VIDEO: कोई बना 'श्रवण कुमार' तो कोई बेटियों को कंधे पर करा रहा कांवड़ यात्रा... देखिए सावन में आस्था के अलग-अलग रंग

कांवड़ यात्रा के दौरान आस्था के अलग-अलग रंग देखने को मिल रहे हैं. कहीं कोई अपने माता-पिता को कंधे पर बैठाकर कांवड़ यात्रा पर निकल पड़ा है तो कोई अपनी बच्चियों को कांवड़ में बैठाकर गंगाजल लेने जा रहा है.

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कांवड़ यात्रा के दौरान के दृश्य कांवड़ यात्रा के दौरान के दृश्य

राहुल कुमार / संदीप सैनी

  • मुजफ्फरनगर/सहारनपुर ,
  • 25 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 2:10 PM IST

उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के दौरान आस्था के अलग-अलग रंग देखने को मिल रहे हैं. कहीं कोई अपने माता-पिता को कंधे पर बैठाकर कांवड़ यात्रा पर निकल पड़ा है तो कोई अपनी बच्चियों को कांवड़ में बैठाकर गंगाजल लेने जा रहा है. इस गंगाजल से वो अपनों के साथ भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करेगा. इस बीच एक कांवड़िया ऐसा भी मिला जो भगवान शिव की विशालकाय मूर्ति लेकर कांवड़ यात्रा कर रहा है.  

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दरअसल, सावन में कांवड़ यात्रा के बीच मुजफ्फरनगर पहुंचे एक युवक का वीडियो चर्चा में है, जो अपने बूढ़े माता-पिता को कंधे पर बैठाकर निकला है. लोग उसे कलयुग का 'श्रवण कुमार' कह रहे हैं. वह हरिद्वार से गंगाजल लेकर मेरठ के लिए रवाना हुआ है. इस युवक का नाम बिट्टू है. बिट्टू मेरठ जिले के एक गांव का निवासी है. वह हर की पौड़ी से गंगाजल लेकर और अपने माता-पिता को कंधे पर बैठाकर चल रहा है. बिट्टू करीब 180 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करेगा. 

बेटे के इस कदम बेहद खुश हैं मां-बाप 

उसके माता-पिता बेहद खुश हैं और उनका कहना है कि ऐसा 'श्रवण कुमार' सबके घरों में पैदा हो. मुजफ्फरनगर पहुंचे कांवड़िए बिट्टू ने कहा कि मैं मेरठ के गांव डेरी दोषाती जाऊंगा. दूरी लगभग 180 किलोमीटर है, इसलिए 12-13 किलोमीटर रोज चलता हूं. मैंने श्रवण कुमार के बारे में पढ़ा और सुना था. तभी मेरे मन में भी वैसा ही करने का ख्याल आया.

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सहारनपुर में दिखा अनोखा नजारा 

सहारनपुर में भी कांवड़ यात्रा के दौरान अनोखा दृश्य देखने को मिला. यहां कांवड़िए अपने कंधे पर भगवान शिव की 2 से लेकर 6 फीट तक की मूर्ति लेकर यात्रा कर रहे हैं. इस यात्रा में कई ऐसे कांवड़िए शामिल हैं जो पहली बार कांवड़ लेने आए हैं, उनमें गजब का उत्साह और उमंग है. 

इन कांवड़ियों का कहना है कि रास्ते में सुरक्षा-व्यवस्था और साफ-सफाई काफी अच्छी है. सरकार द्वारा किए गए इन प्रबंधों से यात्रा और भी अच्छी हो गई है. वो झूमते-नाचते-गाते अपने गंतव्य की ओर जा रहे हैं. विभिन्न जगहों पर स्थानीय लोगों का भी बहुत सहयोग मिल रहा है. 

कांवड़िए सुभाष ने कहा कि हरिद्वार से जल लेकर आ रहे हैं. हम हरियाणा के रहने वाले हैं. हमें बहुत अच्छा लग रहा है. कहीं कोई दिक्कत नहीं है, अच्छी व्यवस्था मिल रही है. यूपी में भी और पीछे झारखंड में भी. मेरा फर्स्ट टाइम है. भगवान हर साल बुलाएं, यही कामना है. 

वहीं, कांवड़िए विनोद कुमार ने कहा कि हम सिरसा से आए हैं. फिलहाल, हरिद्वार से जल लेकर आ रहे हैं. रास्ते में व्यवस्था तो बहुत बढ़िया थी. किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हुई.  

बेटियों को कंधे पर करा रहा कांवड़ यात्रा 

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कांवड़ यात्रा में 'श्रवण कुमार' तो आपने कई देखें होंगे लेकिन मुजफ्फरनगर में इस बार एक ऐसा शख्स भी नजर आया जो अपनी छोटी-छोटी बच्चियों को कंधे पर बैठाकर कांवड़ यात्रा करा रहा है. वह हरिद्वार से पैदल चला है.शख्स के साथ उसकी पत्नी भी है. दंपति के कुल पांच बच्चे हैं, जो इस यात्रा में उनके साथ ही हैं.  

दरअसल, मेरठ के मोदीनगर स्थित गढ़ी गांव के धर्मेंद्र अपनी पत्नी संगीता और अपनी 4 बेटी और एक बेटे के साथ हरिद्वार से गंगाजल भरकर कांवड़ यात्रा पर निकले हैं. जब 3 साल की बच्ची विधि और 5 साल की ज्योति कुछ ही दूर चलकर थक गई तो पिता धर्मेंद्र ने अपनी कांवड़ में दोनों बेटियों को बैठा लिया और आगे की यात्रा पर निकल पड़े. 

पत्नी संगीता का कहना है कि हम अपने बच्चों को हरिद्वार में गंगा जी में स्नान कराकर लाए हैं. बच्चियां जब थक गईं तो उनके पिता उन्हें अपनी कांवड़ में बैठाकर यात्रा शुरू कर दी. बच्चियां खुश हैं तो हम भी खुश हैं. सब भोले की भक्ति में लीन में हैं. वहीं, धर्मेंद्र ने कहा कि मुझे कोई कष्ट नहीं हो रहा है. सब ऊपर वाले की महिमा है. 

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