'ऐच्छिक नहीं, मजबूरी में रिटायरमेंट...', IPS अफसर आशीष गुप्ता के VRS पर अखिलेश ने बीजेपी सरकार को घेरा

उत्तर प्रदेश कैडर में आईपीएस अफसर की वरिष्ठता में 1989 बैच के आशीष गुप्ता दूसरे नंबर पर हैं. उनके VRS लेने पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट लिखा है, ये चिंताजनक है कि उप्र पुलिस के वरिष्ठतम लोग जो वर्तमान व्यवस्था में महत्वपूर्ण पदों से वंचित रखे गये, वो इन अनैच्छिक परिस्थितियों में ऐच्छिक सेवानिवृत्ति लेने पर मजबूर हैं.

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सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव. सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव.

संतोष शर्मा

  • लखनऊ,
  • 07 जून 2025,
  • अपडेटेड 2:30 PM IST

यूपी कैडर में डीजी रैंक के आईपीएस अफसर आशीष गुप्ता के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति यानी वीआरएस की अर्जी मंजूर हो गई है. वे इसी महीने रिटायर हो जाएंगे. लेकिन वीआरएस को लेकर प्रदेश में राजनीति गरमा गई है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आशीष गुप्ता के वीआरएस लेने पर सरकार पर सवाल उठाए और मनचाहे अफसर की तैनाती के लिए सीनियर जूनियर की अनदेखी को जिम्मेदार बताया है.

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उत्तर प्रदेश कैडर में आईपीएस अफसर की वरिष्ठता में 1989 बैच के आशीष गुप्ता दूसरे नंबर पर हैं. उनके VRS लेने पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट लिखा है, ये चिंताजनक है कि उप्र पुलिस के वरिष्ठतम लोग जो वर्तमान व्यवस्था में महत्वपूर्ण पदों से वंचित रखे गये, वो इन अनैच्छिक परिस्थितियों में ऐच्छिक सेवानिवृत्ति लेने पर मजबूर हैं. इससे कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों का मनोबल टूटता है, जिसका खामियाजा प्रदेश की कानून-व्यवस्था और जनता को भुगतना पड़ता है.

अखिलेश ने आगे लिखा, बीजेपी सरकार में जब वरिष्ठ-कनिष्ठ का कोई मतलब ही नहीं बचा है तो वरिष्ठता क्रम की सूची बनाने का क्या मतलब. वरिष्ठता में 1-2 के फेरबदल को तो कार्य के स्वरूप के आधार या किसी अन्य पैमाने पर उचित ठहराया भी जा सकता है लेकिन 10-12 के अंतर को नहीं. सामान्य रूप से किसी अधिकारी को किसी पद पर चुनने का आधार व्यक्तिगत पसंद, विचारधारा या सत्ता का अंदरूनी झगड़ा नहीं होना चाहिए, बल्कि उस पद विशेष के लिए अधिकारी की पदानुक्रमता के साथ-साथ योग्यता और अनुभव का समेकित संतुलित आधार होना चाहिए.

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सपा अध्यक्ष यादव ने कहा, बीजेपी सरकार अधिकारियों का मनोबल गिरा कर कुछ भी हासिल नहीं कर सकती है. हाल की कुछ घटनाओं में ये देखा गया है कि कुछ अधिकारियों को चिन्हित करके, उनके विभाग के अंदर और सोशल मीडिया के स्तर पर बाहर से, उनको या उनके परिवारों को प्रताड़ित-अपमानित किया गया है. बीजेपी द्वारा चलाया गया ये चलन बंद होना चाहिए. बीजेपी ईमानदारी को पुरस्कृत नहीं करती है तो ना करे, लेकिन तिरस्कृत भी न करे. चिंतनीय भी, निंदनीय भी.

कौन हैं आशीष गुप्ता?

1989 बैच के आशीष गुप्ता वर्तमान में उत्तर प्रदेश में DG रूल्स एंड मैन्युअल हैं. केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटने के बाद लंबे समय तक गुप्ता को उत्तर प्रदेश सरकार ने पोस्टिंग नहीं दी. करीब 6 माह बाद पोस्टिंग मिली तो उनको डीजी रूल्स एंड मैन्युअल बनाया गया. समाजवादी पार्टी की सरकार में आईजी एसटीएफ/ आईजी रेलवे रहते हुए गुप्ता साल 2014 में एडीजी बने तो केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए. केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर आशीष गुप्ता को NATGRID का ADG बनाया गया.

साल 2014 से 2022 पूरे 8 साल NATGRID में तैनाती के बाद साल 2022 में अचानक आशीष गुप्ता को NATGRID से हटाकर बीएसएफ भेज दिया गया. बीएसएफ से भी 6 महीने बाद आशीष गुप्ता को दिसंबर 2022 में डेपुटेशन अवधि खत्म होने से पहले ही यूपी वापस भेज दिया गया.

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चर्चा है कि आशीष गुप्ता ने NATGRID में तैनाती के दौरान अफसरों के वॉट्सएप ग्रुप पर कुछ टिप्पणी की थी, जिसके चलते उनको NATGRID से हटाकर BSF भेजा गया और BSF से यूपी भेज दिया गया.

आशीष गुप्ता ने 2 महीने पहले VRS के लिए अर्जी दी थी जिसे मंजूर कर लिया गया है. इसी महीने जून में आशीष गुप्ता विभाग से रिटायर हो जाएंगे.

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