उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी के गाज़ियाबाद में पहले दौरे को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में खासा उत्साह था. जगह-जगह स्वागत की तैयारियां थीं, पोस्टर-बैनर लगे थे और एनएच-09 पर डासना के पास इन्मेंटेक कॉलेज के निकट एक भव्य स्वागत मंच सजाया गया था. फूल-मालाओं, ढोल-नगाड़ों और नारों के बीच जैसे ही कार्यक्रम शुरू हुआ, माहौल पूरी तरह राजनीतिक उत्सव में बदल गया. लेकिन इसी उत्साह और भीड़भाड़ के बीच एक ऐसी घटना सामने आई, जिसने कुछ देर के लिए पूरे कार्यक्रम को असहज स्थिति में ला खड़ा किया.
बताया गया कि स्वागत कार्यक्रम के दौरान भाजपा के मंडल महामंत्री माधव कुमार की जेब से 50 हजार रुपये की गड्डी गायब हो गई. यह घटना उस समय हुई, जब मंच के आसपास भारी भीड़ मौजूद थी और प्रदेश अध्यक्ष के स्वागत में कार्यकर्ता लगातार आगे-पीछे आ-जा रहे थे. पैसे गायब होने की भनक लगते ही पहले तो लोग इसे किसी गलतफहमी के तौर पर लेने लगे, लेकिन कुछ ही मिनटों में यह बात मंच तक पहुंच गई.
प्रदेश अध्यक्ष के स्वागत में जुटी भीड़ और एनएच-09 पर लगे लंबे जाम के कारण स्थिति पहले से ही चुनौतीपूर्ण थी. कार्यक्रम स्थल पर कार्यकर्ताओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही थी. इसी बीच पैसे गायब होने की सूचना ने मंच पर मौजूद नेताओं की चिंता बढ़ा दी. हालात बिगड़ते देख बीजेपी किसान मोर्चा के महानगर अध्यक्ष पंकज भारद्वाज ने खुद माइक संभाला और मंच से लोगों को संबोधित करना शुरू किया.
पंकज भारद्वाज ने मंच से बेहद भावुक अपील करते हुए कहा कि यह आयोजन पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के स्वागत का है और इसमें किसी भी तरह की अव्यवस्था या विवाद पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है. उन्होंने कहा, अगर किसी कार्यकर्ता भाई को ये 50 हजार रुपये मिले हों तो बड़ा दिल दिखाते हुए कृपया पैसे लौटा दें.
सूत्रों के मुताबिक, माधव कुमार ने बताया कि वे कार्यक्रम से पहले किसी काम के लिए 50 हजार रुपये लेकर आए थे. भीड़ में धक्का-मुक्की और लगातार लोगों से मिलने-जुलने के दौरान उन्हें खुद भी यह अहसास नहीं हुआ कि पैसे कब गायब हो गए. जब उन्होंने जेब चेक की, तब तक काफी देर हो चुकी थी. इसके बाद उन्होंने तत्काल मंच पर मौजूद नेताओं को इसकी जानकारी दी.
घटना की सूचना मिलते ही कुछ स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं ने खुद स्तर पर तलाश शुरू की. मंच के पीछे, आसपास की कुर्सियों और कार्यक्रम स्थल के नजदीकी हिस्सों में भी नजर दौड़ाई गई. लेकिन पैसा नहीं मिला.
मयंक गौड़