घाट किनारे श्रद्धालुओं को सोने की इजाजत कैसे, कितनी मौतें? महाकुंभ भगदड़ से उठे वो सवाल जिनके नहीं मिले जवाब

मौनी अमावस्या की शुभ घड़ी में तीर्थराज प्रयाग में करोड़ों श्रद्धालुओं ने पुण्य स्नान किया. अखाड़ों के संत-महंतों ने भी अमृत स्नान किया. हेलीकॉप्टर से फूल भी बरसे. मगर अमावस्या के शुरुआती 7 घंटे के अंदर महाकुंभ मेलाक्षेत्र में एक हादसा हो गया. कई लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए.

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महाकुंभ में भगदड़ मचने से कई लोगों की मौत हो गई महाकुंभ में भगदड़ मचने से कई लोगों की मौत हो गई

आजतक ब्यूरो

  • नई दिल्ली,
  • 29 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 6:25 PM IST

प्रयागराज के महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर करोड़ों लोगों की भीड़ में मंगलवार-बुधवार की दरमियानी रात एक हादसा हुआ. भगदड़ मची और न जाने कितने लोगों की जानें चली गईं. आंकड़ा अभी तक पता नहीं चला है. वैसे, प्रधानमंत्री मोदी से लेकर सीएम योगी तक ने घटना पर संवेदनाएं जताई हैं. घायलों को जल्द स्वस्थ होने की कामना भी की. लेकिन इस घटना को लेकर अब तमाम सवाल उठ रहे हैं. आम लोगों से लेकर विपक्ष तक प्रशासन की व्यवस्थाओं पर सवालिया निशान लगा रहे हैं. 

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कारण, जिस आयोजन के लिए 4 तहसील, 56 थाने और 67 गांवों का नया महाकुंभ जिला बनाया गया हो, 25 सेक्टर में इंतजाम की कमान में एक आईपीएस, 2 आईएएस, 3 एडीएम संभाल रहे हों. सुरक्षा के लिए जल-थल-नभ में 75 हजार सुरक्षाकर्मी तैनात हैं. आयोजन में 7 हजार करोड़ से ज्यादा खर्च हुआ हो. वहां सबसे अहम यानी संगम क्षेत्र में न जाने कैसा इंतजाम था कि भीड़ अनियंत्रित हो गई?

संगम स्थल की व्यवस्थाओं पर उठे सवाल 

क्राउड कंट्रोल का कैसा सिस्टम था कि लाखों लोग उसी संगम स्थल पर आगे बढ़ गए जहां सबसे चौकस इंतजाम होना चाहिए था. कैसी वन-वे व्यवस्था थी कि भीड़ कहीं भी जा रही थी. कैसा प्रशासनिक इंतजाम था कि जहां नहीं सोना चाहिए था. वहां लोग घाट किनारे ही सो रहे थे. ये सवाल हैं. क्योंकि भले ही इस भगदड़ का पूरा सच सामने नहीं आया हो. सरकार की ओर से जिम्मेदार लोगों पर क्या कार्रवाई हुई, ये पता नहीं चला हो लेकिन अगर महाकुंभ जैसे आयोजन में किसी भी वजह से कोई जान जाती है तो ये बेहद अफसोसनाक है और ऐसा नहीं होना चाहिए. 

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घाट पर क्या कुछ हुआ था?

दरअसल, मौनी अमावस्या की शुभ घड़ी में तीर्थराज प्रयाग में करोड़ों श्रद्धालुओं ने पुण्य स्नान किया. अखाड़ों के संत-महंतों ने भी अमृत स्नान किया. हेलीकॉप्टर से फूल भी बरसे. मगर अमावस्या के शुरुआती 7 घंटे के अंदर महाकुंभ मेलाक्षेत्र में एक हादसा हो गया. मौनी अमावस्या का स्नान करने के लिए मंगलवार रात 10 बजे के बाद से ही जबरदस्त भीड़ आ चुकी थी. देर रात करीब ढाई बजे के बाद अचानक संगम क्षेत्र से एंबुलेंस दौड़ने लगीं.

एंबुलेंस मेला क्षेत्र के सेक्टर 2 के अस्पताल पहुंच रही थीं. मगर वहां किसी को अंदर नहीं जाने दिया जा रहा था. एक अधिकारी ने बताया कोई मौत नहीं हुई, कुछ लोग जख्मी हुए हैं. मगर घटनास्थल पर चश्मदीदों से पता चला संगम नोज पर 11 से 17 नंबर पोल के बीच भगदड़ मची थी. ढेर सारे लोग जख्मी थे. कई दम तोड़ चुके थे.

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हादसे के बाद घायलों को अलग-अलग अस्पतालों में भेजा गया. उधर अखाड़ों ने अमृत स्नान रद्द करने की घोषणा कर दी. लेकिन पुलिस प्रशासन ने कुछ घंटों में व्यवस्था बहाल कर दी. फिर हादसे के करीब 8-9 घंटे बाद सीएम योगी ने हादसे के बारे में बताया कि हादसे में कुछ लोग गंभीर रूप से जख्मी हैं. सीएम योगी रात में ही दिल्ली से चुनाव प्रचार करके लौटे थे. सुबह पीएम मोदी दिल्ली में चुनाव प्रचार करने आए. तब पीएम ने ही बताया कि प्रयागराज में कुछ पुण्यात्माओं की जान भी चली गई है.

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मृतकों और घायलों का आंकड़ा... 'पता नहीं'

बेहद अफसोसनाक हादसे में प्रयागराज में न जाने कितने लोगों की जान गई और कितने जख्मी हैं. आधिकारिक आंकड़े का पता नहीं. मौके पर तैनात अधिकारी कर्मचारी, चश्मदीद और पीड़ितों के बयानों के हिसाब से देर रात 2 बजे के करीब बेहिसाब लोग संगम नोज की ओर बढ़ रहे थे. भीड़ का दबाव बढ़ा तो एक बैरिकेडिंग टूटी. लोग दूसरी तरफ अखाड़े के लिए आरक्षित रास्ते की ओर बढ़ने लगे. इस क्रम में संगम घाट के आसपास बैरिकेडिंग के किनारे सो रहे लोगों को भीड़ कुचलती चली गई.

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डीआईजी वैभव कृष्ण मंगलवार शाम साढ़े सात बजे से ही अपील कर रहे थे कि लोग संगम घाट पर जाकर नहीं सोएं. स्नान करके आगे बढ़ें. लेकिन इस अपील पर न तो भीड़ ने तवज्जो दी, न वहां मौजूद व्यवस्थापकों ने. नतीजा ये हादसा हो गया. और हादसे के बाद ये पता चला कि भगदड़ मची लेकिन किसकी गलती थी, पता नहीं चला. हादसे में लोग मरे हैं, ये पता है लेकिन कितने मरे हैं ये नहीं पता. काफी लोग जख्मी हैं ये जानकारी भी है, लेकिन कितने हैं ये नहीं पता. 

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हादसे की जिम्मेदारी किसकी?

भीड़ के दबाव से रेलिंग टूटी ये पता है, उन्हें रोका क्यों नहीं गया पता नहीं. डीआईजी घाट खाली करने की अपील कर रहे थे. घाट खाली क्यों नहीं हुए, पता नहीं. चश्मदीदों ने बताया कि कई लोग मरे हैं. लेकिन वे हैं कहां, पता नहीं. हादसे के लिए मेला प्रशासन जिम्मेदार है, ये पता है लेकिन कार्रवाई क्या हो रही ये पता नहीं. 

यही वजह है कि महाकुंभ जैसे आस्था के महापर्व पर हुए एक दुर्भाग्यपूर्ण हादसे पर सियासदान तरह-तरह के सवाल उठा रहे हैं. हालांकि हादसे के बाद से मेलाक्षेत्र में सब कुछ व्यवस्थित और शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है. अखाड़ों का स्नान भी सफलतापूर्वक हो गया है. करोड़ों लोग मौनी अमावस्या का पुण्य स्नान कर सहर्ष वापस लौट चुके हैं.

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