक/पासबुक, 170 एटीएम कार्ड, 45 आधार कार्ड, 27 पैन कार्ड, 5 वोटर आईडी, 26 मोबाइल फोन, 3 लैपटॉप और तीन लग्जरी गाड़ियां (टाटा हैरियर, महिंद्रा TUV और किआ सेल्टोस) भी बरामद कीं.
गिरफ्तार किए गए आरोपी रामकुमार (पूर्व लोन एग्जीक्यूटिव, HDFC और एक्सिस बैंक), नितिन जैन, मोहम्मद वसी, शमशाद आलम, इन्द्र कुमार कर्माकर, अनुज यादव, ताहिर हुसैन और अशोक उर्फ दीपक जैन उर्फ रिकी के रूप में हुईं हैं.
फर्जी पहचान और शेल कंपनियों के जरिए लूट की पूरी सिस्टम बनायी
एसटीएफ के मुताबिक, यह गिरोह फर्जी आधार और दूसरे पहचान पत्र बनाकर लोगों की नकली प्रोफाइल तैयार करता था. इसके बाद इन्हें शेल कंपनियों में डायरेक्टर दिखाकर बैंक खाते खुलवाए जाते थे.
इन खातों में फर्जी सैलरी ट्रांजैक्शन दिखाकर मजबूत क्रेडिट प्रोफाइल बनाई जाती थी और फिर इन्हीं कागजों के आधार पर होम लोन, पर्सनल लोन और दूसरे क्रेडिट पास कराए जाते थे.
मृत व्यक्तियों की संपत्ति बेचकर करोड़ों के लोन
गिरोह की बिल्डरों से मिलीभगत भी सामने आई है. यह लोग वास्तविक या मृत व्यक्तियों की संपत्तियों को फर्जी नामों पर बेचकर बड़े लोन पास करवा लेते थे और रकम आपस में बांट लेते थे.
दिल्ली में मृत महिला रतनावासुदेवा की संपत्ति को फर्जी महिला के नाम पर बेचकर 4.8 करोड़ रुपये का लोन हड़पने का मामला भी उजागर हुआ है.
पुराने मामलों से भी कनेक्शन, कई राज्यों में फैला नेटवर्क
गैंग का एक सदस्य अनिल शर्मा इसी साल मार्च में दिल्ली EOW द्वारा 125 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी में गिरफ्तार किया जा चुका है, जिससे पता चलता है कि यह नेटवर्क लंबे समय से सक्रिय है.
अब तक यूपी (नोएडा, लखनऊ, बनारस), उत्तराखंड (हरिद्वार), दिल्ली, चंडीगढ़ और गुरुग्राम के कई बिल्डरों की संलिप्तता के संकेत मिले हैं.
उच्च शिक्षा प्राप्त आरोपियों ने अपनाई हाई-प्रोफाइल जीवनशैली
इस गैंग ने 20 से ज्यादा शेल कंपनियों के जरिये मनी सायफनिंग और धन शोधन किया. आरोपियों की जीवनशैली हाई-प्रोफाइल थी, जिससे वे बैंक और पुलिस की नजरों से बचते रहे.
मुख्य आरोपी रामकुमार एमबीए पास है, जबकि मोहम्मद वसी कंपनी सेक्रेटरी (CS), MBA और LLB पास होकर निजी कंपनी में लीगल और रिस्क मैनेजर रह चुका है.
जांच जारी और भी नाम सामने आने की संभावना
एसटीएफ का कहना है कि इस पूरे मामले की जांच जारी है. कई बिल्डरों और दूसरे सहयोगियों की भूमिका की भी गहराई से पड़ताल की जा रही है. अधिकारियों का मानना है कि जांच आगे बढ़ने पर घोटाले की राशि और शामिल लोगों की संख्या दोनों बढ़ सकती हैं.
आशीष श्रीवास्तव